निमंत्रण – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

उस शाम राजेश दफ्तर से आए तो बहुत खुश थे| उन्होंने अनुज से कहा, “हम लोग तुम्हें एक सरप्राइज देने की सोच रहे हैं।” फिर अनुज की मम्मी जया को कमरे बुलाया और धीरे धीरे कुछ कहने लगे। अनुज ने देखा पापा मम्मी को एक कागज दिखा रहे हैं। फिर मम्मी की हँसी सुनाई दी। इसके बाद दोनों बाबा के कमरे में गए। बाबा बाहर आए।
उन्होंने अनुज की पीठ थपथपा कर कहा, “अनुज, तुम्हारे पापा बड़े अफसर बन गए हैं। इस ख़ुशी में इस बार तुम्हारे जन्मदिन की विशेष पार्टी होने जा रही है।”
“अरे वाह!” अनुज ने कहा। वह सोच रहा था—”कैसी होगी विशेष पार्टी। कौन-कौन आएगा?” हर बार वह अपने सब दोस्तों को बुलाना चाहता है लेकिन कर नहीं पाता। वह यही सोच रहा था, तभी पापा ने कहा, “अनुज, इस बार तुम अपने सब मित्रों को पार्टी में बुला सकते हो, सोसाइटी के ग्राउंड में होगी तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी।”
सुनते ही अनुज अपने दोस्तों की लिस्ट बनाने में जुट गया। फिर बारी-बारी से फ़ोन करने लगा। इस बीच पार्टी की तैयारियाँ चल रही थीं। टेंट वाला, हलवाई, फूलों की सजावट करने वालों को बुला कर काम समझा दिया गया था। अनुज खुद भी कई बार ग्राउंड के चक्कर लगा कर देख आया था। वह बहुत खुश था।
अनुज के दादाजी भी हर काम पर नजर रख रहे थे। शाम घिर आई। ग्राउंड रंगबिरंगी रोशनियों से जगमगा उठा। मेहमान आने लगे थे। सब अनुज को बधाई दे रहे थे। तभी अनुज के दादाजी ने बेटे राजेश को पास बुला कर कहा, “सब इंतजाम बहुत अच्छा है पर एक बात है।”
“वह क्या?”—राजेश ने पूछा। अनुज के दादाजी ने कहा, “कई बार बच्चों और बूढों को वाश रूम की जरूरत पड़ती है। मैंने जाकर देखा है वाश रूम दूर एक कोने में है। वहाँ रोशनी भी बहुत कम है। मेंहमानों को दिक्कत हो सकती है।”
राजेश कुछ सोच कर बोले, “मैंने सोसाइटी के गार्ड से तेज रोशनी का बल्ब लगाने को कहा था, मैं अभी जाकर फिर कहता हूँ।” और तेज क़दमों से बाहरी गेट की बढ़ गए। गार्ड ने कहा, “बाबूजी, इस समय तो बल्ब बदलना मुश्किल है। हाँ मैं सुबह वाले गार्ड से वाश रूम के पास बैठने को कह सकता हूँ।
1
सुबह वाला गार्ड अभी गया नहीं था। उसने राजेश से कहा, “आप जरा भी चिंता न करें। मैं वाश रूम के पास कुर्सी डाल कर बैठ जाऊँगा। आपके मेहमानों को कोई दिक्कत नहीं होगी। ‘’ राजेश ने कहा, “इसके लिए मैं तुम्हें पैसे दे दूँगा। बस मेहमानों को दिक्कत न हो।”
राजेश निश्चिंत होकर आने वाले मेहमानों के स्वागत सत्कार में जुट गए। केक काटा जा चुका था। मेहमान खाना खा रहे थे। तभी एक महिला राजेश के पास आईं। उन्होंने एक बच्चे का हाथ पकड़ रखा था। बच्चा रो रहा था। महिला ने कहा, “राजेशजी, अब मुझे जाना होगा। गिरने से बच्चे के कपडे गंदे हो गए हैं।”
उन्होंने राजेश को बताया कि वाश रूम के पास अँधेरा था, वहीँ उनका बेटा फिसल कर गिर गया। राजेश बोले—”लेकिन मैंने वहाँ गार्ड की ड्यूटी लगाईं थी। पता नहीं वह कहाँ चला गया, मैं आपसे माफ़ी माँगता हूँ।”
“नहीं नहीं इसमें आपका कोई दोष नहीं हैं।”—कहकर महिला रोते हुए बच्चे को चुप कराती हुई समारोह से चली गईं।
