• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

परिवार – के कामेश्वरी 

बात अस्सी के दशक की है । मेरे घर में मैं बड़ी बहू थी । मेरे तीन देवर थे । हमारी शादी के दो साल बाद दूसरे देवर की शादी हो गई थी । अब हम सब मिलकर तीसरे देवर की शादी कराना चाहते थे जो शिपयार्ड में नौकरी करते थे । 

उनके लिए बहुत से रिश्ते आ रहे थे । मेरी सासु माँ को पसंद नहीं आ रहे थे ।मैं आप सभी को बता दूँ कि हमारे घर में सासु माँ जो कहती हैं वह पत्थर की लकीर से भी बढ़कर होती थी । हमारे देवर या सारे भाई यही सोचते थे कि माँ की पसंद याने घर में शांति होगी ।

एक दिन सुबह सुबह एक बुजुर्ग व्यक्ति हमारे घर पहुँच गए थे और उन्होंने कहा कि मेरी एक बेटी है जिसने बी ए किया है जिसका रिश्ता लेकर आया हूँ । 

सासु वहीं खड़ी थी उन्होंने थोड़ी अकड़ दिखाई और कहा कि मेरे बेटे के लिए तीन चार रिश्ते आए हैं उनमें से कुछ भी नहीं जँचता है तो हम आपकी लड़की को देखने ज़रूर आएँगे । वे बिचारे सर हिलाकर अभिवादन करके चले गए थे । 

ससुर ने कहा कि— ऐसा कैसे तुमने कह दिया था कि दो तीन रिश्ते हैं लेकिन कोई भी रिश्ता नहीं है ना फिर तुमने झूठ क्यों कहा । 

सास ने कहा कि— ऐसे ही लोगों को टरकाना चाहिए आपको कुछ भी नहीं मालूम है । 

एक दो हफ़्ते के बाद फिर वे बुजुर्ग एक बार फिर हमारे घर आए थे । मुझे बहुत बुरा लगता था कि लड़की का पिता होना श्राप है क्या?

इस बार सासु माँ ने उनसे कहा कि हम आपके घर ज़रूर आएँगे । 

उनका नाम रामचंद्र था वे तो ऐसे खुश हो रहे थे जैसे शादी ही फ़िक्स हो गई हो । 




हम सब सासु माँ के कहने पर शाम को तैयार होकर लड़की को देखने रामचंद्र जी के घर पहुँचे । 

रमेशचन्द्र जी का भरा पूरा परिवार था । उनके चार बेटे और तीन बेटियाँ हैं । रमेशचन्द्र जी रेलवे में नौकरी करते थे क्वार्टर मिलता था। बच्चों ने रेलवे स्कूल में ही पढ़ाई की थी । 

बड़ा बेटे को रेलवे में ही नौकरी मिली तो वह रेलवे में ही नौकरी कर रहा है । दूसरा बेटा बैंक में है । तीसरा बेटा एल आई सी में है चौथा बेटा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है । दो बेटियों की उन्होंने शादी करा दी थी एक बैंगलोर में रहती है और एक हैदराबाद में रहती है । यह उनकी सबसे छोटी बेटी थी जिन्हें हम देखने आए थे । 

रमेशचन्द्र जी ने बताया था कि रिटायर होने के पहले ही उन्होंने यहाँ एक बहुत बड़ा दो मंज़िला घर बनवाया लिया था । रिटायर होने के बाद अपने बच्चों के साथ यहीं रहने आ गए हैं । 

बड़े बेटे की शादी हो गई है वह अपनी पत्नी को लेकर रेलवे क्वार्टर में ही रहने लगा है । बाकी के तीन बेटे और बेटी राधा के साथ मिलकर रह रहे हैं। 

तीनों बेटों की भी शादियाँ हो गई हैं । 

रामचंद्र जी ने अपने पूरे परिवार के सदस्यों के साथ हमें मिलाया और अंत में बताया था कि यह मेरी छोटी बेटी राधा है इसने डिग्री कर लिया है । माँ की मदद करती है । उस समय हम सब ने देखा कि एक महिला व्हीलचेयर पर थी । 

