“इज्ज़त” – चंद्रमणि चौबे

पिता जी जिला कैमूर में सिविल सेवा  सर्विस से   रिटायर हो घर आ चुके हैं घर में तीन बहू, बेटे  और दो उनकी बेटियां है। काफी  खुशहाल परिवार है।

मैं घर की सबसे बड़ी बहू होने के नाते मेरा उत्तरदायित्व भी बड़ा है। सासू मां के नही होने के कारण घर की इज़्ज़त हाल सारी जिम्मेदारी मेरी होती है। घर की देखभाल बहु के रूप में करती हूं

पिता जी बहुत ही भले ,अच्छे सबको इज्ज़त देने वाले सहनशील व्यक्ति है। अपनी सारी दुनियां परिवार को समझते हैं। सबकी खुशी चाहते हैं ,सबका खयाल रखते हैं। अपने पैसों से घर का सारा खर्चा चलाना ,सभी बच्चों को पढ़ाना लिखाना

योग्य बनाकर पैरों पर खड़ा करना कोई कमी नहीं करते बोलते है की शिक्षित परिवार ही शिक्षित समाज का निर्माण करता है।

पिता जी अपने पेंशन का पैसा भी नही रख पाते

ताकि मेरा परिवार बेटा बहु सब खुश रहे। सबको पढ़ा लिखा कर स्वावलंबी बनाना है ताकि कोई किसी पर आश्रित ना रहें मेरा  जीवन कम दिन का रह गया है। मेरी एक सबसे छोटी बिटिया रानी है उसका भी अच्छे परिवार देख हाथ पीले कर निश्चिंत हो जाऊंगा। भाईयो की सबसे लाडली छोटी बहन धूम धाम से अच्छे घर में शादी करेंगे।

पिता जी शादी के लिए  रईस परिवार खानदानी

लड़का , नोकरी हो तलास में लगे रहें,कहीं बात नही बनी दहेज़ को लेकर चितित रहने लगे,खाते पीते सोते जागते बस एक ही बात मन में रहती की कैसे बेटी की शादी करे ,अच्छा घर परिवार मिल जाता तो शादी कर निश्चिंत हो जाते।




पिता जी गुमसूम रहने लगे मन ही मन उदास

मुझसे देखा नही गया की आखिर बात क्या है सबको खुश रखने वाले आजकल उदास क्यों है,,मैं पिता जी के लिए नाश्ता लेकर उनके पास गई और उदास रहने का कारण पूछा पहले तो टाला, नही बताना चाहा ,लेकिन मैं हार नही मानी ,, पूछती रही।

बहुत कोशिश के बाद पिता जी बोले की बेटी तुम तो बहू हो ,सबका कितना खयाल करती हो

मेरे अपने तीन बेटे है ,,सारा  जीवन कमाया सब कुछ किया पढ़ाया लिखाया किसी प्रकार की कमी महसूस नही होने दिया ,,आज वही बेटा हाल तक नही पूछते कि पिता जी आप कैसे हो तनिक भी नही सोच रहा  की छोटी बहन सयानी हो गई है कैसे शादी ब्याह होगा।

तुम अपने पति प्रवीन से बोलो ना मुझे तो अपने पति से  बात किए कितने दिन हो गए थे ,,बात करने को तरस गई हूं  वो अपने काम में इतने उलझे हुए हैं की पत्नी को भी नही पूछ पाते तीनों भाई पत्नियों की सुनते कहां है लेकिन ये बात मैं पिता जी को बता नही सकती थी वो और परेशान हो जाते ।

मैं बोली की आप परेशान ना हो पिता जी शाम को सब एक साथ होंगे तो बात होगी ।

शाम हुआ घर में सब एकत्रित हुए ,इस बात को सबके सामने रखी मैं पिता जी का चिंता का कारण बताया। किसी ने कुछ नही बोला सब अपनी, अपनी खर्च ,काम ,, गिनाने लगे की हम लोग के पास इतना पैसा कहां की खर्च कर पाएंगे,,पिता की का धड़कन तेज होने लगी,चिंता में रोज़ रोज़ कमजोर होते जा रहे थे की अब मेरा इज्ज़त कैसे रहेगा सब पैसा तो बच्चों में दे दिया अपने पास कुछ भी नही रखा,अब कैसे होगा।




अचानक मन में खयाल आया की पिता जी तीनों बेटों के नाम से शहर में ज़मीन ख़रीद दिए है ,क्यों न उस ज़मीन को बेच दिया जाए,घर की इज्ज़त का मामला है,अच्छे घर में   शादी कर पिता जी का टेंशन दूर हो जायेगा।

ज़मीन बेचने की बात सुन तीनों भाई की बोलती बंद हो गई पिता जी के पाव पड़ कर क्षमा मांगे ,,

और बोले की पिता जी ये आपकी निशानी है शहर का जमीन नही बेचा जाएगा हम भाई मिलकर अपनी बहन का बहुत योग्य परिवार सर्विस करने वाले लड़का से शादी कर विदा किया।

गांव के सारे लोग के मुंह से तारीफ़ सुनकर पिता की का खुशी का ठिकाना ना रहा। सबके सामने पिता जी ने कहां गांव वासियों आज मैं रूपा जैसी लक्ष्मी बहु पाकर जीवन धन्य हो गया।

सच में कहा गया है की घर में अगर बहु समझदार हो तो घर को स्वर्ग बना सकती है।।

चंद्रमणि चौबे रोहतास बिहार

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