मेरी देवरानी बड़ी सयानी – रश्मि प्रकाश

मेरे और नेहा के बच्चे दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे।  धीरे-धीरे बच्चों की वजह से हम दोनों में भी दोस्ती हो गई दोस्ती वह भी इतनी गहरी अगर हम शाम को रोजाना आधा घंटा ना मिले तो ऐसा लगता था जैसे हमारा दिन पूरा नहीं हुआ है।  नेहा आज कुछ ज्यादा ही अपने काम मे बिजी होगी नहीं तो इस वक्त वो मेरे पास आकर बैठी रहती थी। मै घङी की सुइयो की ओर देखकर सोचने लगी।  हम हर विषय पर खुल कर बात करते ,अपने पति, बच्चों की परेशानी सब बताते । तभी अचानक से दरवाज़े की घंटी बजी। दरवाज़ा खोली तो सामने नेहा खङी थी।” आज ज्यादा काम था क्या?”- मैने उसको अंदर आने का इशारा किया और पूछी।

“अरे वो देवरानी का फोन आ गया था,पूरे दो घंटे बात करी,मुझे अपने घर बुला रही ,  मुझे समझ नही आया अचानक से ऐसा क्या हो गया जो बुलाया जा रहा। कौतूहल मन स्वभावत पूछ ही बैठा- ” अचानक क्यो जाना”?

कुछ परेशान सी नेहा ने कहना शुरू किया-“ ये मेरी देवरानी से तो कुछ भी नहीं होता, कोई भी काम हो मुझसे ही बोलती। शादी के बाद से आज तक मुझे ही बोलती-“ दीदी ये काम आपसे अच्छा कोई नहीं कर सकता ।”तब से उसके कामों में मदद करती आयी हूँ, अब उसकी  बेटी को देखने लड़के वाले आ रहे है, तो मुझे बुला रही है। 

 उसको परेशान देखकर मैने कहा-” तुम चली  जाओ इतना मान देने वाली देवरानी आजकल मिलती कहाँ हैं   नेहा थोड़ी आश्वस्त  होकर अपने घर चली गयी। दूसरे दिन  वो अपनी देवरानी के घर चली गयी।

दो दिन के बाद जब वो आई तो उसका चेहरा उतर हुआ था। मैने पूछा शादी तय हो गई? उसने कहा -” हा,सब अच्छे से हो गया। अच्छा घर- परिवार मिल गया है ।” पर ममता  मुझे एक बात बहुत बुरी लगी। वो क्या- मैने पूछा।

नेहा बोलने लगी-” मै देवरानी  को बहुत मान देती हूँ ,  मैने बहुत मेहनत से सब कुछ उसके लिए किया, क्या नाश्ते  में होगा,क्या खाने मे होगा, जितने लोग आये सब के लिए तोहफों की खरीदारी मैने की। लङके वाले बहुत खुश एक-एक चीज की तारीफ किये, और देवरानी से बोले आपने बहुत अच्छी व्यवस्था करी है,फिर ये गुण तो आपकी बेटी में भी होगा? देवरानी तपाक से बोली-” जी हाँ,मेरी बेटी को सब आता। ये सब व्यवस्था  हम माँ- बेटी ने मिलकर किया है । जब लङके वाले चले गए तो मुझसे बोली-,” दीदी शादी विवाह में ये सब बोलना पड़ता है आप बुरा मत मानिएगा  जोआपका  नाम नहीं ली।”

नेहा मुझे भराये स्वर में बोली-,” इतना कुछ करने के बाद कोई आपकी तारीफ न करे तो बुरा तो लगता है ना? मैं हमेशा सोचती सच में देवरानी  को ज्यादा कुछ न आता होगा, पर इस बार समझ आ गया वो बस मेरे से अपने काम करवाने के लिये बोलती ” मुझे कहाँ समझ आता ये सब। उसको सब समझ आता,बस मैं ही उसको न समझ सकी,वो तो बङी सयानी देवरानी निकली।

अक्सर  घरों में ऐसा होता है,कुछ लोग इतनी मीठी बातें करते हैं,जिससे सामने वाले प्रभावित हो जाते। नेहा की देवरानी भी उनमें से एक।अपने काम निकलवाने के लिए नेहा की तारीफ करती रही और जब श्रेय दिया जाना चाहिए तो खुद ले गई ।

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धन्यवाद

— रश्मि प्रकाश

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