रामचंद्र जी ने कहा कि— यह मेरी पत्नी है सुगंधी एक साल पहले इसे पेरालेसिस स्टोक आ गया था जिससे उनका आधा शरीर सुन्न पड़ गया है । यह सुनकर हम सब ने अफ़सोस ज़ाहिर किया । 

उनकी बड़ी बहू हम सबको घर दिखाने ले गई । हमने देखा ऊपर एक कमरा एक रसोई ऐसा बना हुआ था । एक बहुत बड़ा हाल था जिसमें दो डाइनिंग टेबल डले हुए थे । 

जब हम नीचे पहुँचे तो रामचंद्र जी ने कहा कि आप लोगों को आश्चर्य हुआ होगा हमारे घर को देख कर लेकिन मैं बता दूँ कि मेरी पत्नी ही थी जो परिवार को बाँध कर रखती थी । 




जब तक वह ठीक थी घर का बहुत सा काम वह खुद कर देती थी । स्पेशली खाना बनाने का काम वही करती थी। सुबह चार बजे उठकर सबकी पसंद नापसंद को ध्यान में रखते हुए खाना बनाकर सबके लिए बॉक्स बाँधकर देती थी । 

जब वह बीमार हो गई थी तो हम दोनों ने सोचा कि कल को घर में कलह होने की सँभावना ज़्यादा है क्योंकि एक बहू कहेगी मेरा पति दस बजे ऑफिस जाता है तो मैं पहले क्यों इतने लोगों के टिफ़िन बनाऊँ दूसरी तीसरी सबकी अपनी अपनी शिकायतें होंगी और उनके बीच मनमुटाव के कई कारण हो सकते थे।

  इसलिए हम दोनों ने मिलकर यह निर्णय लिया था कि अपने बच्चों को घर में ही रखेंगे। सिर्फ़ वे लोग रसोई अलग अलग पकाएँगे परंतु रहेंगे साथ ही । इस तरह हम दूर रहकर भी पास हैं हम नहीं चाहते थे कि परिवार पास रहकर दूर हो जाए । तीज त्योहार में हम सब एक जगह मिलकर खाते हैं मस्ती करते हैं । 

आज देखिए बहन को देखने आप आए और हमारा परिवार एक साथ मिलकर है । 

ऐसा कहते हुए उनकी आँखों में एक चमक आ गई थी।

 हम सब चाय पीने के बाद जाने लगे तो हर बार की तरह सासु माँ ने कहा कि घर जाकर सोच विचार करके आपको खबर कर देंगे । 

हम वापस आ रहे थे सब लड़की के बारे में बात कर रहे थे और मैं रामचंद्र जी और उनके सोच के बारे में सोच रही थी । कितनी अच्छी बात उन्होंने कही थी कि पास रहकर दूर रहने के बदले दूर रहकर पास रहना ज़्यादा अच्छा है । 




मुझे लगता था कि राधा इस घर की बहू बनेगी तो परिवार को बाँध कर रखेगी। मुझे मालूम नहीं था कि सास और देवर के बीच क्या बात हुई थी परंतु उन्हें खबर भेज दिया गया था कि लड़की पसंद नहीं आई है । 

मुझे बहुत बुरा लगा पर मेरे हाथ में तो कुछ भी नहीं है । मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि राधा को अच्छा परिवार और अच्छा पति मिले । 

दोस्तों परिवार को जोड़ने का काम सिर्फ़ बड़े ही नहीं बच्चों का भी होता है । सब मिलकर ही परिवार को एक बनाकर रख सकते हैं। रामचंद्र जी और उनकी पत्नी के समान सोच रखें तो हम अपने परिवार में शांति बनाये रखने में कामयाब हो जाएँगे । 

स्वरचित

के कामेश्वरी 

साप्ताहिक विषय—

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!