निकिता अपने कमरे मे गुमसुम उदास सी बैठी थी और अपने गुजरे दिनों के बारे मे सोच रही थी। कहने को निकिता ने जो जिंदगी से चाहा वो उसे मिला पर आज उसका दामन बिल्कुल खाली था । आज उसे खुद पर अफ़सोस हो रहा था। अपनी चाहत मे वो इतनी अंधी हो गई थी कि उस इंसान के साथ इतना बड़ा अनिष्ट कर बैठी जिसने उसे प्यार , सम्मान और परिवार दिया वो भी किसके लिए उसके लिए जिसे उससे प्यार था ही नही । जिस इंसान के लिए सात फेरो को शर्मसार किया आज वही उसे छोड़ कर जा चुका था । ये सोचते सोचते उसके गालो पर आँसू लुढ़क आये जिन्हे उसने साफ करने की कोशिश भी नही की। ये आँसू पछतावे के थे या जो इंसान अभी उसे छोड़ कर गया उसके लिए थे ये तो निकिता ही जानती थी। यही सब सोचते सोचते वो चली गई अपने अतीत मे ….
” मम्मी आपको पता है मैं रितेश से प्यार करती हूँ फिर किसी ओर से शादी कैसे कर सकती हूँ !” माँ सारिका जी के उसे समझाने पर उसने कहा।
” क्योकि वो रितेश कही से भी तुम्हारे उपयुक्त नही है । ना तो जात बिरादरी का है ना ही हमारे स्टेटस का ऊपर से गुंडा मवाली फिर कैसे हम तुम्हारी शादी उससे कर दे !” तभी वहाँ पिता राजन आकर बोले।
” पापा जात बिरादरी से ज्यादा खुशी मायने रखती है वैसे भी वो कैसा भी हो मुझे बहुत प्यार करता है।” निकिता सिर झुका कर बोली।
” तुम्हे अपनी खुशी की फ़िक्र है भी ? पर हमें है इसलिए तुम्हारी शादी मयंक से ही होगी समझी वरना इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा को बंद हो जाएंगे !” राजन जी गुस्से मे बोले। सिसकती हुई निकिता अपने कमरे मे जा रितेश को फोन मिलाने लगी सब जानकर उसने निकिता से फिलहाल मयंक से शादी करने को कहा और उसे कुछ समझाया । रितेश के प्यार मे पागल निकिता उसकी बात मान मयंक की दुल्हन बन उसके घर आ गई।
” देखिये अभी मैं इस रिश्ते के लिए तैयार नही हूँ वो क्या है कि सब बहुत जल्दी मे हुआ !” मयंक ने जब प्रथम मिलन की बेला मे निकिता के नजदीक जाना चाहा तो उसने कहा।
” निकिता आप मेरी पत्नी है पर मैं आपसे ये अधिकार तभी लूंगा जब आप दिल से इसके लिए तैयार होंगी तब तक के लिए हम दोस्त है !” मयंक ने मुस्कुराते हुए कहा। थोड़ी देर दोनो ने बाते की फिर थके होने का बोल निकिता सो गई।
यूँही एक महीना बीत गया पर मयंक ने कभी निकिता पर हक नही जताया हाँ वो उसका हर तरह से ध्यान जरूर रखता था । घुमाता फिराता था उसके लिए तोहफ़े भी लाता था। मयंक के माता पिता भी बेटी के आभाव मे बहू पर प्यार लुटाते। एक महीने बाद निकिता ने कुछ दिन को मायके जाने की इज़ाज़त मांगी जिसे मयंक और उसके माता पिता ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और मयंक खुद उसे उसके मायके के बाहर छोड़ अपने ऑफिस चला गया था।
अभी निकिता को गये एक ही दिन हुआ था कि सुबह सुबह मयंक के दरवाजे पर दस्तक हुई।।
” जी इंस्पेक्टर साहब आप यहाँ !” मयंक के पिता सुधीर जी ने दरवाजा खोला तो सामने इंस्पेक्टर और दो हवालदार को देख बोला।
” हमारे पास मयंक और उसके माता पिता के लिए अरेस्ट वारंट है मयंक की पत्नी ने उनके खिलाफ मार पीट, दहेज़ माँगने और उसे घर से निकालने के आरोप लगाए है।” इंस्पेक्टर बोले।
” क्या कह रहे है आप ! सुधीर जी तनिक ऊँची आवाज़ मे बोले उनकी आवाज़ सुन पत्नी रमा जी और बेटा मयंक भी आ गये। इंस्पेक्टर की बात सुन मयंक और रमा जी हैरान रह गये। इंस्पेक्टर को सबने समझाने की बहुत कोशिश की पर वो सुनने को तैयार ही नही हुआ और सब को गिरफ्तार कर ले गये। वहाँ जाकर उन्होंने देखा निकिता अपने माता पिता के साथ वहाँ पर मौजूद है ।
” तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी पर हाथ उठाने की दहेज़ के लालची !” निकिता के पिता ने जैसे ही मयंक को देखा उसका गिरेबान पकड़ कर चिल्लाये।
” निकिता बेटा ये सब क्या है ? हमने तुमसे कब दहेज़ की मांग की या कब तुम्हे मारा पीटा! ” रमा जी निकिता से बोली।
” इंस्पेक्टर साहब आप प्लीज इनसे कहे मुझसे दूर रहे मुझे इनसे बहुत डर लगता है !” निकिता जान के डरने का नाटक करने लगी।
