कहीं वो रास्ते में तो नहीं… – रश्मि स्थापक

कहीं वो रास्ते में तो नहीं…

“भई रोज तो केवल नौ बच्चे अनुपस्थित थे,आज दस कैसे?” स्कूल के प्रिंसिपल ने परीक्षा कंट्रोल रूम में परीक्षा इंचार्ज से पूछा

जो ऑनलाइन अनुपस्थिति भेज ही रहे थे।”

” सर अब तो लगभग आधा घंटा होने को है…इसके बाद तो किसी को अंदर आने की परमिशन भी नहीं रहेगी।”

” वह तो ठीक है…नौ बच्चे तो रोज ही नहीं आ रहे है इस बच्चे ने तो पिछले सभी पेपर दिए हैं … आप लोगों ने पता नहीं किया?

” सर अभी तो पता नहीं किया …. पर समय होने को है अनुपस्थिति ऑनलाइन कर दूं क्या?”

” नहीं कुछ देर रुको।

तभी पुलिस की गाड़ी स्कूल प्रांगण में दाख़िल हुई, वर्दी में एक नौजवान अपने साथ एक छात्र को लिए तेजी से स्कूल में आया….यह वही अनुपस्थित लड़का था। तुरंत ही उसे सर ने परीक्षा कक्षा में पहुंचा दिया हालांकि कुछ देर हो चुकी थी।। पुलिस वाले ने प्रिंसिपल सर को धन्यवाद देते हुए कहा कि एक सड़क हादसे के कारण लगे हुए लंबे जाम में  बच्चा फँस गया था। हमारी गाड़ी देखकर इसने मदद मांगी। परीक्षा का सुनकर तुरंत मुझे इसके साथ भेज दिया गया, इस बच्चे की साइकिल स्कूल में भिजवा दी जाएगी। कह कर जवान चला गया।

” सर.. आपकी दूरदर्शिता थी नहीं तो मैं इसकी अनुपस्थिति भेज चुका होता, क्योंकि समय तो हो गया था।”

” जीवन में भी ऐसा ही होता है।हमेशा आने वाले को अगर देर हो रही हो तो ज़रा ठहर के इतना जरूर जान लेना…कहीं वो रास्ते में तो नही…।”

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रश्मि स्थापक

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