राजेश तेज क़दमों से वाश रूम की ओर चले गए। उस गार्ड के प्रति मन में गहरा रोष उबल रहा था। वाश रूम के पास पहुँच कर राजेश चौंक गए। कुर्सी पर गार्ड नहीं, कोई महिला बैठी थी, राजेश को देखकर वह उठ खड़ी हुई और मुसकरा दीं।
“आप…आप…” राजेश हकलाया।” मैंने तो यहाँ गार्ड की ड्यूटी लगाईं थी लेकिन वह नहीं दिखाई दे रहा है, और आप…”
“मैं रमा हूँ और सामने पहली मंजिल वाले फ्लैट में रहती हूँ।”—महिला ने पहली मंजिल के एक फ्लैट की ओर इशारा कर दिया।
“लेकिन आप यहाँ क्यों और गार्ड…”—राजेश ने पूछा।
रमा ने कहा, “मैं भोजन करने के बाद बालकनी में टहल रही थी, तभी मैंने किसी के कराहने की आवाज सुनी। पहले मैंने कुछ ध्यान नहीं दिया पर आवाज फिर आई तो मैंने आवाज की दिशा में देखा—वाश रूम के पास कुर्सी पर बैठा आदमी पेट पकडे हुए कराह रहा था।”
रमा ने आगे कहा, “मैं नीचे आई और उससे पूछा तो पता चला कि उसके पेट में दर्द हो रहा था। मैंने उसे घर से दवा लाकर दी। उससे एक तरफ लेटने को कहा। लेकिन वह कहने लगा कि आपने उसे ड्यूटी दी है। अगर वह ड्यूटी छोड़कर चला गया तो आप उससे नाराज हो जाएँगे और पैसे भी नहीं देंगें।”
“हाँ मैंने उसे पैसे देने की बात कही तो थी पर…”
“मैं समझ गई कि वह दर्द के बावजूद वहाँ से जाने वाला नहीं। इसलिए मैंने उसे कुछ पैसे देकर जबरदस्ती उसके घर भेज दिया और उसकी जगह खुद यहाँ आकर बैठ गई।”—रमा ने कहा और मुसकरा दी।
राजेश ने पूछा, “आपने कितने पैसे दिए गार्ड को?
“बस बस रहने दीजिये।”—रमा ने कहा। “जो होना था हो गया। सुबह हमें गार्ड की खोज खबर लेनी होगी।”
“मैं खुद जाकर पता करूँगा उसके बारे में।” राजेश ने कहा फिर लज्जित स्वर में बोला, “मैं आपसे माफ़ी माँगता हूँ कि मैंने आपको बेटे की जन्मदिन पार्टी में आमंत्रित नहीं किया।”
2
रमा फिर हँस दी। बोलीं, “राजेशजी, हमारी सोसाइटी में तीन सौ फ्लैट हैं। हर कोई हर किसी को नहीं बुला सकता।” राजेश ने कहा, “जन्मदिन की पार्टी लगभग समाप्त हो चुकी है। फिर भी मैं आपको निमंत्रण दे रहा हूँ। अगर आप आएँगी तो मुझे अच्छा लगेगा।”
“मैं जरूर आऊँगी ।”—रमा ने कहा। आप जाकर मेहमानों को देखिये, मैं तैयार होकर आती हूँ।” कहकर रमा अपने फ्लैट की ओर बढ़ गईं और राजेश विचारों में उलझा हुआ पंडाल में लौट आया।
कुछ देर बाद उसने रमा को एक लड़की का हाथ थामे हुए आते देखा। रमा ने कहा, “यह मेरी बेटी पायल है।” पायल ने अनुज के हाथ में एक गिफ्ट देकर कहा, “हैप्पी बर्थ डे।”
रमा ने राजेश को एक कार्ड देकर कहा, “राजेशजी, अगले रविवार को इसी जगह पायल का जन्मदिन मनाया जाएगा। समारोह के कार्ड आज ही छप कर आए हैं। पहला निमंत्रण आपको दे रही हूँ।”
राजेश कार्ड हाथ में लिए खड़ा रहा देर तक। जाते जाते रमा ने कहा था, “कल सुबह अगर गार्ड ड्यूटी पर न आए तो मैं आपके साथ उसके घर चलूँगी उसका हाल जानने के लिए।”
अगली सुबह रमा और राजेश बीमार गार्ड अनिल को देखने गए| इन्हें देख कर अनिल पलंग से उठ खड़ा हुआ और राजेश से माफ़ी मांगने लगा| उसकी तबीयत अब ठीक थी। उसे अपना ध्यान रखने को कह कर राजेश और रमा लौट आये|विदा लेते समय रमा ने कहा -‘आपको सपरिवार मेरी बेटी के जन्मदिन समारोह में आना है, भूलियेगा मत|’
राजेश सोच रहा था कि कैसे गार्ड अनिल के पेट दर्द की घटना ने उसे अपरिचित रमा से जोड़ दिया था.. क्या अनोखा संयोग था।
(समाप्त )

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