पापा चले गए – रीटा मक्कड़

कितने खुश थे उसदिन पापा

बिटिया का रिश्ता जो तय हो गया था और वो भी बहुत अच्छे घर मे।लड़का भी बेऐब बहुत हैंडसम और मेहनती था। पढ़ीलिखे और खानदानी लोग थे। जिसने रिश्ता करवाया वो भी पापा के बहुत करीबी जानकारों में से था इसलिए उन्हें मन से बहुत तसल्ली थी कि अब उन्हें बेटी की कोई चिंता नही।उस घर मे हमेशां सुखी रहेगी वो।

अब बस एक ही तमन्ना थी कि बिटिया के हाथ पीले करके हरिद्वार गंगा स्नान के लिए जाऊंगा। जो भी बधाई देने आता सबको यह कहते।

सगाई के कुछ दिन बाद ही पापा का एक दिन एक्सीडेंट हो गया। जिस स्कूटर पर जा रहे थे अचानक से उसके ब्रेक खराब हो गए और स्कूटर बहुत जोर से सामने दीवार में लगा।लेकिन पापा की जैसे भगवान ने हाथ देकर रक्षा की। बस थोड़ी बहुत खरोंचे आयी। फिर जो भी खबर लेने आता सबको यही कहते ,देखा मुझे भगवान ने कुछ नही होने दिया क्योंकि मैंने बेटी का कन्यादान जो करना है ।

और  ठीक होते ही फिर लग गए शादी की तैयारियों में। समय जो कम बचा था शादी में। हर रोज शॉपिंग जाना होता। कभी कोई काम कभी कोई। सारी तैयारियां हो गयी। अपनी बड़ी बेटी को( मुझे )भी उन्होंने बोल दिया कि अपना समान पैक करके रखे मैं तुझे शादी से कुछ दिन पहले लेने आऊंगा।

शादी के कार्ड भी छप गए। दोनो तरफ के। लड़के वाले भी खूब जोर शोर और उत्साह से शादी की तैयारियों में लगे हुए थे।  शादी को सिर्फ दस दिन ही बचे थे।उसदिन पापा बाहर वाले रिश्तेदारों के कार्ड पोस्ट करने स्टेशन गए क्योंकि उन्हें था कि जल्दी पहुंच जाएंगे और फिर उसदिन वो सारा दिन बाजार घूमते रहे। उस दिन शादी के लिए मिलनी के कम्बल भी ले कर आये। सारा दिन खूब लोगों से मिले। शाम को जब घर आये तो सबको मिलनी वाले कम्बल खोल खोल कर दिखा रहे थे। …..


 अचानक से पापा को जोर जोर से खांसी आने लगी और सांस उखड़ने लगी। जल्दी से पास में ही फैमिली डॉक्टर था उसको बुलाया गया। उसने बोला जल्दी से हॉस्पिटल ले जाओ। हॉस्पिटल पहुंच भी गए लेकिन उनकी सांस ऐसी उखड़ी कि अस्पताल में डॉक्टरों ने जो आक्सीजन लगाई वो भी उनकी कोई मदद नही कर पाई।

और फिर डॉक्टरों ने बोल दिया कि पापा हम सब को हमेशां के लिए छोड़ कर चले गये।

जो पापा सबको कहते फिर रहे थे कि बिटिया का कन्यादान करके गंगा स्नान के लिए जाऊंगा उनके शरीर के अवशेष शादी से पहले ही गंगा में पहुंच गए।

और जिसदिन उन्होंने बड़ी बेटी को ससुराल से लेने आना था उसदिन वो बेटी सबके साथ पापा की अस्थियां जलप्रवाह करने सबके साथ हरिद्वार गयी हुई थी।

 जिसदिन घर में शादी की शुरुआत थी उसदिन पापा का उठाला  भी हो गया।

जिन रिश्तेदारों को वो शादी के कार्ड पोस्ट करके आये थे वो उनकी मौत की खबर सुन कर आ गए। शादी के कार्ड उन्हें बाद में मिले।

वो कहते हैं ना हम जाने क्या क्या प्लानिंग करते रहते हैं।लेकिन ईशवर ने जाने क्या सोच रहा होता है  होनी बडी बलवान है ।ईशवर के लिखे को कोई भी बदल नही सकता। उसने जो करना है वो तो हर हाल में हो कर ही रहता है।

मौलिक और सत्य घटना पर आधारित

रीटा मक्कड़

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