प्रेम का एक अद्भुत बंधन :Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : पूरी रात अवि करवटें बदलती रही। रह-रहकर उसके अंतर्मन में श्यामू की तुतलाती आवाज़ गूँज रही थी, “क्या आप मेरी मम्मा बनेगीं”?

श्यामू से अवि की मुलाकात एक साल पहले अनाथ आश्रम में हुई  थी। तब उसकी उम्र करीब तीन-साढ़े तीन साल की थी।

वह अपनी एक सहकर्मी के साथ वहाँ गई थी। वहीं पर उसने एक कोने में दुबके हुए श्यामू को देखा। वह बहुत डरा हुआ लग रहा था। उसकी मासूमियत को देखकर अवि का ममत्व उमड़ पड़ा। तबसे हर इतवार ही वह उससे मिलने अनाथाश्रम जाने  लगी।

पूछने पर पता चला, श्यामू अभी एक महीना पहले ही इस अनाथाश्रम में  आया है। वह अंतर्मुखी स्वभाव का था। इसी कारण अभी तक उसका कोई मित्र नहीं बना था या कह लो, उसने या किसी और ने मित्र बनाने की पहल नहीं की थी

श्यामू के बारे में पूछने पर पता चला कि सड़क के किनारे एक राहगीर को वह रोता हुआ मिला था। पूछने पर उसने अपना नाम श्यामू और माता- पिता का नाम रामू और राधा बताया था। माता- पिता उसे यहाँ बैठने को कहकर पता नहीं कहाँ चले गए।

इसके अलावा उसे कुछ ज्यादा नहीं पता था। वही राहगीर उसे दया करके अनाथाश्रम छोड़ गया था। उसके माता-पिता की खोज भी की गई। पुलिस में भी खबर की गई, लेकिन  माता-पिता के हुलिए के बारे में वह स्पष्ट नहीं बता पाया।

इसे सुनकर यही समझ आया, गरीबी  या ज्यादा बच्चों के कारण उसे जान-बूझकर छोड़ दिया गया।

पता नहीं, श्यामू में ऐसा क्या था कि अवि उसे भूल ही नहीं पाई और उससे मिलने हर इतवार अनाथाश्रम जाने लगी। इससे श्यामू के साथ-साथ अवि के उदास मन में भी खुशी के कुछ रंग नज़र आने लगे।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

सबिया का धैर्य – कंचन श्रीवास्तव

अवि की ज़िंदगी भी वर्षा की रिमझिम फुहार के समान सुहावनी नहीं थी। उसका जीवन बहुत ही संघर्षमय था। सोचा था, शादी के बाद जिंदगी एक सुहावना सफ़र होगी लेकिन जो भी सुनहरे ख्वाब देखे थे, वे बालू के घरौंदे की तरह भरभरा कर टूटने लगे।

शक्की स्वभाव का होने के कारण मयंक ने उसकी ज़िंदगी नरक बना दी थी। हर वक्त वह उसके अच्छे पहनने-ओढ़ने पर फब्तियाँ कसता। मारपीट करता। कही भी आने-जाने पर रोक-टोक करता। अपने इसी शक्की स्वभाव के कारण उसने अवि की नौकरी भी छुड़वाने की बहुत प्रयास किया। इतना सब कुछ सहने पर भी वह चुप रही। आखिर कहाँ जाती!



माता-पिता की इज़्ज़त की खातिर अधिकांश लड़कियाँ चुप ही रहती हैं। अवि भी उनमें से एक थी, लेकिन कहते हैं न, कभी न कभी नदी का बहाव भी तूफ़ान लेकर आता है। कभी न कभी कोई तारा टूटता ही है। मौन भी कभी मुखर बन जाता है।

एक दिन मयंक ने उसे किसी लड़के से बात करते हुए देख लिया तो आगबबूला हो गया। अवि ने समझाने का बहुत प्रयास किया, वह तो केवल किसी का पता पूछ रहा था। लेकिन मयंक ने उसपर सीधे चरित्रहीनता का आरोप लगा दिया। कोई भी अच्छी लड़की इसे सहन नहीं कर सकती।

अवि ने तुरत ही घर छोड़ने का दृढ़ निश्चय कर लिया। उस दिन से उसने चुपचाप ही एक घर की खोज करनी आरंभ कर दी। पसंद का घर मिलते ही वह घर छोड़कर हमेशा के लिए चली गई।  कुछ दिनों बाद उसने तलाक का नोटिस भिजवा दिया। आपसी रजामंदी से शीघ्र ही तलाक हो गया।

तबसे अवि की ज़िंदगी एक सूखी नदिया की तरह बन गई, जिसमें न कोई उमंग थी, न ही कोई तरंग।  एक मशीन की तरह वह सारे काम करती और घर आकर खाना खाकर निढ़ाल-सी बिस्तर पर लेटकर पता नहीं किन विचारों में गुम रहती।

आगे भी ऐसा चलता रहता, अगर उसकी मुलाकात श्यामू से न हुई होती। श्यामू के मिलने के बाद से उसके सूखे मन रूपी रेगिस्तान में पुष्प खिलने लगे थे।

आखिर दो दिन की ऊहापोह के बाद अवि ने श्यामू को गोद लेने का निश्चय करके गोद लेने की प्रक्रिया आरंभ की। प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात श्यामू उसके घर आ गया। अवि ने उसका नाम बदलकर साहिल रख दिया। आखिर उसी के कारण ही उसको ज़िंदगी जीने का एक मकसद मिला था।  उसके घर में आने से दीवाली की फुलझड़ी की तरह खुशी के पटाखे फूटने लगे। अवि ने साहिल का स्कूल में दाखिला भी करवा दिया। उसकी हर ज़रूरत का वह ध्यान रखती।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

औरत के मन की व्यथा… – मीनू जायसवाल

आज साहिल और अवि को देखकर कोई नहीं कह सकता, उनमें खून का रिश्ता नहीं है। 

सच ही कहा गया है, प्रेम में एक ऐसी अदृश्य शक्ति होती है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है, देखा नहीं जा सकता। इसी के बल पर परायों को भी अपना बनाया जा सकता है। 

#बंधन 

अर्चना कोहली “अर्चि”

नोएडा (उत्तर प्रदेश)

मौलिक और स्वरचित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!