कभी खुशी कभी गम – स्वाती जैंन

कोमल के लिए आकाश का रिश्ता आया था इस खबर से ही पूरा परिवार खुश हो गया था !!

कोमल एक मध्यम परिवार की लड़की थी , माँ – पिताजी ने खूब मेहनत करके पढ़ाया- लिखाया था और इस काबिल बनाया था कि कोमल आज अपने पैरों पर खड़ी थी शायद यही वजह थी कि आकाश जैसे अमीर लड़के का रिश्ता कोमल के लिए आया था !!

आकाश और उसके परिवार को भला कौन नहीं जानता था ?? आकाश फर्नीचर , आकाश इंटरप्राइज , पिता घनश्याम दासजी का सारा कारोबार बड़े बेटे आकाश के नाम से ही तो था !!

आकाश के जन्म के बाद घनश्याम दास जी की तरक्की पे तरक्की हुई जिस वजह से सारा कारोबार आकाश के नाम से पड़ गया !! घनश्यामदासजी की पत्नी सुलोचना जी बहुत किस्मत की धनी थीं !!

वे खुद भी बहुत अमीर घर की बेटी थीं और शादी भी बहुत अमीर घराने में हुई थी !!

आकाश और छोटा बेटा आलोक माँ को बहुत मान – सम्मान देते थे !! मां के मुंह से जो बात निकल गई वह झट से पूरी हो जाती !!

सुलोचना जी ने आकाश का रिश्ता कोमल से भेज तो दिया था मगर साथ में यह शर्त भी रखी थी कि हमारे परिवार की बहुएँ नौकरी नहीं करेंगी , बस यही बात कोमल को अखर रही थी मगर मां – पिताजी की खुशी देख चुप थी !!

कोमल ने जब मां रागिनी जी को अपने मन की बात कही वे बोलीं बेटा रागिनी हमने जीवन में बहुत संघर्ष देखा है बस अब तुझे खुश देखना चाहते हैं !! ऐसे रिश्ते नसीब वालों को मिलते हैं आकाश के लिए लड़कियों की कमी नहीं है !!

कोमल और आकाश का ब्याह हो गया , शादी के बाद शुरूआती दिन तो बहुत रोमांचित थे सिर्फ प्यार ही प्यार था मगर जैसे – जैसे दिन गुजरने लगे कोमल पर पुरे घर का काम डाल दिया गया और तो और घर का झाडू – फट्टा भी कोमल से ही करने कहा गया क्यूंकि सुलोचना जी को कामवाली बाईयों का काम पसंद नहीं था !!

कोमल बिचारी अकेली सारा काम तो कर लेती मगर उसका दिल तब टूट गया जब उसे जरूरत के सामान के भी पैसे नहीं मिलते !!



सुलोचना जी का मानना था कि घर में सब कुछ तो मिल जाता है खाना – पीना , कपड़े- ज्वेलरी फिर एक्स्ट्रा पैसे क्यूं चाहिए ??

कोमल भले मध्यमवर्गीय घर से थी मगर कभी ऐसे पैसे के लाले कोमल को मायके में भी नहीं सहन करने पडे थे जितने कि एक अमीर घर की बहू बनने के बाद झेलने पड़े !!

कोमल अब समझ गई थी यह पैसे वाले लोग सिर्फ दिखावा कर सकते हैं असलियत अंदर से कुछ और ही होती है !!

आकाश के भाई आलोक की शादी भी एक मध्यमवर्गीय लड़की से की गई !! अब कोमल जान चुकी थी कि मध्यमवर्गीय परिवार की बहू लाने के पीछे सुलोचना जी की क्या मानसिकता है??

सुलोचना जी यह बात बखूबी जानती हैं कि ऐसी लड़कियों को झुकाना बड़ा आसान होता है बजाय अमीर घर की बेटी के !!

आलोक की पत्नी प्रीती के साथ भी यही व्यवहार हुआ जो कोमल के साथ हुआ था !!

दोनों जेठानी- देवरानी एक – दूसरे के सहयोग से सारा काम कर लेतीं और वही बात जब भी पैसे मांगो तो पूछा जाता कि क्या जरूरत है पैसों की ??

आकाश और आलोक सुलोचना जी जो कहतीं उनकी हां में हां मिलाते , पत्नियाँ तो सिर्फ नाम की घर में थीं!!

कोमल को आज अपने आप से घृणा हो रही थी कि उसका इतना पढ़- लिखकर क्या फायदा हुआ जब पैसो के लिए तरसना पड रहा हैं ??

अब उसने फैसला कर लिया कि वह वापस नौकरी करेगी !!

उसने आकाश और सुलोचना जी से यह बात कही तो सुलोचना जी तुरंत बोली हमारे घर की बहुएँ नौकरी नहीं करतीं कोमल !!

कोमल बोली मम्मीजी आप मुझसे जितना घर का काम करवाती हैं उतना कोई बाई करती तो वह भी महिने की पाँच हजार रूपए ले जाती मगर यहाँ तो घर का सारा काम करके भी हाथ में एक रुपया नहीं मिलता और मेरी पढ़ाई का भी कोई मूल्य नहीं रह गया हैं अगर मुझे घर के काम ही करना है तो , इससे बेहतर हैं मैं नौकरी करूँ और मेरी सैलेरी में से ही बाई को भी पैसा दूं !!



आप चिंता मत किजिए पैसे आपको नहीं देने पड़ेगें वैसे भी मम्मी जी आप इतना पैसा लेकर कहां जाएंगी जब घर की बहुओं को भी पैसा ना दे सको !!

प्रिया ने भी कोमल भाभी का साथ दिया और बोली भाभी बिल्कुल सही कह रही हैं इतनी पैसो की कटौती तो हमने हमारे मध्यमवर्गीय घर में भी नहीं देखी !!

सुलोचना की चाल उल्टी पड़ गई !!

दोनों बहुओं में एकता हो चुकी थी और वे सास के खिलाफ थीं !!

घनश्याम दासजी जो अब तक कुछ नहीं कहते थे वे बोले सुलोचना तुम जब शादी करके आई तो मेरी मां ने तुम्हें कभी तकलीफ नहीं दी ,कभी तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार नही किया था जो तुम अपनी बहुओं के साथ कर रही हो !! क्या हमने इस दिन के लिए इतना पैसा कमाया और जमा किया है ??

तुम जान – बूझकर मध्यम वर्गीय घर की लड़कियाँ लाई ताकि तुम इन्हें अपने इशारों पर नचा सको !!

आकाश और आलोक को आज शायद एहसास हो रहा था कि जिस मां को वे दोनों भगवान का दर्जा दिए बैठे थे वह मां इतनी स्वार्थी हैं !!

सुलोचना का सर शर्म से झुका हुआ था , उसके पास कहने को कोई शब्द ही ना थे !!

दोस्तों , बहुत सी सास यही सोचती हैं कि लड़की निम्न घर की हो तो उसे अपने इशारों पर नचाना आसान होगा मगर वे शायद भूल जाती हैं कि आज की लड़कियाँ पढ़ी- लिखी होने के साथ – साथ होशियार और समझदार भी हैं जो ऐसी सासों की चाल कामयाब नही होने देती !!

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#कभी_खुशी_कभी_ग़म 

आपकी सखी

स्वाती जैंन

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