मायका – अनामिका मिश्रा

#मायका

मधु दो वर्षों से मायके नहीं जा सकी थी। इस बार उसने सोचा कि वो मायके जरूर जाएगी। उसकी मां ने फोन में कहा, “इस बार तो तू आ रही है न! “

मधु ने कहा,”मैं जरूर आऊंगी, पिछले साल मां जी की तबीयत खराब थी,और उसके पिछले साल  दोनों दीदी आ गईं थीं, तो मैंने ही सोचा कि मैं ये गर्मी छुट्टी उनके साथ बीता लूं, पर इस बार मैं जरूर आऊंगी!”

उसने ऐसा कह कर फोन रख दिया।

बच्चों की गर्मी छुट्टी शुरू हो गई थी। 

मधु मन ही मन मायके में क्या करना है….उसकी तैयारियां कर रही थी ,कि उसके पति रोहित ने कहा, “मधु कल दीदी आ रहीं हैं, उन्होंने कहा,तुम लोगों को सरप्राइज़ देना था, और उसके  दो दिनों के बाद छोटी दीदी आएंगी! 

मैं सोच रहा था कि, तुम ऐसे चली जाओगी तो उन्हें बुरा लगेगा! “

मधु सुनकर वहां से उठ कर चली गई बिना कुछ कहे। अंदर कमरे में बैठी, झर झर आंखों से आंसू बहने लगे।



 मधु शांत स्वभाव की थी। कभी भी किसी बात का विरोध करने की उसकी आदत नहीं थी। 

पर आज उसका दिल चीख चीख कर कह रहा था, कि मैं जाऊंगी, मेरी अपनी भी तो खुशियां है, इच्छाएं हैं,सिर्फ इन्हीं लोगों के लिए जीती रहूँ, इन लोगों को जरा सा भी मेरा ख्याल नहीं है, मेरी खुशियों का ख्याल नहीं है,मैं दो वर्षों से जा नहीं पाई!”

दो दोनों के बाद बड़ी ननंद आ गई। मधु सेवा में लगी थी। पर अंदर से उदास और बुझी हुई थी।  कुछ कह नहीं पा रही थी,कि रोहित को कहीं बुरा न लग जाए। 

तीन-चार दिनों बाद दूसरी ननद भी आ गईं। 

ऐसे एक सप्ताह बीत गया। 

मधु ने सोचा था कि इस बार वो अपना जन्मदिन अपने मायके में मनाएगी और वट सावित्री की पूजा अपनी मां और भाभियों के साथ करेगी।पर वो मन मसोसकर रह गई थी। उसकी मां का फोन आया, मधु का जन्म दिन था, कहने लगी, इस बार भी तू नहीं आ सकी,एक महीने की तो छुट्टी होती है,बच्चों के दस दिन तो ऐसे ही पार हो गए हैं!” मधु ने कहा, “क्या करूं मैं मां!” कह कर रुंवासी हो गई। 



शाम को रोहित केक लेकर आया। उसका जन्मदिन था। दोनों ननंद,बच्चों के सामने मधु ने केक काटा, सब ने मधु को गिफ्ट दिया ,सबने मिलकर मधु का जन्मदिन सेलिब्रेट किया। मधु रात को तोहफे खोलने लगी । 

बड़ी ननद ने लेडीज पर्स दिया था। 

मधु को वह पर्स बहुत अच्छा लगा….और वो खोलकर देखने लगी,उसके अंदर उसके मायके का टिकट निकला अगले, अगले दिन शाम का ट्रेन था …और एक चिट्ठी मिली उसमें लिखा था …”मधु जैसे हम ननंद है,तुम्हारी और बेटियां है,वैसे ही तुम्हें तुम्हें भी समझते हैं,हमारे साथ कुछ दिन तुम रह चुकी हो, अब अपनी मां,भाभियों के साथ भी रह लो…और जाओ मायका तुम भी एंजॉय करो….हम आए थे, तुम्हें भेजने के लिए,ताकि तुम निश्चिंत होकर मायके में रह सको…और यहांँ हम सब, तब तक संभाल लेंगे। 

मधु की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

जब वो चिट्ठी पढ़ रही थी, रोहित उसे ध्यान से देख कर मुस्कुरा रहा था। 

बस मधु की सुबह से मायके जाने की तैयारी शुरू हो गई। रोहित भी साथ उसे छोड़ने जा रहा था। 

रोहित की बहनों ने कहा,”तुम अपना माइक्रा एंजॉय करो मधु! हम अपना मायका एंजॉय करें…और भाई हमारे साथ कुछ दिन रहा …अब ससुराल में रहकर कुछ दिन बिताए…दोनों बहने कह हंसने लगी। 

 

स्वरचित अनामिका मिश्रा

झारखंड जमशेदपुर

 

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