“बेटी की बद्दुआ ” – कविता भड़ाना

एंबुलेंस के सायरन की आवाज जैसे जैसे करीब आती जा रही थी कनिका का हृदय आशंका और वेदना से फटा जा रहा था, घर – परिवार के सभी लोग इक्कठा हो चुके थे और आंखों ही आंखों में शायद सभी एक दूसरे को जवाब भी दे रहे थे,… 

आज सुबह ही तो पापा से अस्पताल में मिलकर आई थी और तभी से एक अजीब सी बेचनी हो रही थी जैसे कुछ बुरा होने वाला है….

आशंका सही साबित हुई एंबुलेंस में पापा आए तो थे, पर सफेद कफन में लिपटे हुए …. जा चुके थे वो हमेशा के लिए हमें छोड़कर…..दो छोटे भाइयों और मां के करुण क्रंदन से कनिका अपने पापा को ऐसे देख होश खो बैठी थी…जब थोड़ा होश आया तो देखा पापा को उनकी अंतिम यात्रा पर लेकर जा रहे थे, पीछे पीछे रोती बिलखती कनिका बस “पापा लौट आओ” की पुकार लगाती बदहवास सी भागे जा रही थी और बेहोश होकर गिर पड़ी…..

शाम को श्रृंगार विहीन और सूनी आंखों से पापा की तस्वीर निहारती मां और भाइयों को देख कनिका की रुलाई फूट पड़ी, तब कनिका के पति ने उसे संभाला और कहा ऐसे रोने से तुम अपनी तबियत खराब कर लोगी, अपने भाइयों को देखो तुम्हे देख वो भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे है , तुम तीनो को अब मजबूत होना पड़ेगा और अपनी मम्मी के साथ घर को भी अच्छे से संभालना होगा….

कनिका का पीहर भी चाचा – ताऊ से भरपूर बड़ा परिवार था और सभी में एकता और प्यार भी खूब था, उसे भी लगा चलो मम्मी के दुख को उनकी देवरानी जेठानिया मिलकर बांट लेगी और भाइयों को भी बड़ो का प्यार और संरक्षण मिलेगा…. रात को सभी के बिस्तर बरामदे में लगे थे सारी चाची ताई और छोटी बुआ सब वही मम्मी के पास थी, मम्मी को हाई बीपी की वजह से इंजेक्शन देकर कमरे में लिटा दिया था…गर्मी का मौसम था तो कनिका पापा को याद करती हुई सीढ़ियों पर बैठी थी की तभी उसके कानों में बरामदे से आवाज आई….. 

अरे दीदी हमे तो कल रात ही पता चल गया था की छोटे देवर जी को दोपहर तक ले आयेंगे .. मैंने तो तभी पार्लर वाली को फोन कर दिया की सुबह मेरी वैक्सिंग, फेशियल और आईब्रो कर जाए और फिर हम सबने ही थोड़ा थोड़ा करा लिया …अरे भाई 13 दिन तक लोग आएंगे , सभी रिश्तेदार और बच्चो की ससुराल वाले भी आयेंगे तो थोड़ा अच्छा दिखना चाहिए ना…..




थोड़ी देर पहले जिस परिवार पर नाज था उनका ऐसा दोगला चेहरा देख कनिका की गुस्से और आंसुओं से आंखें लाल हो गई पर समय की नजाकत देख कुछ न कह पाई बस उस ईश्वर से एक ही प्रार्थना की थी की अगर तुम्हारा अस्तित्व है तो इस दोगलेपन का नतीजा जरूर दिखा देना…… 

इसी दोगलेपन का सबसे घिनौना सच पापा की 13वी के बाद पता चला, सगे भाइयों ने अपने मृत भाई की अंतिम क्रिया का सारा सामान और इंतजाम जो शमशान घाट पर किया था, उसका बिल अगले दिन ही बेटो के हाथ में देकर बोले थे की ये इतने रुपए लगे थे “लौटा देना”….

सगे भाइयों और परिवार के ऐसे दोगले चेहरे और दोगलापन ईश्वर किसी को ना दिखाए… बहन समान देवरानी का श्रृंगार उजड़ने पर जिन्हें शर्म ना आई और भाई की अंतियोष्टि का खर्चा रोते बिलखते बच्चो को थमा दिया क्या इससे घिनौने दोगले चेहरे देखे है आपने?….

भगवान इंसाफ जरूर करना वरना एक बेटी की हाय तुम्हे भी लगेगी….

स्वरचित… एक कड़वा अनुभव

#दोगले_चेहरे

कविता भड़ाना

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