Monday, May 29, 2023
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लिव इन –  अमित रत्ता

श्रेया बहुत ही पढ़ीलिखी होनहार होशियार और आत्मनिर्भर लड़की थी। माँ बाप का मानना था कि हमारी बेटी एकदिन हमारा नाम रोशन करेगी। श्रेया अभी बाइस साल की हुई थी। आज सुबह जैसे ही वो आफिस जाने लगी तो माँ ने टिफिन हाथ मे पकड़ाते हुए कहा कि पापा तुम्हारे रिश्ते के बारे में बात कर रहे थे।लड़का बहुत ही सुंदर है अच्छा बिज़नेस है और परिवार भी जान पहचान का है।

 शाम तक सोचकर बता देना तुम्हारी मर्जी के बिना हम कोई फैंसला नही लेंगे। श्रेया टिफिन पकड़ते हद बिना कुछ बोले निकल गई।शाम को लगभग छः बजे घर आई बिना कुछ बोले सीधा कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद माँ कमरे में गई और पूछने लगी कि बेटा क्या हुआ तबियत खराब है क्या?

 ऑफिस में कोई वात हुई क्या? बॉस ने डांटा क्या? श्रेया ने एक ही जवाब दिया कुछ नही हुआ है मुझे थोड़ा आराम करने दो बाद में बात करती हूं।मां बाहर आकर किचन में जाकर खाना बनाने लगी खाना तैयार हुआ तो श्रेया को आवाज लगाई की आ जाओ बेटा खाना खा लो।

 श्रेया कमरे से बाहर आकर खाने के टेबल पर बैठी माँ ने खाना परोसा तो श्रेया गर्दन नीचे करके रोटी का टुकड़ा तोड़ते हुए बोली मुझे आपसे कुछ बात करनी है। माँ बाप ने भी बड़ी उत्सुकता से कहा कि हाँ हां कहो जो भी कहना चाहती हो बेटा इसमे पूछने की क्या बात है हम कोई गैर थोड़ी हैं। श्रेया न कहा कि मैं किसी से प्यार करती हूं और उसी से शादी करना चाहती हूं ।

 माँ वाप ने एक दूसरे की तरफ देखा बाप ने गर्दन से इशारा करते हुए मां को उसे पूछने के लिए बोला कि लड़का कौन है। देखते ही श्रेया बोल पड़ी की मैं उससे प्यार करती हूं बो कहाँ का है किस जाति धर्म का है इससे मुझे कोई लेना देना नही है हम दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं उसका अपना जिम है यहां मैं जिम करने जाती थी। 




बाप बोला बीटा बो जिम तो अभी आठ महीने पहले ही खुला है उनके बारे में तुम्हे पता ही क्या है। श्रेया खाना छोड़ते हुए बोली जो मैंने बताना था बता दिया अब मैं और कोई बात नही करना चाहती किरपा करके मुझे परेशान न करें कहती हुई कमरे की कुंडी लगाकर अंदर चली गई।

सुबह मां चाय लेकर कमरे में गई तो देखा श्रेया बैग तैयार कर रही थी मैं ने पूछा तो बोली मेरी फ़िकर करने की जरूरत नही मैं अब से अपने फ्रेंड के साथ लिव इन में रहूंगी। मां बाप ने लाख संमझाया मगर उसपर प्यार का भूत सवार था। 

जब वो न मानी और जाने लगी तो बाप ने गुस्से में आकर कहा कि अगर एकबार घर से बाहर आओगी तो दोवारा इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा हमेशा के लिए बन्द हो जाएंगे। श्रेया बैग उठाते हुए बोली इस घर मे रहना भी कौन चाहता है यहां अपनी मर्जी से जीने को आज़ादी भी न हो और घर से निकल गई।

श्रेय को गए चार महीने हो गए थे अब उसके फ्रेंड का दिल उससे भरने लगा था वो बात बात पर लड़ाई करता और ताने मारता। 

वो अक्सर कहता कि जो अपने मां बाप की नही हुई वो मेरी क्या होगी क्या पता तुम्हारे और कितने यार हैं क्योंकि तुम्हारे जैसी लड़किओं का एक से पेट तो भरता नही। कुछ दिन बाद बात गाली गलौच से ऊपर उठकर मारपीट तक पहुंच गई बो अक्सर श्रेया को पीटने लगा था। श्रेया के पास हालात के साथ समझौता करने के सिबा कोई चारा न था। मगर एक दिन ऐसा आया की लड़ाई मारपीट के बाद बो श्रेया को फ़ोन अपने साथ ये कहते हुए  ले गया की आज देखता हूँ 




किस किस यार का फोन आता है तुम्हे। जब दो दिन तक वो बापिस नही आया था श्रेया पुलिस स्टेशन रिपोर्ट करवाने पहुंची। छानबीन में पता चला कि बो आदमी पहले से शादीशुदा और दो बच्चों का बाप था ये सुनकर श्रेया के हाथ पांव फूलने लगे। पुलिस श्रेया को लेकर उसके गांव पहुंची तो लड़के ने नई कहानी बता दी उसने कहा कि एक दिन ये रोते हुए मेरे पास आई मैने इसे रहने के लिए जगह दी इसने अपनी मर्जी से संबंध बनाए और बाद में मुझे रेप केस में फंसाने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने लगी।

 इसलिए एकदिन मौका पाकर मैं बहां से भाग आया।अब श्रेया के पास न कोई कानूनी दस्तावेज था जिससे वो ये साबित कर सके कि उसकी शादी हुई है और बाकी जो कुछ था वो फोन में था। फोन तो उस लड़के ने पहले ही गायब कर दिया था अब श्रेया बुत बनकर खड़ी सिर्फ सुन रही थी कि अचानक चक्कर खाकर गिर पड़ी। हस्पताल पहुंचाया इलाज करवाया तो होश आने के बाद उसने अपने घर जाने की इच्छा जताई।

पुलिस उसे लेकर उसके घर गई घर की घण्टी बजाई तो अंदर से एक औरत निकली श्रेया उसकी तरफ देखकर बोली आप कौन हैं?

 यहां तो मेरे मम्मी पापा रहते थे तो उस औरत न बताया कि जब उनकी लड़की घर छोड़कर भागी थी बे कुछ ही दिन बाद ये घर हमे बेचकर कहीं और चले गए थे। हालांकि बाद में खबर आई थी कि बाद में उन लोगो ने ट्रेन के नीचे आकर आत्महत्या कर ली थी। अब श्रेया के पैरों तले से जमीन निकल चुकी थी। क्योंकि बो खुद को न सिर्फ अपने माँ बाप का कातिल मां रही थी बल्कि उसकी हालत ऐसी हो गई थी कि न बो घर की रही थी न घाट की।

                    अमित रत्ता

         अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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