हम देवरानी जेठानी नहीं हम तो छोटी बड़ी बहनें हैं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

ये क्या जिज्जी तुम्हारी दोनों बहुओं को देखकर तो लगता ही नहीं है कि ये दोनों देवरानी जेठानी है । दोनों कितना हंसती मुस्कुराती रहती है और मिलजुल कर काम करती है ।एक हमारी बहुएं है एक दूसरे को देखकर जली कुढी जाती है। दोनों एक दूसरे की शक्ल नहीं देखना चाहतीं । आपने ऐसा क्या जादू कर दिया है जिज्जी सरला अपनी ननद शकुन से बोली।

अरे कुछ नहीं मिलजुल कर रहेंगी दोनों बहुओं का ही फायदा है भाभी । क्योंकि आपके भइया ने तो कह दिया है कि जो मिलजुल कर रहेगा , प्रेम से रहेगा उसे घर बिजनेस पूरा मिलेगा और ये घर भी उसी के नाम कर देंगे ,और जो लड़ाई झगडे करेगा हम दोनों बुड्ढे बुढियो का ख्याल नहीं रखेगा उसको इस घर से कुछ न मिलेगा ।वो अपना इस घर से बाहर जाकर कुछ इंतजाम करें ।

अब ये तूम दोनों देवरानी जेठानी आपस में तय कर लो कि तुम्हें कैसे रहना है ।और हां सास शकुन ने भी छोटी बहू के घर आते ही अच्छे से समझा दिया कि देखो बहू अब तक तो बड़ी बहू पूरे घर की जिम्मेदारी ली थी हम लोगों को और सबकुछ अच्छे से संभाल रही थी ।अब घर में दो बहुएं हो गई है या तो तुम अपनी अपनी जिम्मेदारी बांट लो घर के कामों की ,एक समय बड़ी बहू खाना बनाए

और एक समय छोटी बहू और ऊपर का काम में देख लूंगी ।मैं भी तो अभी इतनी बूढ़ी नहीं हुई है कि कुछ न कर सकूं आखिर दिनभर बैठे बैठे ही कैसे समय पास होगा।या दोनों ही मिलकर एक साथ काम निपटा लो ।

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बस भाभी कुछ हमने और कुछ तुम्हारे भइया ने समझाया और कुछ बहुओं ने समझा बस ऐसे ही सब अच्छे से चल रहा है । दोनों मिलकर हंसते मुस्कुराते से काम निपटा लेती है । हां जिज्जी बहुत सही किया ।बहुओं के घर आते ही यदि घर के बड़े समझदारी दिखा दे तो घर लड़ाई झगडे से बच जाता है ।

                          शकुन और श्रवण के दो बेटियां और दो बेटे थे । दोनों बेटों और और एक बेटी की शादी हो चुकी थी ।एक बेटी रह गई थी शादी के लिए। शकुन की बड़ी बहू करूणा बहुत समझदार थी । शादी होते ही घर को अच्छे से संभाल लिया था। शकुन भी घर के कामों में बराबर से सहयोग करती रहती थी ।और बेटी नेहा को भी भाभी के साथ काम करने को बोलती रहती थी ।

बेटी से कहती अभी तुम्हारी शादी नहीं हुई है,घर के काम कैसे संभाले जाते हैं पढ़ाई के साथ साथ ये भी सीखो।ये क्या कि दिनभर मोबाइल लेकर पड़े रहो ये आदत अच्छी नहीं है ।कल के शादी होगी ससुराल से उलाहने मिले कि बेटी को कुछ सिखाया नहीं है तो मुझे बर्दाश्त नहीं है ।घर में सिर्फ करुणा के ऊपर सारी जिम्मेदारी शकुन ने नहीं डाली थी उसके साथ साथ खुद भी बराबर से काम करती थी।

कही बेटा बहू को जाना आना हुआ तो शकुन कह देती थी कि तुम लोग जाओ हम देख लेंगे खाना पीना इस तरह  से सामंजस्य बिठा कर चलने से घर का माहौल काफी अच्छा था ।घर का काम कैसे निपट जाता था पता ही न चलता था । शकुन ने बेटों की भी अपना अपना काम खुद करने की आदत डाल रखी थी हर वक्त पत्नी को ही हर काम को आवाज देते रहे ऐसा नहीं था।

          बड़ी बहू प्रेगनेंट थी और इधर छोटे बेटे शिखर की शादी तय हो रही थी । शकुन के मन में थोड़ा डर था कि बड़ी बहू तो अच्छी है छोटी जाने कैसी होगी।

शादी पक्की होने के बाद शिखर पत्नी काव्या से फोन पर बात करता तो वो अपनी भाभी की बहुत तारीफ करता साथ ही घर में सब कैसे चलता है में भी बताता।एक दिन काव्या बिफर पड़ी ये क्या शिखर तुम जब देखो तुम घर और अपनी भाभी की ही बात करते रहते हो । हां इस लिए ऐसा करता हूं कि हमारे घर में अपना अपना कुछ नहीं है सब मिलजुल कर काम करते और रहते हैं ऐसे ही तुम्हें भी रहना है ।

