मैं अपनी बेटी की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करने दूंगी – सुषमा यादव

कुछ समय की बात है,, मेरे घर में एक महिला खाना बनाने आती थी। उसकी सबसे बड़ी

खासियत ये थी कि वह अपनी बेटी को तो प्रायवेट स्कूल में पढ़ाती थी, और सब गांव वालों की सोच के विपरीत अपने एकलौते बेटे को मेरे सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी। मैं उससे कहती, तो बोलती,, मैडम जी, ज़माना बहुत ख़राब है,, बेटी को पता नहीं, कैसी ससुराल मिल जाए,, वो अच्छे से पढ़ जाएगी,तो बाद में कुछ हुनर सिखा देंगे,, तो बाद में कुछ होने पर अपना और अपने बच्चों का जीवन तो संवार लेगी,,रहा,बेटे का सवाल, तो बीच बाज़ार में हमारी दुकान बढ़िया चलती है,, नहीं पढ़ेगा तो दुकान पे बैठेगा,,उसका बेटा दसवीं में था और बहुत ही पढ़ाई में तेज़ था, हमेशा ही प्रथम आता,

सबके कहने पर उसके मन में भी बसा था कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती,, हालांकि बाद में उसने वहां से अपनी बेटी को भी निकाल कर मेरे ही स्कूल में दाखिला करवा दिया।, वहां तो बिना कोचिंग और स्वयं के पढ़ाये बिना काम ही नहीं चलता,,

,, इतना पैसा वो कहां से लाती,,

,,पर मैं उसके बेटी को प्राथमिकता देने की मानसिकता से बहुत खुश थी,,

,,, एक दिन वो बहुत देर से आई,, मैंने कहा,, क्या हुआ,, गुस्से में आकर बोली,, मैडम जी, मैं तो 

दिन भर के लिए शहर में काम करने आती हूं,,पर आज़ कल गांव के लड़के मोबाइल देख देख कर बर्बाद हो रहें हैं,, मेरी बेटी तो अभी आठ साल की है,, भाई चला गया दूकान पर, वो अकेली घर में,,।   किसी ने सांकल बजाई, गांव का ही जाना पहचाना लड़का था,सो उसने खोल दिया,, उसने पानी मांगा, जैसे ही मुड़ी, उसके पीछे पीछे आ गया और छेड़छाड़ करने लगा,, उसने उसे जोर का‌ धक्का मारा और चिल्लाते हुए बाहर भागी,, वो भाग चुका था,जब मैं शाम को घर गई तो  बेटी ने और सबने बताया , हम सब उसके घर गये थे,पर उसे छुपा लिया है,

मैं बोली,कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई,, अरे, नहीं, मैडम जी, बहुत बदनामी होगी,, मैंने अपने घर में कहा, तो सबने डपट दिया,,

,, मैंने कहा कि, तुम चुप रही तो,उसका हौसला और बढ़ेगा,,

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,, फिर कुछ दिनों बाद वो एक दो दिन नहीं आई ,,आने पर मैं बड़बड़ाई,, तुमको बताना तो था कि तुम नहीं आ पाओगी, तुम्हारी बेटी और बेटा भी स्कूल नहीं आये,कि उनसे ही पूछती,, वो बहुत ही शांत स्वर में बोली,, वो ही मामला निपटा रही थी,, कौन सा मामला,,??   उसी कमीनें लड़के का,,

,, मैडम जी,,उस दिन फिर वो लड़का आया,, और अबकी पीछे से तार की बाड़ी लांघ कर आया,,

जैसे ही लड़की को पटका,, चुंकि मैंने ,,अपने बचाव के लिए उस को कुछ गुर बताए थे, तो उसने उसका इस्तेमाल कर के, और खूब जोर से दांत काट कर धक्का दिया और जब तक वो संभलता, जोर से रोते हुए रसोई की खिड़की से बाहर निकल कर भागी,, हमारे इधर तो सबके छोटे छोटे घर जुड़े रहते हैं,,सब बाहर निकल आए और वो फिर पीछे से ही भाग गया,,

,, मैंने गुस्से से कहा,, मैं बोली थी ना, रिपोर्ट दर्ज कराने को,,

,,वो गुस्से से लाल हो गई,, तमतमाते हुए कहा,, ज़ी हां,, 

,, पुलिस आई थी, पकड़ कर ले गई और उसी दिन छोड़ दिया, पांच सौ रुपए लेकर,, कहने पर कहा गया कि,, अरे, नाबालिग है,

इसकी जिंदगी क्यों ख़राब करते हो,, समझा दिया है,अब ऐसी ग़लती नही करेगा,,

,,अब फिर,,अब‌ क्या मैडम जी,,

हम नदी के किनारे अपने कुछ लोगों से तकवाये रहे,, जैसे ही वो

वहां दिखा, हमें फोन आया, और हम भागे,, सबने, हमने इतना मारा, इतना मारा कि वो बेदम हो गया,, और अब किसी लड़की की तरफ़ आंख उठाकर भी नहीं देखेगा,,सबके पूछने पर हमने कहा कि, हमारे खेत से चना चुराया था,,अब वो और उसके घर वाले किस मुंह से कुछ कहते,,

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,, मैं बोली, तुमने ये अच्छा नहीं किया,, पुलिस उसे सज़ा देती ना,,,, नहीं, मैडम जी , वो हमेशा की तरह कुछ ना करती,,आप ने, सबने देखा था कि कैसे अमुक मैडम के सगे बहन के लड़के ने अपने दोस्त के साथ क्या किया और सब सबूतों के रहते चार महीने में पुलिस ने छोड़ दिया, क्यों और कैसे,, सबको मालूम है,,

,,,अब कोई भी ग़लत काम करेगा,,तो पुलिस तो क्या,,,* मैं

खुद सज़ा दूंगी,,  ** मैं अपनी बेटी की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करने दूंगी।।

मैंने सही किया ना,, मैंने कहा,, पता नहीं, तुमने सही किया या ग़लत,,पर हां,सबक अच्छा सिखाया,, तुम्हारे हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी,,

,, और सच में इतने सालों के बाद भी उसके और गांव वालों के यहां ऐसी शर्मनाक घटना नहीं घटित हुई,,

,,ये एक सच्ची कहानी है,, मैं इसके सही और ग़लत को नहीं जानती,पर उसने जो फैसला लिया उसे आप सबको बता रहीं हूं ।।,

#इज्जत

,, सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ प्र,

स्वरचित ,, मौलिक,

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