परिवार – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

एक सूंदर सा कपल, साथ मे 6-7 साल का बच्चा ओर 75-80 साल का बजुर्ग, होटल में खाना खाने के लिये गए। कपल को देखते ही वेटर लगभग भागता हुआ आया और गुड़ मोर्निंग बोलता हुआ, बजुर्ग का हाथ पकड़ कर साइड टेबल पर ले गया, कुर्सी खीचकर, बजुर्ग को बैठाकर चला गया। थोडी देर बाद पानी लेकर वेटर फिर आया और खाने का आर्डर लेकर चला गया।

परिवार काफी सभ्यता से बैठा था। खाना आया और आदमी ने बजुर्ग को खाना प्लेट में लगाया और लेडी ने बच्चे की प्लेट लगाई और हाथ से खिलाने लगी। बज़ुर्ग के हाथ कांप रहे थे औऱ ठीक से नहीं खा पा रहा था, जिस वजह से दाल संब्ज़ी कपड़ों पर गिर गई। वो आदमी बोला , कोई बात नही पापा, मैं साफ कर देता हूं

और नेपकिन से शर्ट साफ करने लगा। ये देख वेटर जल्दी से आया और बोला, सर, आप खाना खाइये, मैं बाबा को देख लेता हूं कहते हुए नैपकिन से बाबा की शर्ट साफ करके एक नया नेपकिन बिछा दिया ओर पास ही खड़ा हो कर बाबा को खाना खाने में हेल्प करने लगा।

 पास वाली टेबल पर एक परिवार या शायद दोस्त जिसमें 2 कपल ओर एक बच्चा था, और काफी जोर जोर से बातें कर रहे थे और उनका बेटा काफी मस्ती कर रहा था। कभी चम्मच, कभी नेपकिन गिरा रहा था। एक महिला बोली ” मिसिज़ खन्ना, राहुल बहूत नटखट हो गया है, एक जगह आराम से टिकता ही नहीं” ।

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दूसरी बोली, क्या करु मिसिस गुप्ता, इनके सामने ज्यादा ही मस्ती करता है, मेरी सुनता ही नही है। बुजुर्ग के कपड़ों पर दाल सब्जी गिरते देखकर मिसिस खन्ना बोली, वैरी डिसग्स्टिंग, बूढ़े को देखो, पैर क़ब्र में लटके हैं और होटल का चस्का नहीं छूटा। जिस उम्र में पाठ पूजा करनी चाहिये, उस उम्र में चटकाते ले रहा है।

हाँ मिसिस गुप्ता, बूढ़े को जरा भी तमीज़ नही है, बेटे बहु को थोड़ा स्पेस देना चाहिए। तभी राहुल ने मस्ती करते हुए हाथ मारा ओर दाल का बाउल ओर पानी का ग्लास टेबल पर फैल गया ओर मिसिस खन्ना की ड्रेस भी खराब हो गई। मिसिस खन्ना बोली, राहुल बेटा, ये क्या किया आपने? मम्मा की ड्रेस खराब कर दी, कोई बात नही, अब मस्ती मत करना।

मिसिस खन्ना ने बजुर्ग के पास खड़े वेटर को आवाज लगाई और टेबल क्लॉथ वगैरह चेंज करने को बोला। वेटर, जो दोनो लेडीज़ की बाते भी सुन रहा था, बोला, मेम, आप लोग दूसरे टेबल पर शिफ्ट हो जाओ, मैं इसे क्लियर करवा देता हूँ। मिसिस गुप्ता बोली, पहले हमारा टेबल साफ करो, फिर बुड्ढे को अटेंड कर लेना।

वेटर ने कोई रिस्पांस नही दिया ओर अपने काम में लगा रहा। मिसिस खन्ना जोर से बोली, मैनेजर, इधर आओ। मैनजर, जो बजुर्ग फैमिली से परिचित था और काफी देर से इन लेडीज़ ओर उनके बच्चे की हरकतें देख ओर समझ रहा था, पास आया, ओर बोला यस मेम? मिसिस गुप्ता ने अपना टेबल क्लियर करने की लिए बोला। मैनेजर ने भी वही कहा जो वेटर ने कहा था।

मिसिस गुप्ता का ईगो हर्ट हो गया ओर वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैनेजर ने बोला, मेम, प्लीज शांत हो जाओ, सब लोग आपको देख रहे हैं, आप दूसरे टेबल पर शिफ्ट हो जाओ, मैं फ्रेश प्लेट्स लगवा देता हूं। बजुर्ग फैमिली, लेडीज को नज़र अंदाज़ करते हुए आराम से खाना खा रही थी जिसकी वजह से लेडीज ज्यादा परेशान हो रही थी।

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मिस्टर गुप्ता ओर मिस्टर खन्ना इस सब से अनजान बने अपने अपने मोबाईल पर लगे हुए थे औऱ प्लेट में ठीक ठीक बचा हुआ खाना खा रह थेे। शायद उनकी बीवियां अपने पतियो की सुनती ही नही होंगी, इसलिए वो दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे। जब काफी देर तक समझाने के बाद भी लेडीज नही मानी तो मैनेजर ने साफ साफ कह दिया,

या तो आप दूसरे टेबल पर चले जाओ  या 10 मिनिट वेट करो जबतक ये बजुर्ग फैमिली खाना ख़त्म नही कर लेती, ओर अगर आपको दोनो बाते पसंद नहीं है तो आप लोग जा सकते हो। मिसिस खन्ना बोली, उस फैमिली में ऐसा क्या है जो उन्हें इतनी इम्पोर्टेन्स दी जा रही हैं? मैनेजर बोला, हम हर बजुर्ग को अपने माता पिता समझते हैं और उनका सम्मान करते हैं।

जिन माता पिता ने बचपन मे हमें खाना खिलाना सीखते हुए न जाने कितनी बार हमारे कपड़े/ मुँह बिना कुछ बोले साफ किये होंगे, ओर आज आप तो केवल देख कर ओर बिना कुछ किये ही न जाने क्या क्या बोल गये। ये सब संस्कार हैं, कल आपका बेटा आपकी जगह होगा और आप उस बजुर्ग की जगह, तब शायद आपको अहसास होगा।

ये परिवार बरसों से हर ख़ुशी के मौके जैसे, जन्मदिन, शादी की सालगिरह वगैरह पर हमारे यहाँ आते हैं, ओर आज बाबा का जन्मदिन हैं। बाबा ने अपना फर्ज खूब निभाया है, आज बेटा बहू अपना फर्ज निभा रहे है, ओर कल उनका बेटा। परिवार क्या होता है, शायद आप ये सब नही समझ पाएगी।

मैनेजर की बाते सुनकर मिसिस खन्ना और मिसिस गुप्ता शर्मिदगी महसूस करने लगे और बजुर्ग की टेबल पर जाकर सॉरी अंकल ओर हैप्पी बर्थडे अंकल बोलकर दूसरे टेबल पर जाकर बैठ गए। बाबा ने अपना हाथ हिलाया ओर कपल ने स्माइल पास की, पर कुछ बोले नहीं।

मैनेजर की बातों ने ओर बजुर्ग फैमिली की खामोशी ने मिसिस गुप्ता ओर मिसिस खन्ना को बहुत कुछ सिखा दिया।

जब हम अपने बच्चों की गलतियों को माफ  कर सकते हैं तो अपने माता पिता की गलतियों को क्यो नहीं, जिन्होंने अपना सारा जीवन हमें बनाने में लगा दिया ? 

 

लेखक

एम पी सिंह

( Mohindra Singh)

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

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