किराये का बंधन – रिंकी श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : सुधीर  वर्मा  जी (रिटायर्ड )और उनकी पत्नी हमारी ही  सोसाइटी मे  रहते है , कुछ मकान छोड़कर उनका दोमंजिला मकान है ,दो बेटा बहु है पोते  पोती है ,पर दोनो अपने परिवार के साथ बाहर रहते है,कभी -कभी तीज त्यौहार पर आना होता वरना वो भी नही ,एक फुलटाइम  मेड  लगी थी घर का सब  काम करने के लिए ,पर खाना  बनाने  का  काम आण्टी ही करती थी |  ऊपर का हिस्सा किराये पर दे रखा था जिसमे  सौरभ और  उसकी  पत्नी  रहते थे | जिनका अंकल आण्टी के प्रति  व्यवहार बहुत  अच्छा था |

 धीरे -धीरे हमारा उनसे परिचय हुआ ,वे दोनों पति पत्नी सोसाइटी पार्क मे  शाम  को टहलने  आते थे  , वहीं  उनसे मुलाकात हुई थी |मैं मेरी  चार साल की बेटी को लेकर पार्क जाती थी |

 एक ही सोसाइटी मे होने के कारण किसी न किसी के यहाँ पार्टी मे भी अंकल -आंटी से मुलाकात हो जाती थी ,पर काम की व्यस्तता के कारण ज्यादा आना जाना न था |

एक दिन जब मैं अपनी बेटी को स्कूल से लेकर लौटी तो पता चला कि आण्टी की हालत बहुत खराब है उन्हे हॉस्पिटल ले गये है ,पर  आण्टी वहाँ से  वापस घर न आ पायी ! वो चली गयी थी अनंत यात्रा  पर जहाँ से कोई वापस न आता !

उनके बेटे बहु आए  थे  ,अंतिम  क्रिया कर्म के बाद वापस चले गये थे |

अब अंकल बिल्कुल अकेले  रह गये थे ,कामवाली काम करने आती थी ,तो अंकल के लिए खाना भी बना देती थी |

ऐसे  मे सौरभ और उसकी पत्नी   ही अंकल का  हर तरह से ख्याल रखते थे | 

बेटे बहु साल मे कभी आ जाते थे, पर एक दो दिन रूक कर वापस चले जाते थे |

एक  बार किसी ने पूछा भी कि अपने पिताजी को साथ ले जाओ तो बोले कि हम सब तो ऑफिस चले जाते है और बच्चे स्कूल  तो पिताजी वहाँ  भी बिल्कुल अकेले कैसै रहेंगे ,यहाँ  सौरभ और उसकी पत्नी रहते है तो पिताजी को अकेलापन नही महसूस होगा|



आज अंकल की तबीयत अचानक खराब होने पर सौरभ ही उनको अस्पताल ले गया था |अंकल को एडमिट कर लिया गया था |सोसाइटी के एक दो लोग और थे वहाँ , उनके बेटों 

को खबर कर दी गयी थी उन्ही के आने का इन्तजार हो रहा था |

पूरा दिन बीत गया था ,कोई नही आया था बाकी  के लोग भी अपने घर जा चुके थे,अंकल को होश आ गया था उन्हे रूम मे शिफ्ट कर दिया गया था , रूम मे आने पर वहाँ  केवल सौरभ को देख उन्होने इशारे से बेटो के बारे मे पूछा,

तो सौरभ ने बताया कि उनको तत्काल खबर कर दी थी ,आते होंगे |

अंकल  ने आंखे बंद कर  ली ,आँसू  उनके गाल पर ढुलक आए थे, पूरी रात सौरभ ही उनके साथ रहा था |

दूसरे दिन छोटे  बेटे रवि का फोन आया कि उन लोगो को  आफिस से छुट्टी नही मिली और बड़े भाई भाभी बाहर घूमने गये है तो प्लीज पिताजी का ध्यान रख ले ,अस्पताल का बिल वो आनलाइन पेमेन्ट कर देगा ,छुट्टी मिलते ही वो सब घर आएंगे |

तीसरे दिन अंकल डिस्चार्ज होकर घर आ गये थे ,दोनो लोग उनका हर तरह से ध्यान रखे थे |सौरभ ने अपने आफिस से चार दिन की छुट्टी ली थी ,उसके बाद उसे आफिस जाना था |

उसने व उसकी पत्नी ने अंकल का भरपूर ध्यान रखा था ,अब अंकल स्वस्थ हो चले थे |करीब एक हफ्ते बाद दोनो बेटे परिवार सहित आए थे |

अंकल का ध्यान रखने के लिए उन दोनो का धन्यवाद किया और दो दिन वापस रुक कर चले गये थे|

करीब  दो महीने बाद उनके घर से  झगड़े  की आवाज  आ रही थी पता चला कि अंकल ने  मकान सौरभ के नाम कर दिया था |उसी लिए दोनो बेटे उनसे झगड़ रहे थे कि एक किरायेदार के नाम आप मकान कैसे कर सकते है क्या रिश्ता है आपका इनसे ! 

अंकल ने कहा कि ,”हाँ , ये एक किरायेदार ही है और मेरा इनका किराये का ही बंधन है मेरे घर मे रहने का ये लोग किराया देते है मेरी सेवा करने के लिए बाध्य नही है फिर भी  कोई रिश्ते का बंधन न होते हुए भी इन  दोनो ने मेरा इतना ख्याल रखा इसलिए मैने  ये मकान इनके  नाम  कर दिया है  ,जब तक मैं जीवित हूं ये  दोनो  यही रहेंगे  और  मेरे मरने के बाद ये  मकान  इनका होगा |

दोनो बेटे निरुत्तर थे ,गुस्से मे दोनो वहां से चले गये |

 

स्वरचित 

 

रिंकी श्रीवास्तव

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