पगला दीवाना – कमलेश राणा

आशीष ने बहुत कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था,, पिता ने दूसरा विवाह नहीं किया कि पता नहीं, नई मां बच्चे को अपना पायेगी या नहीं,, 

वह अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे,, कभी भी उन्होंने उसे मां की कमी का अहसास नहीं होने दिया,, उसके लिये नये नये व्यंजन बनाते और सारे काम खुद ही करते,, 

बड़े सुकून की जिंदगी चल रही थी उनकी,, इंटर पास करने के बाद वह पढ़ाई के लिये पुणे चला गया और एम टेक करने के बाद अच्छी कंपनी में जॉब मिल गई,, पैकेज बहुत शानदार था,, 

अब बच्चे बड़े होते हैं तो रिश्ते तो आते ही हैं,, आशीष की जॉब लगने की खबर के बाद तो सगाई वालों की लाइन लग गई,, उसके पापा चाहते थे, कोई घरेलू लड़की को बहू बनायें ताकि वह ठीक से घर संभाल ले,, 

बिना गृहणी के घर बहुत सूना सूना और बेतरतीब होता है,, उन्हें लगता था बहू के आने से घर में रौनक आ जायेगी,, सालों बाद वे भी घर गृहस्थी के झंझटों से मुक्त हो जायेंगे,, इसीलिए वो बहुत देख परख कर बहू लाना चाहते थे,, 

आखिर उन्हें एक लड़की पसंद आ ही गई,, आशीष ने यह फैसला पिता पर ही छोड़ रखा था,, 

लेकिन लड़की की मां चाहती थी कि उनकी बेटी अधिक दूर न जाये,, आशीष वहीं पास में ही कोई जॉब देख ले,, उस समय किसी ने भी इस बात पर गहराई से विचार नहीं किया,, बात आई गई हो गई और शादी भी हो गई,, 

एक दो साल तो आराम से गुजर गये लेकिन बाद में बहू ने मां बाप के कहने में आ कर उसपर दवाब बनाना शुरु कर दिया कि वह मुंबई से यहाँ शिफ्ट हो जाये,, रोज रोज की चिक- चिक से परेशान हो कर वह जॉब छोड़ कर घर आ गया,, 

कुछ दिन बाद अचानक उसके पिता को हार्ट अटैक आया और वो इस दुनियाँ से चले गए,, आशीष को अपने पिता से बहुत प्यार था,, इससे उसे बहुत सदमा लगा और वह बहुत उदास रहने लगा,, नौकरी भी नहीं थी अत: दिन काटना भारी हो जाता,, 

आस पास के इंडस्ट्रियल एरिया में जो जॉब मिल रही थी वो उसके मन की नहीं थी और पैकेज भी काफी कम था,, धीरे धीरे निराशा घेरने लगी उसे,, 


पत्नी सीमा पर ही सारे दिन ध्यान केंद्रित रहता उसका,, दोनों में ही बहुत प्यार भी था,, वह सीमा को एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता,, वह खाना बनाती तो किचिन में कुर्सी डाल कर बैठ जाता,, फोन पर बात करती तो कान लगा कर सुनता,, एक डर सा बैठ गया था उसके अंदर कि कहीं यह भी मुझे छोड़कर न चली जाए,, 

मगर इतना ज्यादा चिपकना भी तो नहीं सुहाता,, हर किसी को थोड़ा स्पेस चाहिये होता है,, हद तो तब हो गई जब वह छत पर कपड़े डालने जाती तो भी साथ जाने लगा,, फ्रेश होने जाती तो गेट ही खटखटाता रहता,, 

अब सीमा को समझ आने लगा था कि यह स्थिति नॉर्मल नहीं है,, ये पागलपन के लक्षण थे,, उसने फोन करके अपनी माँ और भाई को सारी बातें बताई,, अगर वह उसकी बात नहीं मानती तो बुरी तरह पिटाई भी करता,, परेशान हो चुकी थी वो ऐसी दीवानगी से,,पड़ोस में किसी से बात नहीं कर सकती थी,, घर में कोई सपोर्ट करने वाला नहीं था,, अब उसको इस प्यार से डर लगने लगा था,, मारपीट करते समय वह अपने होशोहवास खो बैठता,, लगता, मार ही डालेगा,, 

भाई को बुलाकर उसने कुछ दिन के लिए आशीष को अकेला छोड़ना उचित समझा,, उसे लगा इससे स्थिति सामान्य हो जायेगी,, 

भाई के साथ भी उसने गाली गलौज की तो उसने उस पर हाथ उठा दिया,, मामला और भी बिगड़ गया,, अब वह बहन को वहाँ छोड़ने को बिल्कुल तैयार नहीं था,, 

जब सीमा रिक्शे में बैठने लगी तो वह रोने लगा,,मैं मर जाऊँगा, जी नहीं पाऊँगा तुम्हारे बिना,, मत जाओ सीमा,,रुक जाओ,, लटक गया वह रिक्शे से,, 

पर उस दिन सीमा न जाने कैसे, बिल्कुल पत्थर बन गई थी,, उसका करुण क्रन्दन भी सीमा के हृदय को बेध नहीं पा रहा था,, और वह उसे बिलखता हुआ छोड़कर चली गई,, 

दो दिन बाद रास्ता चलते लोगों को महसूस हुआ कि उनके घर से बदबू आ रही है,, पुलिस को सूचना दी गई,, अंदर बैड पर आशीष सीमा की फोटो को सीने से लगाये चिरनिद्रा में लीन था,, 

सीमा को सूचना दी गई,, वह रोती जा रही थी और कह रही थी,, तुम्हारी हद से ज्यादा दीवानगी ने हमारी जिंदगी को नरक बना दिया,, 

कमलेश राणा

ग्वालियर

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