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             करूणा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया। शकुन ने खूब अच्छे से ध्यान रखा। अस्पताल से घर आने पर बच्चे की देखरेख , मालिश करना , नहलाना धुलाना सब शकुन करती बस जब बच्चा भूखा होता तभी करूणा के पास जाता ।

करूणा भी बहुत खुश थी ज्यादा से ज्यादा आराम मिल रहा था करूणा को । बच्चे की जिम्मेदारी घर के बड़े संभाल ले तो कितना सुकून मिलता है।साथ ही शकुन ने कुछ समय के लिए घर के कामों के लिए एक सहायिका रख ली थी जो थोड़े घर के काम भी कर लेती थी और करूणा की देखभाल भी अच्छे से हो जाती थी।

            करूणा के बेटा यश चार महीने का हो रहा था ।अब अगले महीने शिखर की शादी थी । करूणा जोश खरोश से शादी के हर काम निपटा रही थी। शादी निपट गई और काव्या घर आ गई । काव्या  ने देखा करूणा  सुबह से ही सब काम को भाग भागकर अंजाम दे रही थी ।सासू मां यश को संभालती और जब वो सो जाता तो काम में भी हाथ बंटाती।

              आज करूणा और काव्या संग संग बैठी चाय पी रही थी तो काव्या ने कहा भाभी आप सबेरे से भाग भागकर इतना काम करती है थक नहीं जाती। करूणा बोली मैं अकेले कहां करती हूं काव्या मांजी भी हाथ बंटाती है और नेहा भी करती है।और तुम्हारे भइया और देवर जी वो लोग भी तो अपना अपना काम खुद कर लेते हैं ।इस तरह जब सब मिलकर काम करते हैं तो काम भी जल्दी निपट जाता है और सबको भरपूर समय भी मिल जाता है आराम भी करो और जो चाहे वो करो अच्छा काव्या ने कहा।

        काव्या के शादी के एक‌ महीने बाद ही शकुन ने काव्या और करूणा को साथ बिठाकर कहा देखो घर का सब काम तो महिलाओं को ही करना होता है ।चाहे वो घर में रहे चाहे नौकरी करें ,या चाहे कितनी पढ़ी लिखी ही क्यों न हो उनके बिना करें घर के काम हो ही नहीं सकते चाहे जितना ही काम वाली को रख लो फिर भी घर की मालकिन को तो घर देखना ही पड़ेगा।

अब तुम बताओ काव्या एक समय का खाना तुम अकेले बनाना पसंद करोगी या ऐसे जैसे अब तक घर में हो रहा है वैसे।काव्या को मिलजुल कर काम करने में ज्यादा समझदारी दिखा रही थी सो वो बोल पड़ी मम्मी जी मैं भाभी के साथ मिलकर काम कर लूंगी। बहुत अच्छा शकुन बोली यही तो मैं चाहती थी ।

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और यदि तुम दोनों में से किसी को बाहर कहीं घूमने फिरने जाना है तो आराम से जाओ फिर मैं कर लूंगी घर का काम ।तुम अभी नई नई हो करूणा के साथ मिलकर काम करो और इस घर के तौर तरीके भी सीखो ।और हां अपने काम के साथ अपनी ननद रानी को भी लगाए रखना नहीं तो वो कामचोर हो जाएगी कैसे सीखेगी घर गृहस्थी कल के उसकी शादी होगी तो ससुराल से शिकायत सुनने को न मिले।

         सरला  भाभी बस इसी तरह दोनों देवरानी जेठानी मिलकर अपना काम करती है हंसी खुशी से।एक को कहीं जाना है तो दूसरी काम संभाल लेती है और दूसरी को कहीं जाना है तो पहली संभाल लेती है। इतने में काव्या चाय नाश्ता लेकर आ गई और बुआ जी नाश्ता करो और सम्मान से पैर भी छू लिया। ऐसा होता है परिवार जिज्जी हम बड़े ही घर में गलती कर देते हैं

कि बस बहुओं के आने पर अपना सासपना दिखानी लगते हैं ।हर काम से हम खुद को किनारे कर लेते हैं।और घर में नन्द है तो उसको भी काम करने को मना करते हैं कि तेरी भाभी तो आ गई है अब तू क्यों काम करेगी ।अब बहू आई है कोई नौकरानी तो नहीं लेकर आए हैं न ।अब हमारे घर ही देखो जिज्जी दोउ देवरानी जेठानी दुश्मन की तरह देखती है एक दूसरे को।

मेरा तो पूरा समय दोनों के झगडे निपटाने में ही चला जाता था है दोनों बहू बेटों को अलग कर दिया क्या करूं कम से कम सुकून तो है। यही तो हम गलती करते हैं भाभी ।

पहले सुधार बहूओं में नहीं अपने आप में लाना ‌‌‌‌‌‌होगा तभी घर में एकता बनीं रह सकती है।नफ़रत से कुछ हासिल नहीं होता।और समझौते में बड़ी ताकत होती है ।हां जिज्जी अब मैं भी कुछ कोशिश करूंगी देखती हूं कितनी सफल हो पाती हूं । हां हां क्यों नहीं भाभी प्रयास तो करना ही चाहिए।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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