खुशकिस्मती – खुशी : Moral Stories in Hindi

माधव,आरव विवेक और जयश्री चारों भाई बहन थे।माता पिता का कम आयु में देहांत होने के कारण माधव ने पिता की तरह अपने भाई बहनों को प।ल।। ।माधव के पिता के मित्र ईश्वरचंद ने इस बुरे समय में माधव का बहुत साथ दिया ।माधव के पिता की बहुत जमीन थी जिसपर वो खेती करते थे।माधव ने भी वही किया खेती ब।ड़ी कर अपने भाई बहन को पढ़ाया।

ईश्वरचंद ने अपनी पुत्री रेणुका का विवाह माधव से कर दिया।माधव और रेणुका ने अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाई।।जब तक बच्चे छोटे  थे अपनी संतान का विचार तक नहीं किया। फिर माधव को एक बेटी हुई जिसका नाम मेघा रखा गया।मेघा सबकी लाडली थी।समय के साथ बच्चे सेटल हो गए आरव सरकारी स्कूल में अध्यापक लग गया और विवेक इंजीनियरिंग बन गया।

जयश्री की पढ़ाई पूरी हुई बीए करते ही उसके हाथ पीले कर दिए लड़का राजेश बैंक में अधिकारी था।जयश्री शहर आ गई।  विवेक भी शहर में ही रहता था। अब माधव चाहते थे कि आरव का विवाह कर दिया जाए।आरव के लिए सुनंदा का रिश्ता आया सबको लड़की पसंद आई बहुत सुंदर भी थी थोड़े ऊंचे घराने की थी पर शादी हो गई।

आरव , विवेक सब भाभी भाभी करते वो सुनंदा को पसंद ना था।सुनंदा सुबह देर से उठती तब तक रेणुका नाश्ता खाना सब कर लेती।क्योंकि आरव तो 7:00 बजे स्कूल चला जाता और माधव खेत में तब तक रेणुका घर के बाकी काम कर लेती।सुनंदा 10:00 बजे उठती।तब उसका चाय नाश्ता होता।

“बेटी की बद्दुआ ” – कविता भड़ाना

12:00 बजे लड़का माधव का खाना  लेने आता। सब भाभी भाभी करते तो सुनंदा को गुस्सा आता।वो अपनी मां से कहती की उस घर में तो सिर्फ रेणुका का राज चलता है।उसकी मां कहती तो तू अपना हक जमा पहले तो दामाद जी से कह की  वो भी शहर जाने का सोचे और ट्रांसफ़र के लिए अप्लाई करें बाकी तेरे पापा देख लेंगे।

सुनंदा घर आई उस दिन बड़ा दीदी दीदी करते हुए काम में मदद करने लगी।रात को आरव से बोली आरव तुम शहर में क्यों नहीं अप्लाई करते वो बोला सरकारी नौकरी है ऐसे कैसे वो बोली अरे तुम ट्रांसफर तो ले सकते हो कल को हमारे बच्चे होंगे तो वो यहां गांव में पालेंगे। आरव स्कूल में एप्लिकेशन देता है और उसके ससुर के कारण उसका ट्रांसफर हो गया।

अब शहर में नया फ्लैट लेना था पैसा चाहिए था।सुनंदा बोली भैया से हिस्सा मांग लो हमें भी तो घर चाहिए ।सुनंदा ने विवेक और आरव दोनो को पट्टी पढ़ाई और वो दोनों अपना हिस्सा मांगने पहुंच गए ।आरव बोला भैया हमें हमारा हिस्सा दे दो क्योंकि हमे हमारा घर खरीदना है। सुनंदा बोली हा बहुत साल हो गए आपको ससुर जी की जमीन का सुख भोगते हुए।

माधव अवाक सा सुनंदा को देख रहा था।माधव बोला ठीक है कल बंटवारे कर लेते हैं।गांव में जमीन की कीमत पता करवाई गई।जमीन के तीन हिस्से होंगे विवेक बोला आप मै और आरव भैया।माधव बोला 3 नहीं 4 जयश्री भी हैं।अगले दिन जयश्री को भी बुलावा भेजा गया।उसके आने से पहले बटवारा हो गया था।एक छोटा सा टुकड़ा माधव ने रखा बाकी बेच दिया।

दिनचर्या  – त्रिलोचना कौर

3 को 50 50 लाख मिला। सुगंध। बोली सासू जी के कोई गहने आपके पास हो तो हमे दे दो आखिर हम भी बहुएं है। रेणुका बोली सुगंधा माजी की का तो कुछ ना था पर हा तुम्हारे विवाह में जो तुम्हे चढ़ाया था वो हमारी तरफ से वो तुम्हारे भैया ने बनवाया था और ऐसा ही विवेक की पत्नी के लिए भी है।ये लो विवेक तुम्हारी अमानत संभालो।

ये सब देख माधव बेहोश हो गया उसे दिल का दौरा पड़ा था जल्दी से उसे हॉस्पिटल ले जाया गया।सुगंधा आरव को कह रही थी ये नया तमाशा है पैसे निकालने का तब तक जयश्री भी आ गई। रेणुका से बोली भाभी मेरे भाई को क्या हुआ।सुगंधा बोली ड्रामा है हमारे हिस्से दे दिए अब हमी से अस्पताल का बिल भी भरवाएंगे।

जयश्री बोली भाभी आप चुप रहो।आपको क्या पता भैया भाभी ने हमे कैसे पाला है।आज हम जो है वो इनकी बदौलत है आज आप लोगों के कलेजे में ठंडक पड़ गई होगी भैया को इस हाल में पहुंच। कर।आरव और विवेक तुम दोनों को शर्म नहीं आई तुमने अपने बाप समान भाई के साथ ऐसा किया। मेरा मायका मेरे भाई से है मुझे कोई बटवारा नहीं चाहिए।

सिर्फ मेरे भाई भाभी चाहिए और बिल की चिंता तुम मत करो मैं कर लूंगी।और मैं यही समझूंगी मेरा एक ही भाई है माधव जो दस भाइयों के बराबर हैं।विवेक और आरव शर्म से नीचे मुंह किए खड़े थे और जयश्री रेणुका को ले डॉक्टर के पास चल दी।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

#अब तो पड़ जायेगी न तुम्हारे कलेजे में ठंडक!”

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