मेरी हम सफर – डा. मधु आंधीवाल

” चलते चलते मुझे कोई मिल गया था “

      सुनिधि बड़ी  गहराई में उतर कर ये गाना सुन रही थी । सोच रही थी जिन्दगी में कभी कभी इतनी आकस्मिक घटनायें घट जाती है जो सोच से परे होती हैं । सुनिधि की परीक्षा चल रही थी एम.ए फायनल दो पेपर रह गये थे । 

रमेश जी का फोन आया- तुम घर कब आरही हो ।

सुनिधि – पापा अभी मेरे आखिरी पेपरों में 10 दिन का अन्तराल है।

रमेश जी —–सुनिधि तुम कल शाम तक घर आओ कुछ जरूरी काम है। तुम्हारे बिना नहीं हो सकता ।

  सुनिधि—पापा इतनी जल्दी रिजर्वेशन नहीं मिलेगा ।

रमेश जी —कैसे भी आओ बस आना है।

        सुनिधि ने अपनी रूम पार्टनर से कहा अमिता पता नहीं किया समस्या आगयी घर में मुझे सुबह ही निकलना है। सुबह वह स्टेशन पहुँची । ट्रेन का समय हो चुका था । जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकी और जो डिब्बा सामने रुका उसी में चढ़ गयी । वह रिजर्व डिब्बा था । गाड़ी चल दी अब वह दूसरे डिब्बे में भी नहीं जा सकती थी । चैकिंग की सोच सोच कर वह बहुत घबड़ा रही थी। सब सवारी अपने में मस्त थी पर एक युवक उसे लगातार देख रहा था और उसकी घबड़ाहट को भांप गया था । उसने पूछा टिकट नहीं है सुनिधि ने कहा बहुत जल्दी थी टिकट तो है रिजर्वेशन नहीं है। गलती से इस डिब्बे में चढ़ गयी । उस युवक ने कहा मेरा नाम निमेष है मै अलीगंज जा रहा हूँ तुमको कहां जाना है। सुनिधि बोली मुझे भी वहीं जाना है।




 इतनी ही देर में टी टी आया सबसे टिकट मांगने लगा । अचानक जब तक टी टी उससे पूछता वह युवक बोला सर यह मेरे साथ हैं  किसी कारण वश इनका रिजर्वेशन नहीं है आप पेनल्टी ले लीजिए टी टी भी समझ गया कि यह झूठ नहीं बोल रहे और उसे सीट दिलवा दी । जब वह घर पहुँची घबड़ाई हुई थी कि पता ना घर में क्या बात होगयी पर घर का माहौल सामान्य था  । मां से पता लगा कि कल उसे लड़के वाले देखने आ रहे क्योंकि वह लड़का विदेश जा रहा है। उसके घर वालों को यदि लड़की पसंद आगयी तो शीघ्र शादी करनी है जिससे उनका बेटा बहू को साथ ले जा सके । सुनिधि बहुत गुस्सा हुई बोली पापा आप मेरे से पूछ तो लेते मुझे अभी शादी नहीं करनी 

मां पापा ने कहा लड़का आई टी इंजीनियर है और उसे कोई सर्विस वाली लड़की नहीं चाहिये । बहुत अच्छा परिवार है।

 लड़का देख लो नहीं पसंद आयेगा तो नहीं करेंगे ।

        दूसरे दिन जब लड़के वाले आये और वह जब ड्राइंगरूम में पहुँची वहाँ निमिष को देख कर चौंक गयी और शर्म से आंख ही नहीं उठा पा रही थी और निमिष वह तो सोच ही नहीं सकता था कि कल की अचानक वाली मुलाकात इतनी हसीन होगी । दोनों की ये मुलाकात एक हसीन जिन्दगी बन गयी । अचानक निमिष ने आवाज दी अरे कहां खो गयी मेरी हम सफर ।

स्वरचित

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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