माता-पिता का तिरस्कार – के कामेश्वरी 

प्रभा अपनी क्लास ख़त्म करके स्टाफ़ रूम में आई थी क्योंकि नेक्स्ट उसका फ़्री पीरियड था।  बच्चे पीछे पीछे क्लास वर्क लाकर उनकी जगह पर रख कर चले गए । प्रभा थोड़ा सा पानी पीकर अपनी जगह पर आकर बैठ गई। उसकी आज सुबह से चार क्लासेस लगातार थे । अब जाकर उसे फ़ुरसत मिली थी बैठने के लिए । एक बार अपने बैग से फ़ोन निकाल कर देखने के लिए लॉकर की तरफ़ गई थी तो देखा वहाँ की कुर्सी पर सिर झुकाकर कोई बैठा हुआ था । गौर से देखा तो सुप्रजा मेडम थी । प्रभा डर गई थी कि उन्हें कुछ हो तो नहीं गया है । उनके कंधे पकड़ कर झकझोर दिया प्रभा मेम क्या हुआ है तबियत तो ठीक है न । 

प्रभा ने सिर उठाया तो देखा उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे । प्रभा को बहुत बुरा लगा क्योंकि वे बड़ी थी और बहुत ही अच्छी थी साथ ही उनकी प्रभा से बहुत पटती थी । अपनी कुर्सी वहीं पर खींच कर बैठ गई और पूछा क्या बात है मेम क्या हो गया है मैं कुछ मदद कर सकती हूँ क्या?

मेम ने कहा प्रभा अभी नहीं बता सकती हूँ । बाद में बात करेंगे । 

शाम को जैसे ही लाँग बेल बजी प्रभा और सुप्रजा स्कूल से बाहर आए और एक कैफ़े में बैठ गए। प्रभा ने कॉफी ऑर्डर किया और चुपचाप सुप्रजा को देखने लगी उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वे अपने आप को तैयार कर रही हो । 

कॉफी मग हाथ में लेकर उन्होंने बताना शुरू किया था कि प्रभा मेरा जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।  हम चार बहनें थीं । पिता बैंक में नौकरी करते थे । कभी भी उन्होंने हमें पढ़ाई करने से नहीं रोका । घर में भी पाबंदी नहीं थी परंतु कभी भी हमने कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे हमारे माता-पिता को बुरा लगे । हम चारों ने बी ए किया फिर बीएड किया था । पिता जी ने हम सबकी अच्छे घरों में शादियाँ कराई थी । आज हम अपने घर और बच्चों के साथ खुश हैं। 




आप सोचती होंगी फिर मैं क्यों ना खुश हूँ । वही तो प्रभा ईश्वर ने मुझे भी दो लड़कियों को दिया मैंने भी कभी उन पर पाबंदी नहीं लगाई वे जो पढ़ना चाहते थे वही पढ़ाना चाहती हूँ परंतु आजकल के बच्चों में संस्कार नाम की चीज ही नहीं बची है । आपको मालूम है न मेरी बड़ी बेटी सितारा इंजीनियरिंग कॉलेज में आख़िरी साल में पढ़ रही है। दूसरी बेटी मयूरी को मेडिकल में जाना था तो वह उसकी तैयारी में लगी हुई है । मैं सुबह से लेकर शाम तक उनके लिए सब कुछ करती हूँ और स्कूल आती हूँ फिर वापस जाकर उनकी फ़रमाइशों को पूरा करती हूँ। फिर भी मैं उनकी आँखों में खटकती हूँ । सितारा आजकल बहुत ही बदल गई है मैं जब भी उससे कुछ पूछती हूँ न तो मेरी तरफ़ ऐसे तिरस्कार भरी नज़रों से देखती है कि मुझे अपने आप पर ग़ुस्सा आता है कि मैंने उससे कुछ क्यों पूछ लिया है । आपको मालूम है प्रभा मुझे ग़ुस्सा इस बात का आता है कि मेरे पति उसे कुछ नहीं कहते हैं । 

मैं भी सोचती हूँ जाने दो खुद सीख जाएगी छोटी है न । मयूरी कभी-कभी मेरी मदद करने के लिए आ जाती है परंतु सितारा तो झाँकती भी नहीं है । खैर!!!! 

सुप्रजा ने कहा कि—प्रभा मैं आपको बोर तो नहीं कर रही हूँ न?

