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मातृत्व का सुख – कमलेश राणा

अंजलि और राखी बहुत अच्छी सहेली थीं,,हर बात एक-दूसरे से शेयर किये बिना चैन नहीं आता था दोनों को,,

 

प्राईमरी से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा भी साथ ही साथ हुई,,

 

अंजली की शादी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ हुई और वह बंगलौर चली गई जबकि राखी के पति बिजनेसमैन थे,,

 

बहुत अच्छी जिन्दगी चल रही थी दोनों की,,,अपनी-अपनी गृहस्थी में व्यस्त होने के कारण कम ही बात हो पाती,,

 

शादी को चार साल बीत गये थे लेकिन अंजली को अभी तक माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था,,परिवार वालों का दवाब बढ़ता ही जा रहा था क्योंकि वह इकलौती बहू थी,,वंश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उसी पर थी,,

 

उन्होंने डॉक्टर से चेकअप कराया ,,रिपोर्ट के अनुसार अंजली कभी माँ नहीं बन सकती थी,,दोनों ने इस बात को सीक्रेट रखने का फैसला किया,,

 

राजन ने कुछ कहा तो नहीं पर धीरे-धीरे उसका व्यवहार चिड़चिड़ा होता जा रहा था,,अंजली इसका कारण बखूबी जानती थी पर कुछ कर नहीं सकती थी,,

 

रोमांस और खिखिलाहट का स्थान अब सन्नाटे और उदासी ने ले लिया था,,यह मानव स्वभाव है कि दुष्प्राप्य वस्तु को पा लेने की ललक बहुत ज्यादा होती है,,इसका असर अंजली के स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगा,,,

 

तभी कोरोना ने पाँव पसारने शुरू कर दिये और कंपनी ने राजन को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे दी,,दोनों ने घर जाना ही उचित समझा,,

 

जगह बदलने से उदासी भी थोड़ी कम हो जायेगी,,मन भी बँटेगा ,,अंजली खुश थी,,

 

यहाँ आई तो राखी की याद आना स्वाभाविक था,,बहुत सारी बातें थी करने के लिए,,इस बीच राखी प्यारी सी बेटी की माँ बन गई थी,,

 

अंजली ने तुरंत कहा,,फोटो भेज बेटी के,,सचमुच परी जैसी सुन्दर थी वह,,उसको देखकर ममता का सागर हिलोरें मारने लगता अंजली के दिल में,,

 

कभी-कभी वीडियो कॉल करके खूब खिलाती वह उसे,,मिल तो सकते ही नहीं थे,,,लॉकडाउन लगा हुआ था,,

 

एक दिन राखी बोली,,आज तो इन्हें सर्दी जुकाम और बुखार हो गया है,,कोरोना के लक्षण थे,,धीरे-धीरे बीमारी ने पूरे परिवार को अपनी चपेट में ले लिया,,और 5 दिन में ही  बच्ची को छोडकर पूरा परिवार काल कवलित हो गया,,

 

परिवार का कोई भी व्यक्ति बच्ची की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था,,तब  अंजली ने राजन से बात की,,तो वह सहर्ष तैयार हो गया,,

 

दोनों जाकर उसे घर ले आये,,अंजली का माँ बनने का सपना पूरा हो गया था और बच्ची को परिवार का सुख,,

 

अब घर किलकारियों से गूँज रहा था,,दादी-बाबा भी व्यस्त हो गये थे अपने बचपन को फिर से जीने में,,

 

कमलेश राणा 

ग्वालियर

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