कन्यापूजन से ज्यादा जरूरत है कन्या सुरक्षा की – संगीता अग्रवाल 

परी एक प्यारी सी छह साल की बच्ची अपने माता पिता के साथ साथ पूरे मोहल्ले की जान । हो भी क्यो ना आखिर जब थी ही इतनी प्यारी अपनी मीठी मीठी बातों से सभी को अपनी तरफ खींच लेती थी। आज रामनवमी पर अपनी सहेलियों के साथ घर घर कन्यापूजन को जा रही थी। उसकी माँ नीति ने उसे प्यारा सा गुलाबी सूट पहनाया था जो अभी परसो ही लाई थी वो। रंग बिरंगे कपड़ो मे सजी कन्याएं वैसे भी देवी स्वरूपा ही लगती है उस पर परी की मासूम मुस्कुराहट । हर कोई उस देवी को अपने घर पूजन के लिए ले जाना चाह रहा था। नीति ने क्योकि अष्टमी पर पूजन किया था तो वो अपने घर के कामो मे व्यस्त थी । परी बार बार आती और प्लेट बदल कर ले जाती। काम से निमट  नीति ने समय देखा ग्यारह बज रहे थे।

” ये परी कहाँ रह गई काफी देर से प्लेट बदलने भी नही आई!” नीति घड़ी देख खुद से बोली और बाहर आ गई। बाहर से बच्चो की टोली नदारद थी । उसने सोचा किसी घर मे गये होंगे पूजन को वो वही खड़ी हो परी का इंतज़ार करने लगी। 

ग्यारह के सवा ग्यारह फिर साढ़े ग्यारह हो गये परी दिखाई नही दी ना ही कोई ओर बच्चा। उसका मन घबराने लगा। ऐसा तो कभी नही हुआ कि किसी ने कन्यापूजन के लिए इतनी देर रोका हो बच्चो को ये सोच उसने अपने घर का दरवाजा बंद किया और दो घर छोड़ परी की सहेली तनु के घर पहुँची।

” अरे तनु बेटा तुम परी के साथ नही गई ?” नीति बोली।

” कहाँ आंटी …हम तो सभी घरो मे पूजन को हो आये !” तनु बोली।




” क्या पर परी कहाँ है फिर ?” नीति घबरा कर बोली।

” आंटी परी मुझे बाय बोल चली गई थी फिर मैं अंदर आ गई मैने उसे नही देखा !” तनु ने कहा।

” क्या हुआ नीति ?” तभी तनु की माँ शालू वहाँ आ बोली।

” शालू दी परी घर नही आई हो सकता है दूसरे बच्चो के साथ हो वो !” घबराई नीति मानो खुद को दिल्लासा देती बोली।

” पर आंटी सब बच्चे अपने अपने घर चले गये थे लास्ट मे मेरा और परी का ही घर है मुझे बाय बोल वो अपने घर की तरफ ही गई थी।” तनु के इतना बोलते ही नीति बाहर को भागी साथ ही शालू भी अपने बेटे से घर का ध्यान रखने को बोल नीति के पीछे हो ली। दोनो ने सब बच्चो के घर जाकर देखा सबके बच्चे घर मे थे वैसे भी उनका घर जरा दूर था फिर तनु का घर और सबसे आखिर मे परी का घर पड़ता है जो गली के कोने पर है।

घबराई नीति ने अपने पति राघव को फोन किया । राघव का ऑफिस पास मे ही था इसलिए वो दस मिनट मे पहुँच गया।

” राघव मेरी बच्ची कहाँ होगी ?” नीति रोते हुए उससे लिपट गई।

” घबराओं मत नीति देखते है हम उसे !” राघव उसे दिल्लासा दे बोला जबकि वो खुद डरा हुआ था क्योकि यूँ परी का ना मिलना मन मे शंका पैदा कर रहा था । नीति ओर राघव के साथ सारा मोहल्ला इकट्ठा हो परी को ढूंढने लगा उन्होंने अपने मोहल्ले के साथ साथ और मोहल्लो के भी एक एक घर छान मारे पर परी का कुछ पता नही था। 

” मेरी गलती है मैने उसे क्यो जाने दिया कन्यापूजन को क्यो नही ध्यान रखा उसका !” नीति फूट फूट कर रो दी।

” नीति इसमे तुम्हारी क्या गलती परी तो हर साल जाती है कन्यापूजन को और परी ही क्यो सभी बच्चे जाते है !”राघव् उसे चुप कराता बोला । मोहल्ले वालों की सलाह पर सभी पुलिस स्टेशन पहुंचे। पहले तो वो लोग आनाकानी करते रहे कि बच्ची है आ जाएगी जाएगी कहा।

पर जब मोहल्ले वालों ने जोर दिया तो मामले की संजीदगी समझ इंस्पेक्टर दो हवलदारो के साथ परी के मोहल्ले मे पहुचा और तलाशी अभियान शुरु किया। तलाश करते करते दो घंटे गुजर गये पर कोई परिणाम नही निकला पर तभी ….एक हवलदार ने कुछ देखा जो बहुत भयावह था । 

परी के मोहल्ले से दूर एक खाली प्लॉट था वो हवलदार परी को तलाशता वहाँ पहुँच गया पर वहाँ पहुँच चिल्ला पड़ा ” सर जी ” इंस्पेक्टर के साथ मोहल्ले वाले भी आशा की चमक लिए उस जगह पहुंचे पर …वहाँ का दृश्य देख सबके रोंगटे खड़े हो गये । परी का गुलाबी सूट , उसकी कंजक की प्लेट सब एक तरफ पड़ा था और पड़ा था परी का खून से लथ पथ नग्न शरीर। 

