Tuesday, May 30, 2023
Homeनीलिमा सिंघल बहू या बेटी - नीलिमा सिंघल 

बहू या बेटी – नीलिमा सिंघल 

बबीता का फोन आया तो निशा ने अनमने मन से उठा लिया बबीता वही सब बोल रही थी जिसका अंदेशा था निशा को, ” भाभी,  क्या इकलौती नंद का कोई हक नहीं बनता जो सिर्फ सारे उपहार मायके वालों के लिए खरीदे जाते हैं, आपने तो वाकई सारे कानून बदल डाले। “

निशा अब चुप नहीं रहती थी,तो बोल दिया उसने,” दीदी ऐसा है कि मायके वाले त्योहार की शुभकामनाओं को देने के लिए फोन करते हैं ना कि ताने उलाहने देने के लिए” कहते हुए निशा ने फोन रख दिया। 

निहार ने कहा,” तुम नंद भाभी की बातेँ कभी खत्म होंगी भी क्या,?”

निशा बोली,” अभी, बात खत्म नहीं हुई निहार, अभी तो मम्मी जी भी आती होंगी, “

निशा की बात अभी खत्म ही हुई थी कि कमला जी ने कमरे मे अंदर आते हुए कहा ,” बहु,भाभी और नंद का भी रिश्ता होता है, तुम तो सब भूले बैठी हो, तुम्हें अपने मायके वालों से ज्यादा कोई भाता ही नहीं है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो चली जाओ यहां से” ।

“मैं जानती थी मम्मी जी आप जरूर आयेंगी, पर एक बात बताइए, क्या सास बहु और नंद भाभी का रिश्ता सिर्फ उपहारों के देने तक बना रहता है, जब से इक तरफ़ा उपहारों का रिश्ता निभाना बंद किया है तभी से आपकी और दीदी की नजरों मे बुरी बन चुकी हूं। ” कहते हुए निशा कमरे से निकल कर ऊपर छत पर चली गयी। 

काले बादलों से घिरे चांद को देखते हुए निशा को 5 साल पहले का समय याद आया जब वो बहु बनकर पहली बार इस घर मे आयी थी कितना कोलाहल था, मम्मी जी बार बार बलाएं ले रही थी, बबीता उसकी नंद भाभी भाभी कहकर उसके आगे पीछे घूम रही थी। 




20_25 दिन कैसे निकल गए उसको पता ही नहीं चला, 

फिर एक शाम वो अपने पति निहार के दोस्त के घर गयी थी लौट कर आयी तो उसका सारा कमरा अस्त व्यस्त हुआ पड़ा था, कपड़ों का बैग और

मेकअप किट खुले पड़े थे साथ ही सारे कमरे मे बिखरे पड़े थे, 

निहार ने कहा ” निशा कहीं जाने से पहले कमरे को साफ करके चला करो आकर ये सब बिखरा हुआ अच्छा नहीं लगता  ……..” निहार की बात भी पूरी नहीं हुई थी कि कमला जी ने आकर कहा ” बहु  कुछ दिनों बाद बबीता की शादी की सालगिरह आ रही है, तो मैंने सोचा, बाहर जाकर साड़ी खरीद कर क्यूँ पैसे बर्बाद करूँ, तो तुम्हारे ही बैग से एक साड़ी और कुछ मेकअप का समान मैंने ले लिया है ” कहकर चली गईं ।

निशा ने प्रश्नवाचक निगाहों से निहार की तरफ देखा तो वो सब कुछ समझता हुआ आंखे चुराते हुए बोला,”चलो जल्दी साफ करते हैं और सोते हैं “

निहार का कुछ ना बोलना और साथ ही बिना किसी से पूछे किसी के भी सामान को हाथ लगाना दोनों ही निशा के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। 

पर मां की बातेँ याद आते ही चुप रही, उन्होंने कहा था ‘” वो ससुराल है, मायका नहीं जहाँ तुम्हारी सारी बातेँ मानी जाती हैं, इसीलिए थोड़ा सहना सीखना पड़ेगा बेटा”

सहते सहते 2 साल बीत गए पर निशा चुप रहते हुए भी समझ नहीं पा रही थी कि ये दोनों कैसी हैं 

शादी की तीसरी सालगिरह पर बबीता और उसके पति आए, निशा ने बड़े मन से खाना बनाया था और पनीर तो ऐसा जो किसी भी रेस्तरां को मात देता। 

सतीश यानी कि निशा के नंदोई जी ने बड़े चाव से खाया और बहुत तारीफ की यहां तक बोल दिया “बबीता भाभी से ये सब्जी बनाना सीख लो बहुत स्वादिष्ट है “

सतीश जी की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि मनोहर जी उसके ससुर ने बोला,” हाँ, बेटा सही कहा,  सब्जी तो बहुत ही अच्छी बनी है, बहु नहीं अन्नपूर्णा मिली है हमे:




सुनते ही बबीता का मन खाक हो गया और अपनी माँ को इशारा किया, खाने के बाद कमला जी ने निशा से कहा “बहु, जरा मेरे साथ आना, “

निशा, सास के साथ अंदर कमरे मे गई तो पीछे पीछे बबीता भी आ गयी और बोली,” भाभी खाना बनाना और दिखावा करना दोनों अलग बातेँ हैं, हमारे घर मे ऐसा नहीं चलता, क्यूँ माँ,?”

