प्रवंचना – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

सुरभि….! कैसी हो बेटा। अब पहले से बेहतर हूंँ मम्मा..!ओ मेरी राजदुलारी…! कहते हुए एकता ने सुरभि को गले से लगा लिया।

एकता कल शाम का वह हादसा बिल्कुल भूल नहीं पा रही थी, उसके जेहन में वह घटनाक्रम चलचित्र बनकर उभर रहे थे। 

उसे सबसे ज्यादा अपनी बेटी सुरभि की फिकर थी। कहीं इस घटना का उस पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े..!

बेटा..!! तुम सब कुछ भूल कर नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करो। 

“कोई बड़ी दुर्घटना होने से अच्छा कुछ खरोचें ठीक होती है।” 

जो हुआ हमारे लिए अच्छा ही हुआ और आगे संभलने का मौका मिल गया। 

सुरभि बोली- मम्मा मैं देश का इतना बड़ा महत्वपूर्ण पद संभाल रही हूंँ, ऐसे हादसे हमारे लिए कोई मायने नहीं रखते। 

“कितनी छानबीन की थी कार्तिक के बारे में लेकिन कहांँ, सही जानकारी मिल पाती है आजकल लड़कों के बारे में… कि उनका पिछला इतिहास क्या है?” एकता बोली।

सुरभि ने प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वह यूपीएससी नहीं निकाल लेती तब तक वह विवाह नहीं करेंगी। एकता भी उसके इस फैसले पर सहमत थी। 

जिन्दगी की खुशियां – माता प्रसाद दुबे

सुरभि ने तीसरी बार में यूपीएससी निकाल लिया। घर एवं रिश्तेदारों में एक खुशी की लहर आ गई। सुरभि और घर वालों का सपना पूरा हुआ।

माता-पिता ने सुरभि की सहमति से उसके लिए विवाह के लिए विज्ञापन दें दिया। विज्ञापन देखकर रिश्तों की भरमार लग गई। उसमें से सही रिश्ता चुनना बहुत मुश्किल हो रहा था। सब कुछ देखने के बाद कार्तिक का बायोडाटा घर वालों एवं सुरभि को पसंद आया। 

कार्तिक एक मल्टीनेशनल कंपनी में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत था। आकर्षक वेतन एवं सभी सुविधाओं से परिपूर्ण था। कार्तिक की तस्वीर भी मनोहारी थी। सुरभि एवं घरवालों की सहमति से कार्तिक के लिए हांँ कह दिया गया। 

आज दोपहर बारह बजे सभी लोग कार्तिक के घर पहुंचे।कार्तिक सचमुच तस्वीर से भी ज्यादा सुंदर एवं आकर्षक था। घर वालों को वह एक नजर में ही भा गया। बातचीत में हंसने हंसाने वाला उसका स्वभाव था। कार्तिक के घर वाले भी बहुत सुलझे हुए और शांत स्वभाव के लगे। कुल मिलाकर सुरभि और उसके परिवार को घर, वर दोनों भा गए। सुरभि ने इस रिश्ते के लिए हांँ कर दी। 

सुरभि की मांँ एकता जी ने सुरभि के विवाह के लिए बहुत सपने देखे थे। वह खुश होकर एक- एक सपने को साकार कर रही थी। सारा दिन अपनी मनपसंद की शॉपिंग करती और रात में रिश्तेदारों की लिस्ट देखती, कहीं कोई भी रिश्तेदार न रह जाए। याद कर-करके सबको निमंत्रण देने में उसे बहुत खुशी हो रही थी। आखिर हो भी क्यों न…  उनकी इकलौती बेटी सुरभि का जो विवाह था। 

पूरा परिवार सुरभि के विवाह की तैयारी में जुटा हुआ था सुरभि छुट्टी लेकर घर आ गयी। वह माता-पिता की तैयारी में अपनी पसंद और  नापसंद बताकर कामकाज में मदद कर रही थी।  दिन में कई बार कार्तिक के साथ सुरभि की बातचीत होती रहती। अक्सर बाहर भी वह लोग घूमने फिरने, मूवी देखने का कार्यक्रम रखते थे। 