” परी…..!” नीति उसे देख बेहोश हो गई। राघव भी दहाड़े मार रो पड़ा मोहल्ले वाले जो खुद सकते मे थे उन्होंने किसी तरह दोनो को संभाला।

” साहब जी जिंदा है ये अभी !” तभी दूसरा हवलदार जो परी के शरीर को ढकने आगे बढ़ा था बोल पड़ा।।

आननफानन मे परी को अस्पताल ले जाया गया । फोरेंसिक टीम को वहाँ से सुबूत जुटाने बुलाया गया। नीति होश मे तो आ गई थी पर बस आंसू बहाये जा रही थी । डॉक्टर परी के इलाज मे लगे थे । बलात्कार का जुल्म वो मासूम नही सह पाई थी जिससे उसके निजी अंग काफी क्षतिग्रस्त हुए थे । 

थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर घटना स्थल का काम निपटा अस्पताल आया और राघव तथा नीति से जानकारी ली और इस नतीजे पर पहुंचे कि परी जब तनु को बाय बोल अपने घर की तरफ आई तब किसी ने उसे आवाज़ दे बुलाया और जबरदस्ती से या कन्यापूजन के नाम पर खाली प्लॉट मे ले जाकर उसके साथ गलत काम किया। पूरा मोहल्ला ये सुन सकते मे आ गया सबको अपने बच्चो की चिंता भी हुई क्योकि लगभग सभी के बच्चे कन्यापूजन को जाते ही है। नीति और राघव उस घड़ी को कोस रहे थे जब उन्होंने परी को भेजा । 




गहन चिकित्सा से गुजर परी की जान तो बच गई पर उसका शरीर बहुत क्षतिग्रस्त हुआ था साथ साथ वो मासूम सदमे मे भी थी। वहाँ से मिले सुबूतों के आधार पर और चौराहे पर लगे cctv की मदद से पुलिस अपराधी तक भी पहुँच गई। वो शख्स उस मोहल्ले का था भी नही बल्कि वो तो उस जगह का ही नही था। पुलिस के द्वारा पकड़े जाने पर उसने बहुत मुश्किल से अपना जुल्म कबूला और जो कहानी बताई वो हमें आपको सबको सोचने पर मजबूर करती है ।

असल मे वो शख्स वहाँ से गुजर रहा था कि उसके फोन पर उसके दोस्त ने एक वीडियो भेजा जिसे देख उस इंसान की इंसानियत मर गई और वो वासना मे डूबा वहशी दरिंदा बन गया उसी समय परी ने तनु को बाय बोला तो उस शख्स की नज़र परी पर गई जिस परी को देख मोहल्ले वालों को प्यार आता था उस परी को देख उसकी वासना और भड़क गई। जैसे ही तनु अपने घर मे गई उसने परी को आवाज़ दे बुलाया और उसे बहला कर ले गया और खाली प्लॉट मे ले जाकर हैवानियत को अंजाम दे चुपचाप निकल गया। 

राघव ने जब उस शख्स को पुलिस के देखा उसका खून खोल उठा और वो उसे मारने को दौड़ा पुलिस ने बीच बचाव कर उसे छुड़ाया और जेल भेज दिया। वो शख्स अपने गुनाह की सजा पा रहा है पर परी और उसका परिवार तो मासूम था उसे किस गुनाह की सजा काटनी पड़ रही है ।

 क्या बेटी होना या बेटी पैदा करने की या फिर कन्यापूजन मे जाने की? ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नही क्योकि आये दिन ऐसी घटनाये हो रही है और हम लोग कुछ नही कर पा रहे । हमारी बच्चियां कही सुरक्षित नही किसी दिन सुरक्षित नही । उन्हे भले देवी बना पूजा जाता है पर सदियों से हवस मिटाने का साधन भी समझा जाता है। 

दोस्तों मेरा मकसद आपको डराना नही ना ये कहना है कि बच्चियों को कन्यापूजन भेजना बंद करे  । किन्तु अभी पिछले दिनों महिला दिवस और प्रथम नवरात्रे पर हमारे देश की दो बच्चियों के साथ औरैया और हरदोई मे जो हादसे हुए उनसे साफ जाहिर होता है हवस के पुजारियों के लिए हमारी बेटियां किसी भी दिन पूज्य नही है । हमें अपनी बच्चियों का बहुत ध्यान रखने की जरूरत है उन्हे बहुत कुछ समझाने की जरूरत है । साथ ही जरूरत है ऐसे कानून को लाने की जिसमे बलात्कार के केस पर त्वरित कार्यवाही हो और उस शख्स को ऐसी सजा मिले कि आगे कोई इंसान हमारे बच्चो से गलत करने की सोचने से भी घबराये।।

कोई महिला दिवस , कोई कन्यापूजन सही मायने मे तभी सफल होगा।

जब हर बेटी के लिए ये देश हमारा पूरी तरह सुरक्षित होगा।

तब तक नही खत्म होंगे जुल्म हमारी कोमल कलियों पर

जब तक कुछ हवस के पुजारियों का सिर धड़ से जुदा नही होगा। 

आपकी दोस्त 

संगीता

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