गाँव के एक छोटे से घर में, सुनील और कविता अपने बेटे सुमित और बहू प्रिया के साथ रहते थे। सुनील और कविता ने अपने जीवन की सारी मेहनत और प्यार से इस घर को बनाया था। जब सुमित की शादी प्रिया से हुई, तो सबने सोचा कि अब घर में खुशियों की बहार आएगी। शुरुआत में सब कुछ ठीक था। प्रिया ने घर के कामों में हाथ बंटाना शुरू किया
और सबके साथ मिलकर रहने की कोशिश की। लेकिन धीरे-धीरे, सुनील और कविता को लगने लगा कि प्रिया उनके तरीके से काम नहीं करती। उन्हें लगा कि प्रिया की वजह से घर में बदलाव आ रहे हैं। एक दिन, सुनील और कविता ने सुमित से कहा, “तुम्हारी पत्नी की वजह से घर का माहौल बदल रहा है। हमें लगता है
कि वह हमारे तरीके से नहीं चल रही।” सुमित ने प्रिया से बात की, लेकिन प्रिया ने कहा, “मैंने तो हमेशा सबका भला चाहा है। अगर मैंने कुछ गलत किया है, तो मुझे माफ कर दीजिए।” समय बीतता गया और घर में तनाव बढ़ता गया।सुनील और कविता ने हर छोटी-बड़ी बात का दोष प्रिया पर डालना शुरू कर दिया।सुमित भी इस तनाव से परेशान हो गया
और उसने सोचा कि शायद प्रिया ही गलत है। एक दिन, प्रिया ने सुमित से कहा, “क्या तुमने कभी सोचा है कि घर टूटने का दोष हमेशा बहू पर ही क्यों डाला जाता है? क्या यह सही है कि हर समस्या का हल बहू को दोषी ठहराना है?” सुमित ने इस पर विचार किया और उसे एहसास हुआ कि शायद वह और उसके माता-पिता प्रिया के साथ अन्याय कर रहे हैं।
सुमित ने अपने माता-पिता से बात की और उन्हें समझाया कि घर की खुशियों के लिए सबको मिलकर काम करना होगा।सुनील और कविता ने भी अपनी गलती मानी और प्रिया से माफी मांगी। लेकिन इस बार, प्रिया ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उसने कहा, “मैं इस घर में तभी रह सकती हूँ जब हम सब एक-दूसरे की भावनाओं और विचारों का सम्मान करेंगे। हमें एक-दूसरे को समझने और सहयोग
करने की जरूरत है।” सुनील और कविता ने प्रिया की बात मानी और सबने मिलकर एक नया अध्याय शुरू किया। कुछ समय बाद, प्रिया को अपने पुराने दोस्त अजय से मिलने का मौका मिला। अजय ने प्रिया को एक नए व्यवसाय में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। प्रिया ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और
उसने अपने व्यवसाय में सफलता पाई। प्रिया की सफलता ने सुनील और कविता को भी प्रभावित किया। उन्होंने महसूस किया कि प्रिया के पास कितनी क्षमता है और उन्होंने उसे और अधिक समर्थन देना शुरू किया। इस बीच, सुमित ने भी अपने माता-पिता के साथ मिलकर काम करना शुरू किया और सबने मिलकर एक खुशहाल और
सफल परिवार का निर्माण किया। इस तरह, उन्होंने मिलकर अपने घर को फिर से खुशहाल बना लिया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बेटे-बहू को दोषी ठहराने से बेहतर है कि हम सब मिलकर समस्याओं का समाधान ढूंढें और एक-दूसरे का सम्मान करें।
इस कहानी में यह दिखाया गया है कि अक्सर बहू और बेटे को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि बहू घर में नइ होती हैं और उनके तरीके और विचार पुराने सदस्यों से अलग हो सकते हैं। इसके अलावा, पारंपरिक सोच और सामाजिक दबाव भी एक बड़ा कारण हो सकते हैं। बहू एक अलग परिवार से आती है, तो उसे नए परिवार के तरीके सीखने में कुछ समय लगता है। इस दौरान कुछ बदलाव होते हैं, जिन्हें स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
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Nitika Garg