प्रभा ने कहा— नहीं मेम आप अपनी दिल की बात बताएँगी तो आप हल्का महसूस करेंगी बोलिए न । आप फिर से कॉफी पिएँगी क्या कहते हुए उसने फिर से कॉफी का आर्डर दे दिया था । 

पिछले कुछ दिनों से मैं देख रही थी कि सितारा में कुछ बदलाव आया है। पूछना चाहकर भी नहीं पूछी क्योंकि मैं उसके तिरस्कार को बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ प्रभा । 

इसलिए चुपचाप उसके रंग ढंग देख रही थी । अपनी मर्ज़ी से कपड़े ख़रीदना कुछ कहो तो किस ज़माने में जी रही हैं आप एक बार बाहर निकल कर देखिए लड़कियाँ कैसे कपड़े पहनती हैं । वह यह भूल जाती है प्रभा कि मैं भी नौकरी करती हूँ । 




कल की ही बात है कि वह अपने दोस्तों के साथ पार्टी मनाने के लिए जाना चाह रही थी । पति देव उसे छोड़ने के लिए जा रहे थे । किस मूड में थे कि मुझसे कहा कि तुम भी चलो । सितारा ने मुँह बनाया था पर पिता के सामने कुछ नहीं बोल सकी । वह जीन्स और टी शर्ट पहनी थी ।मैं भी खुश हो गई थी कि चलो ढंग के कपड़े पहनी है । 

हमें उसे उसकी सहेली के घर छोड़ना था जैसे ही पति ने कार रोकी वह पीछे से उतरी मेरी आँखें खुली की खुली रह गई क्योंकि उसने कपड़े बदल लिए थे । मिनी स्कर्ट और टी शर्ट पहनी हुई थी । मैंने कुछ नहीं कहा था । एक जवान लड़की किसी के घर पार्टी में ऐसे कपड़े पहने तो लोग क्या सोचेंगे । मैं चुप थी हम घर वापस आ गए थे । 

रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी । सुबह चार बजे के क़रीब हल्की सी नींद आ रही थी कि फ़ोन की घंटी बजी उठाया तो उसकी दोस्त ने कहा आंटी आप जल्दी से हमारे घर आइए ना सितारा बेहोश हो गई है । मैंने घबराकर पति देव को उठा कर फ़ोन के बारे में बताया था तो वे भी घबरा गए थे । जब वहाँ हम पहुँचे तो बच्चे सब एक जगह खड़े होकर देख रहे थे ।सितारा ज़मीन पर पड़ी थी । पूछने पर पता चला कि राघव ने मस्ती करने के लिए उसकी ड्रिंक में कुछ मिला दिया था। सितारा के बेहोश होते ही वे सब डर गए थे । सब बच्चे अच्छे थे इसलिए इसे कुछ नहीं हुआ नहीं तो क्या करते बोलो प्रभा । जब भी सोचती हूँ रोंगटे खड़े हो जाते हैं । 




सुबह मेरे स्कूल आते तक वह उठी नहीं थी। अब शाम को जाकर देखूँगी कि उसका क्या हाल-चाल हैं । 

सुप्रजा ने बात ख़त्म किया और चुपचाप बैठ गई । प्रभा ने कहा कि आप कुछ मत बोलिए मेरे ख़याल से अब उसे पता चलेगा कि उसकी गलती कहाँ है। चलिए मेम बहुत देर हो गई है घर जाकर देखिए क्या हाल चाल हैं। 

दोनों एक-दूसरे को बॉय कहकर अपने अपने घर चले गए थे। दूसरे दिन जैसे ही प्रभा स्कूल पहुँची तो देखा कि सुप्रजा मेम आ गई हैं और खुश भी हैं । उन्होंने प्रभा को देखते ही गले लगाया और कहा कि सितारा को अपनी गलती का अहसास हो गया है। वह कितने दिनों तक रहेगा नहीं मालूम है । कल जैसे ही मैं घर पहुँची तो देखा वह मेरा इंतज़ार कर रही थी । मैंने जानबूझकर उसे देखकर भी मैं अंदर कमरे में चली गई थी । फ्रेश हो कर बाहर आई तो उसने मेरे लिए चाय बनाकर रखा था । मेरे आते ही मेरे गले लग कर ख़ूब रोई।  मैंने उसे नहीं रोका। उसने मुझसे कहा कि माँ आपको मेरे ऊपर ग़ुस्सा आया है । मैंने कुछ नहीं कहा वह कहने लगी थी कि माँ मुझे मालूम है मैंने बहुत बड़ी गलती की है। मेरी क़िस्मत अच्छी थी कि मैं बच गई । आगे से कभी भी मैं ऐसी गलती नहीं करूँगी प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए ना । 

मैंने उसकी आँखों में पश्चाताप के आँसू देखे थे। प्रभा आज की सुबह मेरे लिए एक नई आशा की किरण लेकर आई है । मैं बहुत खुश हूँ प्रभा कहते हुए प्रभा को गले लगाया । 

दोस्तों माता-पिता की बात न मानकर बच्चे एचीवमेंट सोचते हैं । माँ को तो टेकिट फ़ॉर ग्रेंनटेड ले लेते हैं । कभी भी माता-पिता का तिरस्कार नहीं करना चाहिए । उनका तिरस्कार किया तो समझें कि हमारा  जीवन व्यर्थ है । 

#तिरस्कार 

के कामेश्वरी 

 

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