खुशियों की बहार – पुष्पा जोशी

सुरभि की प्री वेडिंग फोटोस आज सूट होने थे वह अपनी खूबसूरत यादों को कैमरे में कैद करवाने के लिए आतुर थी। एकता जी अपनी बेटी को खुश देखकर फूली नहीं समा रही थी। उनकी नजर में सुरभि और कार्तिक से बढ़कर और कोई जोड़ी हो ही नहीं सकती है। वह इतना अच्छा घर, वर पाकर निहाल थी। भगवान का धन्यवाद दे रही थी कि उसकी बेटी के लिए इतना अच्छा सुयोग्य वर मिला।

एकता जी ने पूरे मोहल्ले में स्वयं घर-घर जाकर निमंत्रण दिया था। अपनी इकलौती बेटी की विवाह में कोई कमी न रह जाए। रात दिन जाग- जाग कर वह चीजों को लिख कर पूरा कर रही थी। 

विवाह के तीन दिन बाकी रह गए थे। घर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। घर के आसपास के रास्तों में कालीन बिछाई गई, किसी रिश्तेदार के पैर जमीन पर न पड़े। गेस्ट हाउस तक जाने के लिए रास्ते में कालीन और पेड़-पौधे तक सजायें गये। गेस्ट हाउस तीन दिन पहले से ही ले लिया गया था। रिश्तेदारों की आवाजाही शुरू हो गई थी। एकता जी ने कहीं कोई भी कसर बाकी नहीं रखी थी। 

बेटी के विवाह के लिए दूर-दूर से हलवाइयों को बुलाया गया था। मिठाई और तरह-तरह के व्यंजनों को बनाना शुरू हो गया। सभी रिश्तेदार ऐसा भव्य विवाह देखकर अचंभित थे, उन्होंने ऐसा विवाह पहले कभी नहीं देखा था। 

महिला संगीत चल रहा था सब अपने-अपने पसंद के गानों पर थिरक रहे थे। आखिर में सुरभि की सभी सहेलियों ने मिलकर सुरभि को भी स्टेज पर डांस करने के लिए खड़ा कर दिया। वह थोड़ी देर तो लजाती रही, फिर उसने नाचना शुरू किया, एवं नीचे बैठे अपने माता-पिता को भी पकड़ कर स्टेज पर ले गई। तीनों को मिलकर डांस करते  देख लोग यही कह रहे थे… जैसे कोई मूवी देख रहे हैं!

एकता जी के चेहरे को देखकर एकदम स्पष्ट हो रहा था कि वह आज के मौके की कब से तलाश में थी। 

बारात दूसरे शहर से रवाना हो गई थी। कार्तिक और सुरभि लगातार फोन में एक-एक पल की जानकारियां ले रहे थे। दोनों ही बहुत खुश थे। एकता जी ने बारात का  रास्ते में एक अच्छे रेस्टोरेंट में नाश्ता पानी का बंदोबस्त कर दिया। क्योंकि बरात आने में कम से कम दो घंटे का समय लगेगा। 

यही तो है जिंदगी – गोमती सिंह

आज सुरभि की विवाह था। पूरा मोहल्ला सुबह से ही गेस्ट हाउस में ही उमड़ पड़ा। दो दिन तक सभी का खाना पीना गेस्ट हाउस में था। मोहल्ले वाले बहुत खुश हो रहे थे।

नियत समय पर बारात आ गई। सुरभि और कार्तिक ने एक दूसरे को देखा तो देखते ही रह गए ….जैसे यह अनूठा जोड़ा आसमान से उतर कर आया है। 

बारात का स्वागत करने के पश्चात जयमाला की रस्म के लिए कार्तिक स्टेज पर आ गया। तभी सामने से सुरभि अपनी सहेलियों के साथ आती दिखी। ऐसा लग रहा था मानो चांँद जमीन पर उतर आया हो। 

सुरभि और कार्तिक की धूमधाम से जयमाला संपन्न हुआ। यह दृश्य देखकर सभी के मुख से एक ही बात निकल रही थी जैसे कार्तिक और सुरभि को भगवान ने एक दूजे के लिए ही बनाया है। 

सभी अपने खुशी के रंग में रंगे हुए थे तभी अचानक सामने पुलिस के साथ एक लड़की चिल्ला कर बोल रही थी… यही है! यही है!

