काश! तू उस दिन मेरा दुख समझ जाती- बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” मम्मी जी खाना दो ना” स्कूल से आकर रिचा ने अपनी मम्मी पूनम से खाना मंगा तो पूनम ने सुबह की बनी हुई रोटी रिचा को दी तो रिचा सुबह की ठंडी रोटी देखकर मुंह बनाते हुए बोली “मम्मी! जी मुझे गरम रोटी बना कर दो सुबह की ठंडी रोटी मुझे नहीं खानी “तुझे खानी है तो खा मेरे बस की नही है तेरे लिए गरम-गरम रोटी बनानी।” पूनम ने रिचा को डांटते हुए कहा तो रिचा खाना खाने की बजाय गुस्सा हो कर बैठ गई थी।

यह देखकर उसकी दादी रेखा पूनम से बोली “बहु रिचा के लिए गर्म खाना बना दो।” यह सुनकर पूनम जिसके पति पुनीत का कुछ दिन पहले एक दुर्घटना में एक्सीडेंट हो गया था और एक प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था गुस्से में बोली “जब से इसके पापा का एक्सीडेंट हुआ है मुझे तो चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है मुझे कुछ भी काम करने का मन नहीं करता।”

बहू की बातें सुनकर रेखा को कुछ समय पहले की बात याद आ गई थी। बेहद खुशहाल दांपत्य जीवन था उसका उसके पति राजीव उसे बेहद प्यार करते थे नौकरी से रिटायर होने के बाद घर के काम में उसका हाथ बटाते थे सर में जरा सा दर्द होने पर वे बेहद चिंतित हो जाते थे। खुद अपने हाथों से चाय- नाश्ता बनाकर दर्द निवारक गोली के साथ देते थे और दर्द दूर होने पर ही वे चैन की सांस लेते थे अपने पति का इतना प्यार पाकर वह निहाल हो जाती थी। खुशी खुशी उसकी जिंदगी के दिन गुजर रहे थे कि अचानक एक दिन सोते वक्त राजीव को दिल का दौरा पडने से उसकी मौत हो गई थी जिसके, कारण रेखा बेहद दुखी रहने लगी थी।

रोजाना घर के काम में बहू का हाथ बंटाने वाली रेखा अब घर के काम से जी चुराने लगी थी। यह देख कर पूनम उन्हे तसल्ली देने की बजाय उलाहना देते हुए बोली “मम्मी जी! कुछ काम कर लेती तो आपका मन बट जाता ऐसे खाली बैठे रहने से काम नहीं चलेगा।”

यह सुनकर रेखा दुखी स्वर में बोली “बहु जीवनसाथी के साथ ना होने का दर्द कोई बांट नहीं सकता जब मन दुखी होता है तो हाथ पैर भी साथ नहीं देते। काम करने को भी तभी मन करता है जब मन सुखी होता है अभी मुझसे ऐसी हालत में काम नहीं होगा।”

तब सास का दुख समझने की बजाय पूनम उनसे बोली ” मम्मी ऐसा कुछ नहीं होता यह सब काम से बचने के तरीके हैं जल्दी से सारे घर की सफाई करके खाना बना दो। तब तक मैं बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करतीं हूँ। आपके बेटे पुनीत भी कुछ देर बाद उठकर ऑफिस जाने ही वाले हैं।”

तब बहू की बात सुनकर वह दुखी मन से घर में सफाई करके खाना तैयार करने लगी थी। उसका बेटा पुनीत एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था एक दिन ऑफिस से लौटते वक्त एक कार ने पीछे से उसकी कार में टक्कर मार दी थी जिससे उसके शरीर में काफी चोटे आई थी तब रेखा ने उसे तुरंत अस्पताल में दाखिल कर दिया था और श्रेष्ठ चिकित्सक द्वारा उसका इलाज करवा रही थी जिसके कारण उसकी हालत में काफी सुधार हो गया था इस दौरान वह पूनम को काफी तसल्ली देती रहती थी। सुबह का खाना अभी भी वही बनाती थी पूनम बच्चों के स्कूल से आने पर सिर्फ उनके और अपने लिए गरम खाना बनाती थी परंतु, पुनीत के चोट लगने पर उसने आज रोटी बनाने से भी इंकार कर दिया था।

पूनम की बात सुनकर वे दुखी मन से बोली” बहु तुझे पता चल गया की जीवनसाथी के साथ ना रहने से कितना दुख होता है भगवान की कृपा से तेरा पति कुछ दिनों में ठीक हो पर घर आ जाएगा परंतु, मेरा पति तो हमेशा के लिए मुझे छोड़ कर चला गया था फिर भी मेरा दुख बांटने की बजाय तुम मुझे घर के काम करने को कहती थी सोचो उस वक्त तेरी बात सुनकर मुझे कितना दुख होता होगा मुझे भी तो अपने पति के जाने के बाद चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता था काश! तू उस दिन मेरा दुख समझ जाती तो शायद भगवान तुझे ऐसा दुख ना देते कभी-कभी लोगों को सबक सिखाने के लिए भगवान लोगों को दुख देते हैं ताकि वे दूसरे लोगों का दुख समझ सके” सास की बात सुनकर पूनम शर्मिंदा हो गई थी उनसे सॉरी कह कर अपने बेटे के लिए रोटी बनाने रसोई की तरफ चल दी थी।

आज भी हमारे समाज में बहुत से निष्ठुर और अहंकारी लोग रहते हैं जो दूसरों का दुख बिल्कुल भी नहीं समझते परंतु, जब अपने पर दुख पड़ता है तो उन्हे हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है इसलिए कभी भी किसी के दुख में उससे काम कराने की बजाय उसका दर्द बांटने की कोशिश करें क्योंकि जब ऊपर वाले की चक्की चलती है तो वह सब का हिसाब कर देता है।

बीना शर्मा

#जीवनसाथी के ना होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता

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