कमला जी ने कहा ‘” निशा, बहु, क्या बिगड़ जाता अगर तुम कह देती कि पनीर की सब्जी बबीता ने बनाई है “

निशा सुनकर चौंक गयी पर इस बार बोल गयी ‘” मम्मी जी, दिखावे की क्या बात है,  दीदी की ससुराल से तो कोई नहीं आया था, सब घर के ही तो लोग थे जो मैं झूठ बोलती “

बबीता बोली ” माँ, भाभी को कुछ समझ नहीं आएगा इन्हें तो मेरे पति से अपनी तारीफ सुनकर बड़ा मजा आ रहा होगा “

ऐसी बातेँ सुनकर निशा अवाक रह गयी और अपने कमरे मे चली गयी, बाहर निकली ही नहीं बिल्कुल भी ।

एक दिन निहार ने घर आकर अपने बाबुजी (मनोहर जी) को बताया कि 2 घर छोड़कर एक घर मे चोरी हो गयी है, 

तो मनोहर जी मे कहा “बेटा बहु को बोल दो अपने सामान मे ताला लगाकर रखे, सब अपने अपने मे व्यस्त रहते हैं इसीलिए सावधानी बहुत जरूरी है “

निहार ने निशा को सब बताया तो निशा ने अलमारी वगैरा मे ताला लगाना शुरू कर दिया। 

एक शाम बबीता अपने पति के साथ घर आयी तो कमला जी ने निशा को चाय और पकौड़े बनाने का हुकुम दिया और रसोई से बाहर आ गयी। 

निशा ने बेसन घोला ,आलू पालक मिर्च पनीर प्याज काटे और चाय का पानी चढ़ाया, तभी उसके घर से फोन आया कि उसकी माँ की तबियत बहुत खराब है, वो फौरन कमरे मे आयी एक बैग मे कुछ सामान रखा, उसको ऐसा करते देख निहार ने पूछा “क्या हुआ निशा?”




निशा ने कहा “माँ की तबियत बहुत खराब है उन्हें हॉस्पिटल मे एडमिट कराया है, मुझे जाना है “

निहार ने कहा ” मैं चलता हूं तुम्हारे साथ “

दरवाजे से लगी बबीता ने सुना तो भागकर माँ को बताने पहुंची ” माँ, भाभी अपने मायके जा रही हैं “

कमला जी ने आकर निशा को बोला “इस घर की बेटी आयी हुई है और तुझे अपने मायके जाना है,  जाना है तो जा, पर दामाद जी के लिए चाय नाश्ता बनाकर “

निशा बोल उठी “मम्मी जी, दीदी तो हर हफ्ते ही आती है तो आप उन्हें देख लीजिये मेरा जाना जरूरी है, मेरी माँ को मेरी जरूरत है , निहार आप चल रहे हो या मैं अकेली जाऊँ, “

मनोहर जी ने सारी बातें सुनी और निहार से कहा ” बेटा यहां का हम देख लेंगे तुम बहु को छोड़ने जाओ “

कमला जी और बबीता कसमसा कर रह गयी लिए

3 दिन बाद निशा घर वापस आयी तो उसको देखते ही कमला जी बोली ” आ गयी, महारानी, मुझे तो लगा था अब कभी वापस नहीं आओगी,और तुम्हें हम क्या चोर नजर आते हैं जो ताला लगा कर गयी थी “

निशा ने कहा “मम्मी जी मैं सिर्फ अपनी अलमारी मे ताला लगाकर गयी थी, आपको मेरी चीज़ से ऐसी क्या जरूरत पड़ गयी जो मेरे पीछे ही आपको चाहिए थी:

निहार ने कुछ कहने को मुहँ खोला ही था कि कमला जी ने कहा “तू तो चुप ही रह नालायक “

निशा ने कुछ बोलना उचित नहीं समझा और कमरे मे आ गयी पर अपनी सास और नंद का व्यवहार देखकर खुद को बदलने का फैसला कर लिया। 

मनोहर जी ने देखा तो अपनी पत्नी से कहा ” कमला, “खुद को बदल लो, हमारे बुढ़ापे मे बबीता नहीं निशा साथ देगी, वो बहुत अच्छी है “

कमला जी अपने झूले पर बैठी रही। 




निहार पानी पीने बाहर आया तो माँ को झूले पर बैठा देखकर बोला” माँ सो जाओ, 

कमला जी ने निहार को देखा और मुहँ मोड़ लिया,

निहार पास आकर जमीन पर बैठता हुआ बोला ” माँ, आस-पास बहुत चोरियां हो रही थी तो पापा की बात मानकर मैंने ही निशा को अलमारी मे ताला लगाने को बोला था,  माँ तुम याद करो कि तुम जब जब बीमार होती हो तब सिर्फ निशा साथ होती है उन दिनों तो बबीता यहां आकर झाँकती भी नहीं, अब भी समय है सम्भल जाओ,क्यूंकि मैं अब ज्यादा निशा को नहीं रोक पाउंगा “

सारी रात कमला जी अपनी पति और बेटे की बातों का मन्थन करती रही,  

सुबह उठी तो एक ताजगी के साथ, 

बबीता अब भी अपनी माँ को भाभी के खिलाफ भड़काती थी, पर अब कमला जी ने हर बात पर बहु को सुनाना बंद कर दिया था,,पर मानव व्यवहार के अनुसार अब भी कुछ ना कुछ बोलती रहती थी। 

धीरे-धीरे बबीता का भी मायके आना बंद हो गया। 

निशा सारी बाते सोचते हुए नीचे आ गयी और अपने ससुर और पति का दिल से धन्यवाद कर रही थी। 

किसी भी लड़की कटु ससुराल मे रहना सहज हो जाता है जब आपका पति आपकी सही बात पर साथ दे, सोचते हुए निशा मुस्करा दी। 

इतिश्री 

#भेदभाव 

नीलिमा सिंघल

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

error: Content is protected !!