पड़ गयी कलेजे में ठंडक – अनामिका मिश्रा : Moral Stories in Hindi

दो दोस्त थे अशोक और दीपक। दोनों गांव में पले बढ़े थे। अशोक बहुत महत्वाकांक्षी नहीं था,वो गांव में ही किसानी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था।उसी जगह दीपक शहर में रहकर काम करना चाहता था और उसकी इच्छा भी पूरी हो गई।दोनों के स्वभाव विपरीत थेपरंतु मित्रता घनिष्ठ थी। 

एक बार दीपक अपने गांव आया काफी वर्षों के बाद,और अपनी बेटी  को लेकर अशोक से मुलाकात करने वो उसी के खेत पर गया। 

अशोक,”अरे दीपक तुम्हें देखकर बचपन के दिन याद आ गए खेतों में मस्ती किया करते थे,अरे बिटिया इतनी बड़ी हो गई।”फिर उसने दीपक की बेटी को देखते हुए कहा,”बिटिया तो बहुत मॉडर्न है” क्या कर रही है?”

दीपक ने कहा,”डॉक्टर बनेगी,नीट की तैयारी कर रही है।”

अशोक दीपक को किनारे ले जाते हुए कहने लगा,वो सब तो ठीक है पर ये कपड़े कैसे पहने हैं,गांव वाले ऐसे कपड़ों में बिटिया की चर्चा करेंगे।”

वृद्धाश्रम – सीमा पण्ड्या

दीपक ने कहा,”अरे यार तुम भी,मैं तो कहता हूं आजकल का चलन यही है, तुम भी बेटियों को मेरे पास भेजो,शहर का चलन सीख जाएगी,नहीं तो लोग मज़ाक उड़ाएंगे और पढ़ा लिखा लड़का भी नहीं मिलेगा शादी के लिए।”

 अशोक- “ना   ना मेरी बेटियों को मैंने भी संस्कार दिए हैं ,लेकिन आगे जैसी उनकी मर्जी,जो भाग्य में उनके होगा,आजकल बच्चों को हम कुछ भी कह नहीं सकते।”

आजकल तो मोबाइल का चलन है।सोशल मीडिया में अशोक ने एक वायरल रील में देखा कि दीपक की बेटी छोटे कपड़े पहन कर किसी गाने पर डांस करते हुए रील बनाकर डाली है। इस विषय में उसने दीपक को कुछ नहीं कहा। पर अशोक बहुत कुछ समझ चुका था। 

अगले दिन दीपक लौटने लगा,तो अशोक ने कहा,”जा तेरी बेटी को आशीर्वाद देता हूं,वो  एक दिन बहुत बड़ी डॉक्टर बनेगी।” 

ऐसी रील अशोक तो देखा ही करता था।वो चिंतित हो गया अपनी बेटियों के लिए भी कहीं ये दोनों भी तो ऐसे नहीं बनेंगीं! 

करीब एक महीने बाद

अशोक खेत पर काम कर रहा था।अचानक उसकी बेटी दौड़ती हुई आई और कहने लगी “पिताजी ये देखो मैंने यूपीएससी निकाल लिया है अखबार में छपा है।”

अशोक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा छोटी बेटी सी ए बनना चाहती थीतो उसकी तैयारी में लगी हुई थी। 

अशोक याद करने लगा दीपक के व्यंग्य को जो उसने कहा था,”अरे अशोक,तुम अभी पिछड़े हुए हो बचपन से ही तो तू गांवली था,बेटियों को भी वही बना दिया तूने,गांव में पढ़ा लिखा कर कोई फायदा नहीं,शहर में कोई इनकी पढ़ाई की कद्र नहीं करेगा,लोग मजाक उड़ाएंगे।”

मुखौटे पर मुखौटा – सुषमा यादव

अगले दिन बेटी को शहर जाना था,उसी शहर में जहां दीपक रहता था। 

अशोक भी बेटी के साथ गया और मिठाई का डब्बा लेकर वह दीपक के घर गया। वहां जाकर दीपक को उसने अपनी बेटी की उपलब्धि को बड़े ही गर्व से दीपक को बताया। 

पर दीपक का चेहरा लटका हुआ था।

अशोक ने पूछा,”क्या हुआ यार तेरा चेहरा लटका हुआ क्यों है?”

दीपक ने उदास होकर कहा,”अशोक तुमने सही कहा था,शहर हो या गांव हो बच्चों को संस्कार देना आवश्यक है,मेरी बेटी मुझे ही धोखा दे रही थी,

इतने पैसे लगाए उसके पीछे कुछ न कर सकी और तो और किसी ने मुझे बताया कि वो सोशल मीडिया पर रील बनाकर डालती है,लोग उसे गंदी नज़र से देखते हैं,मैंने उसे समझाया तो कहने लगी पापा ये आजकल का चलन है,समाज में बाहर निकलना मेरा मुश्किल हो गया है,अब कोई अच्छे घर का रिश्ता भी तो उसे नहीं मिल पाएगा”

अशोक ने कहा,” #हां अब तो पड़ जाएगी ना तेरे कलेजे में ठंडक” जब मैं तुझे समझा रहा था,तो तू समझा नहीं, बेटी को माडर्न बता रहा था आजकल के चलन में, पहले तुमने नज़र नहीं रखा कि वह क्या कर रही है और तुमने मुझे ही गांलली बता दिया, 

कोई बात नहीं तुझे इस बारे में जानकारी नहीं थी,पर अभी भी देर नहीं हुई है सख्ती से काम ले,कभी-कभी औलाद के लिए सख्ती बरतनी पड़ती है,कुछ दिनों बाद सब भूल जाएंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा।”

अशोक ने ये भी कहा,”मानता हूं मैं गांव का हूं गांवली हूं,अगर मैं शहर में भी रहता तो शायद अपनी बेटियों को यही समझाता कि हमारी सुंदरता हमारे संस्कार में है,सोशल मीडिया में रील बनाना गलत नहीं है,

सुगनी काकी  – पुष्पा जोशी

लेकिन हम ऐसे रील बनाएं जो समाज के लिए कुछ सकारात्मक संदेश देती हुई हो, ना कि अपनी सुंदरता का प्रदर्शन हमें रील में करना चाहिए,कोई बात नहीं तुम्हारी बेटी को भी समझ में आ ही चुका होगा, इसके नकारात्मक क्या प्रभाव पड़े हैं जीवन में उसने समझ लिय होगा।

हर जगह दो पहलू होते हैं सकारात्मक और नकारात्मक ये

 हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम सकारात्मक पहलू को अपनाये या नकारात्मक पहलू को। बात गांव और शहर की नहीं है,गांव में भी बहुत  ऐसे लड़के लड़कियां हैं जो अपना समय यूं ही बर्बाद करते हैं रील बनाने में माता-पिता घर वाले को उसकी जानकारी भी नहीं हो पाती है,लेकिन ये छुपती भी तो नहीं है,पता तो चल ही जाता है,खैर कोई बात नहीं जब जागो तभी सवेरा उम्मीद करता हूं कि बिटिया अपने ऊपर सुधार करेगी और अपना भविष्य अवश्य संवारेगी ,समाज में लोगों का सही मार्गदर्शन भी करेगी।

स्वरचित- अनामिका मिश्रा

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