इधर मयंक हैरान परेशान खड़ा था इसलिए ही निकिता ने उससे दूरी बनाकर रखी थी क्या चल रहा है उसके दिमाग़ मे ये जानने को उसने निकिता से बात करने की कोशिश की पर ना वो ना उसके माँ बाप राजी हुए । निकिता तो जिद पर अड़ी थी कि उसे तलाक चाहिए और मयंक तथा उसके माता पिता को सजा हो। केस अदालत मे पहुंचा निकिता का पक्ष मजबूत था क्योकि हमारा कानून ही ऐसा है। मयंक और उसके पिता को सजा हो गई उसकी माता जी को यूँ तो बरी कर दिया गया पर उनके लिए मोहल्ले मे जीना मुश्किल हो गया और वो पति बेटे की जेल , ये बदनामी और केस मे सब कुछ खत्म हो जाने के कारण सदमे मे चली गई और एक दिन आत्महत्या कर ली । जब मयंक और उसके पिता को ये पता लगा टूट गये वो। केस चलता रहा निकिता को तलाक भी मिल गया और उसके माता पिता ने उसकी शादी उसकी पसंद के गैर बिरादरी के लड़के रितेश से करा दी क्योकि अब उन्हे कोई हर्ज नही था।
चार साल तक केस चलने के बाद अदालत ने इस केस को झूठा पाया और निकिता को मामूली सजा हुई किन्तु मयंक
और उसके परिवार को बेगुनाह होते हुए भी जो सजा मिली उसका क्या क्या कोई कोर्ट उसकी भरपाई कर सकती है। इधर निकिता की गलती पाए जाने पर उसके माता पिता ने उससे सम्बन्ध तोड़ लिए।
अपनी सजा भुक्त जब निकिता वापिस आई तो उसे रितेश बदला बदला नज़र आया। और कुछ दिन बाद निकिता को छोड़ किसी ओर लड़की साथ भाग गया साथ ही निकिता के सभी गहने भी ले गया। निकिता को आज एहसास हो रहा था उसने मयंक के साथ कितना गलत किया।
ये सब सोचते सोचते उसे प्यास लगने लगी वो पानी लेने उठी। अब उसके सामने अपनी जीविका का भी संकट था क्योकि माता पिता साथ थे नही जिसके लिए इतना सब किया वो भी छोड़ गया था। अगले दो दिन उसने अपने हिसाब की कुछ नौकरियां ढूंढी । एक दो जगह से कॉल भी आया उसके पास और वो एक जगह इंटरव्यू को पहूँची ।
पर वहाँ किसी ने उसे पहचान लिया क्योकि ये केस मीडिया मे भी उछला था। इसलिए उसे नौकरी नही मिली। निराश हो वो वहाँ से अनमनी सी चली जा रही थी तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा वो जैसे नींद से जागी तब उसने देखा वो सामने से आती गाडी के नीचे आ जाती की किसी राहगीर ने उसे खींच लिया।
उसने उसका शुक्रिया करने को जैसे ही निगाह उठाई हैरान रह गई हैरान तो सामने वाला इंसान भी रह गया। वो वहाँ से जाने लगा।
” मयंक ….मयंक सुनो ! मुझे माफ़ कर दो जो मैने तुम्हारे साथ किया वो बहुत गलत किया प्लीज एक बार मुझे माफ़ कर दो !” निकिता उसे रोकते हुए बोली।
” माफ़ ….माफ़ी का मतलब भी पता है तुम्हे …और किस किस चीज की माफ़ी दूँ तुम्हे मैं …मेरे प्यार का अपमान करने की , मुझे जलील करने की , मुझपर झूठा इलज़ाम लगाने की , मुझे जेल करवाने की , मेरा करियर खत्म करने की , मेरे माता पिता को इतना कष्ट , इतना अपमान सहना पड़ा उसकी माफ़ी , मेरी माँ की कातिल हो तुम उसकी माफ़ी , किस किस चीज की माफ़ी चाहिए तुम्हे ।” मयंक नफरत से बोला।
” मयंक अपने किये की सजा पा रही हूँ मैं जिसके लिए तुम्हे छोड़ा वो भी मुझे छोड़ गया और मेरे माता पिता ने भी मुझसे नाता तोड़ लिया अब कम से कम तुम माफ़ कर दो तो मेरे गुनाह का बोझ कम तो हो जाये !” निकिता भरी आँखों से बोली।
” नही निकिता तुम माफ़ी के काबिल ही नही हो । तुम मुझे एक बार बोलती तुम किसी और से प्यार करती हो मैं खुद तुम्हे आज़ाद कर देता पर इतना बड़ा नाटक किया तुमने मेरे साथ चलो मैं अपने साथ जो हुआ भूल कर तुम्हे माफ् कर भी दूँ पर जो तुमने मेरे माता पिता साथ किया वो ऐसा गुनाह है जिसकी कोई माफ़ी नही है क्योकि माफ़ी भूल की होती है सोचे समझे गुनाह की नही । तुमने अपने प्यार के लिए इतनी जिंदगियां दाव पर लगाई है उसकी यही सजा है कि तुम सारी जिंदगी अपने गुनाह की अग्नि मे जलती रहो !” मयंक नफरत से बोला और वहाँ से चला गया । निकिता वही सडक पर बैठ फूट फूट कर रो दी।
दोस्तों शादी एक पवित्र रिश्ता है इसे किसी साजिश को अंजाम देने के लिए अपना स्वार्थ सिद्ध करने को बाँधना ही एक गुनाह है उसपर तलाक लेने को इतना बड़ा षड्यंत्र करना जिससे किसी की जिंदगी खराब हो जाये कोई जिंदगी खत्म हो जाये वो तो ऐसा गुनाह है जिसकी कोई माफ़ी हो ही नही सकती ।
मेरी नज़र मे मयंक ने बिल्कुल सही किया और आपकी ?
अपनी राय से अवगत जरूर करवाइयेगा
आपकी दोस्त
संगीता