कोई कुछ समझ पाता, तब तक वह लड़की चिल्ला कर बोली- कार्तिक मेरा पति है। इसके साथ मेरा विवाह तीन साल पहले हो चुका है। मैं दूसरे शहर में रहती हूँ, कार्तिक  मुझे कितना बड़ा धोखा देकर यहां अपना विवाह रच रहा है…!  एकता जी एवं उनके परिवार के ऊपर मानो आसमान गिर पड़ा हो। ऐसी अनहोनी की आशंका उन्हें कभी नहीं थी। कार्तिक एवं कार्तिक के परिवार वालों ने ऐसा क्यों किया??

कार्तिक के घर वालों ने कार्तिक के पहले विवाह की जानकारी नहीं होने की, सफाई देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया।

एकता जी के परिवार वालों ने तो छानबीन की थी, लेकिन ऐसा कुछ पता नहीं चल पाया था। 

पुलिस के साथ आई हुई लड़की का नाम नेहा था। उसने बताया तीन साल पहले वह दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते थे और वही विवाह कर लिया था। इसके बाद कार्तिक का दूसरे शहर में तबादला हो गया। वह इस महानगर में आ गया। नेहा उसी शहर में रह गई।

नई जिंदगी – डाॅ उर्मिला सिन्हा

माना कि विवाह उपरांत ही हम दोनों के बीच में ज्यादा पटती नहीं थी। आए दिन लड़ाई झगड़ा होता था। इसका मतलब यह तो नहीं कि कार्तिक दूसरा विवाह कर ले। मुझे बहुत मुश्किल से इस विवाह की जानकारी मिल पाई। अगर थोड़ी देर और हो जाती है तो मेरा तो सब कुछ लुट जाता।

सभी रिश्तेदारों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले?? कार्तिक, सुरभि से नजरें नहीं मिला पा रहा था। सुरभि ने कार्तिक से कहा आखिर तुमने ऐसा क्यों किया..? 

क्यों किसी लड़की की भावनाओं के साथ खेलते रहे।

तुम, नेहा और मेरे दोनों के गुनाहगार हो..! आज इतने बड़े समारोह में मेरी शादी टूटने के बाद हम सब पर क्या गुजरेगी कभी सोचा है..?

तुमने आखिर ऐसा क्यों किया?? 

कार्तिक सुरभि की किसी बात का जवाब नहीं दे पाया और मौन साधे हुए जमीन की तरफ देखता रहा। कुछ समय बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया, और कार्तिक को लेकर चली गई। नेहा भी उनके साथ-साथ चली गई। पूरे गेस्ट हाउस में एक सन्नाटा पसर गया आखिर यह कैसा विवाह था।

कुछ समय पहले यहां खुशियां चहक रही थी अब चारों तरफ मातम का माहौल हो गया। 

सुरभि ने अपने माता-पिता को संभालते हुए कहा मम्मा संभालो अपने आप को और मजबूत बनो। एकता सुरभि को देखकर रो पड़ी और बोली अब कैसे….. कहते-कहते उनका गला रूंध गया। मम्मा गलती हम लोगों ने नहीं की है फिर हम लोग क्यों दुखी हों..? गलती कार्तिक ने की है उसकी सजा तो उसे जरूर मिलेगी… यहां भी और ईश्वरी शक्ति से भी।

– सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

स्वरचित, मौलिक अप्रकाशित 

हल्दिया पश्चिम बंगाल

#शुभ विवाह

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