प्रायश्चित – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

——————–   कुछ गलतियों का प्रायश्चित नहीं होता। शायद ये गलतियां नहीं  अपराध होता है। लेबर रूम में अत्यंत पीड़ा के क्षणों से गुजरने के बाद नर्स ने जब निधि के हाथों में कोमल सी बच्ची   पकड़ाते हुए कहा देखो तुम्हारी बेटी, तो वह उस अनुभव को बयान नहीं कर सकती थी। उसने नर्स से पूछा बच्ची के पापा कहां है? 

उन्हें भी तो बुलाओ। नर्स ने कहा हम तब से फोन मिला रहे हैं, तुम्हारे को दूसरे कमरे में भी शिफ्ट करना है और बेबी का सामान भी चाहिए। वह फोन ही नहीं उठा रहे। मतलब वह बाहर नहीं खड़े थे। नर्स की चुप्पी और परेशानी ने खुद ही जवाब दे दिया। मतलब वह अपनी पीड़ा के क्षणों में भी एकदम अकेली थी। अगर आज राजेश होता तो?

निधि को जब पथरी का ही दर्द था तो भी पूरी रात राजेश अस्पताल में। उसके पास ही बैठा रहा था। गगन को तो अपना आराम और मौज मस्ती दोनों ही प्यारी थी और बेटी का होना निधि के लिए ही तो नई बात थी गगन तो यूं भी दो बेटों का पिता था। 

              बेटी को तो नर्स तैयार करने के लिए ले गई थी और निधि निढाल होकर अपने बिस्तर पर ही पुरानी यादों में खो गई थी। निधि का विवाह कंप्यूटर इंजीनियर राजेश के साथ हुआ था और वह विवाह के बाद राजेश के साथ दिल्ली में ही आ गई थी। राजेश ने कुछ लोन लेकर उसके नाम एक फ्लैट खरीद लिया था क्योंकि औरतों के नाम पर रजिस्ट्री शायद सस्ती पढ़ती थी।

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राजेश घर और दफ्तर दोनों जगह बेहद जिम्मेदार और अनुशासित था। कंपनी से भी उसे जल्दी ही प्रमोशन मिल रही थी। इसलिए जल्दी ही उसने फ्लैट का पूरा लोन चुका दिया। भले ही वह घर में रहकर भी दफ्तर का काम करता हो परंतु निधि को कोई कमी नहीं होने देता था। 

        राजेश को 8 महीने के लिए सऊदी अरब में एक प्रोजेक्ट मिला। राजेश ने निधि से कहा इस प्रोजेक्ट से आने के बाद मुझे अच्छा पैकेज भी मिल जाएगा और फिर हम अपनी फैमिली भी प्लान करेंगे। बस 8 महीने की ही तो बात है मैं बीच में एक बार आऊंगा भी। तुम चाहो तो इतने दिन मायके में रह लो या गांव में मेरी मां के साथ रह लो

निधि को दिल्ली में अपना फ्लैट छोड़ कर कहीं जाने को मन नहीं था। उसने कहा इस फ्लैट में सुरक्षा तो पूरी है ही, जब तक तुम जाते हो तब तक मैं भी 1 साल का कंप्यूटर का ही कोई कोर्स कर लेती हूं। समय का सदुपयोग भी हो जाएगा। राजेश को यह ख्याल अच्छा लगा और यह फैसला हुआ कि बीच-बीच में कभी उसकी मम्मी या की निधि की मम्मी रहने के लिए आते रहेंगे। 

        निधि की सोसाइटी में ही रहने वाले गगन जी कि निधि के कॉलेज के पास नोएडा ही जाया करते थे। कई बार निधि को उन्होंने लिफ्ट दी और कुछ समय बाद निधि ने मेट्रो से जाना ही बंद कर दिया अब वह रोजाना गगन जी के ही साथ जाने लगी। कई बार राजेश की माताजी या उसकी मम्मी भी आती थी।  निधि घर जब देर से आती तो यही कहती थी कि कॉलेज में ही देर हो जाती है और अब उसका अधिकतर समय गगन जी के साथ ही बीतता था। 

     गगन जी का नोएडा में ही अपना ऑफिस था और उनकी पत्नी सरकारी स्कूल में टीचर थी। उनके दो बेटे थे और गगन जी का परिवार साथ ही रहता था। ना चाहते हुए भी वह गगन जी की मीठी बातों के जाल में फंसती ही जा रही थी। गगन जी का प्रॉपर्टी डीलिंग का ऑफिस था और उसमें भी क्या कमाई होती थी यह तो पता नहीं परंतु हां

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अब उनका अधिकतम समय निधि के साथ ही घूमने फिरने में बीतता था। जब कभी निधि घर में अकेली होती तो अब वह दोनों नाइट क्लब में भी जाने लगे थे। ऐसी दुनिया  उसने राजेश के साथ तो कभी देखी ही नहीं थी। उन रंगीनियों मैं उलझते हुए उसे यह ख्याल भी नहीं रहा कि अब गगन नहीं अपितु उसी के ही पैसे खर्च होते जा रहे हैं। 

      एक दिन गगन ने निधि से कहा कि उसे एक बहुत बढ़िया प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पैसों की जरूरत है, यदि वह अपना फ्लैट गिरवी रख दे तो उसे लोन मिल सकता है। जाने कहां-कहां उसने निधि के साइन करवाए और किसी मैसेज से जब राजेश को फ्लैट की एवज में लिए गए लोन का पता चला तो वह छुट्टियां लेकर वापस भारत आया। उसने निधि को पैसे भेजने बंद कर दिए। 

          वापस  आने पर ना उसे निधि मिली और घर पर भी ताला लगा था। जब सोसाइटी के लोगों से उसके बारे में पता लगाया तो बेहद निराश  होकर उसने निधि से तलाक ले लिया  था। 

         निधि क्योंकि मां बनने वाली थी उसने गगन पर जब शादी करने का दबाव बनाया तो गगन अपनी पत्नी को तलाक नहीं देना चाहता था।  गुस्से में निधि ने जब सारे सबूत दिखाए कि वह थाने में जाकर यह साबित कर देगी कि उसने निधि के साथ धोखा करके  ठगा है तो वह उसे भी उसकी पत्नी के साथ नहीं रहने देगी।

        गगन अपने ही बुने जाल में फंस चुका था। गगन की पत्नी जो कि सरकारी अध्यापिका भी थी और उसकी रंगीलेपन से परेशान भी थी उसने भी गगन को तलाक दे दिया। गगन के माता-पिता ने गगन को अपनी संपत्ति से बेदखल करके अपने पोतों को संभाल लिया।

     अब गगन और निधि का विवाह भले ही हो गया हो परंतु गगन ना तो पहले जिम्मेदार था और ना ही अब। वह दोनों अब नोएडा में ही रहते थे। पिछली रात अपना पैग छोड़कर उसने निधि को नर्सिंग होम में तो छोड़ दिया था परंतु उसके बाद वह   कहां गया कुछ भी नहीं पता। निधि को अब केवल अपना ही नहीं अपितु अपनी बेटी का भविष्य भी अंधकारमय लग रहा था। रह रह कर उसको राजेश की याद आ रही थी परंतु अब कुछ नहीं हो सकता था उसने जो गलती की थी उसका कोई प्रायश्चित नहीं था अपितु अपराध जिसकी सजा उसे पूरे जीवन ही भुगतनी होगी।

मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा 

प्रायश्चित विषय के अंतर्गत लिखी गई कहानी।

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