” गहन चिकित्सा कक्ष ” – डॉ. सुनील शर्मा

अचानक किसी के कराहने की आवाज़ सुनकर होश आया. नर्स दौड़ कर आई और मेरे पैरामीटर्स चैक करने लगी. बुखार नहीं था, भी पी भी ठीक था. नर्स ने ही बताया कि दो दिन पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में रखने के बाद आज ही गहन चिकित्सा कक्ष में शिफ्ट किया है.सीने पर मॉनिटर के एलैक्ट्रोड चिपके थे, दोनों हाथों में सैलाईन चढ़ रहा था, नाक में भी नली डली थी,  वो पेशाब के लिए भी… घबराहट सी होने लगी.

दो दिन पूर्व ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी. करीब एक सप्ताह पूर्व मार्केट जाते हुए अचानक सीने में दर्द उठा. एक दुकानदार को कहकर रिक्शा मंगाया व घर पहुंचा. डॉक्टर ने हार्ट अटैक की आशंका जताई, जो शहर के बड़े अस्पताल में सही साबित हुई. सैकंड ओपिनियन लेने के बाद ऑपरेशन कराना ही सही लगा.

नर्स ने आकर नाक की नली निकाल दी, यानि मैं मुंह से खाना खा सकता था. नर्स ने ही बताया कि मेरी पत्नी व अन्य बाहर ही खड़े हैं. शाम को पत्नी को ही थोड़ी देर के लिए मिलने दिया जाएगा. भारी भारी दवाएं दी जा रही थीं. मन अजीब सा हो रहा था. शायद जी मिचला रहा था.आसपास के रोगियों के मॉनिटर्स के बजने की आवाजें घबराहट पैदा कर रही थीं. और अस्पताल की अपनी अजीब सी गंध.

तभी खाना आ गया. मन बिलकुल नहीं था, एक स्लाइस उठाकर खाने की कोशिश भी की लेकिन गला और पेट अभी कुछ भी लेने को तैयार न थे.दो घूंट चाय पीकर छोड़ दी. नर्स से पत्नी को बुलाने को कहा, लेकिन उसने मुस्कराकर कहा ‘ शाम को आएंगी ‘ . आसपास नज़र घुमाई तो देखा, और मरीज़ मन न होते हुए भी थोड़ा बहुत खा रहे थे.

दोपहर को फिर खाना आ गया. खिचड़ी थी शायद, मेरा बिल्कुल मन नहीं था. नर्स ने आकर कहा भी ‘ नहीं खाओगे तो ठीक कैसे होंगे ‘ फिर डाइटीशियन को बुला लाई. उसने भी पूछा, ‘ कुछ और खाना चाहें तो मंगा दें ‘ लेकिन मैंने थोड़ी फ्रूटी सिप की.

शाम को पत्नी मास्क तथा गाउन पहनकर आईं. मुझे तसल्ली दी कि डॉक्टर के मुताबिक सब ठीक है, जल्दी ही रूम में शिफ्ट कर देंगे. ‘ और तुम खाना क्यों नहीं खा रहे हो, ताकत कैसे आएगी, जितना खा सको खाने की कोशिश करो’ कल फिर आने का कहकर चली गई.

रात को फिर खाना आया. मैंने देखते ही थाली सरका दी. ड्यूटी नर्स ने काफी आग्रह किया ‘ देखो सब खा रहे हैं ‘ तभी मेरी नज़र करीब अस्सी वर्ष के वृद्ध रोगी पर पड़ी. वह इशारे से मुझे खाने के लिए कह रहे थे. नज़रें मिलीं तो वह थोड़ा आवाज में ज़ोर देकर बोले ‘ जो खाना मिलता है, खाओ… यहां से जल्दी बाहर निकलने का यही तरीका है ‘ उनके थम्सअप के इशारे ने भी जाने क्या असर किया कि मैंने भी थम्सअप करके उन्हें धन्यवाद कहा और खाने लगा. सूप भी पिया.

रात को नींद भी अच्छी आई. सुबह चाय के साथ दो बिस्कुट भी लिए. डॉक्टर राउंड पर आए तो नर्स को मुझे रूम में शिफ्ट करने की हिदायत दे गए. रूम में सब समय पत्नी को साथ रहने की इज़ाजत होगी. और घरवाले भी मिल सकेंगे. पेपरवर्क होने के बाद नर्स और अटैंडेंट ने मुझे व्हीलचेयर पर बैठाया और गहन चिकित्सा कक्ष से ले जाने लगे. तभी मेरी नज़र उन वृद्ध रोगी के बिस्तर पर पड़ी. खाली था. नर्स से पूछा ‘ इनको किसी टैस्ट के लिए ले गए हैं क्या ‘. नर्स ने बताया कि वह तो रात को ही चल बसे. अचानक कार्डियक अरैस्ट हो गया. काफी कोशिश की, लेकिन…’

‘ जो खाना मिलता है, खाओ… यहां से जल्दी बाहर निकलने का यही तरीका है ‘ उनके यह शब्द कानों में गूंजने लगे.’

– डॉ. सुनील शर्मा

गुरुग्राम, हरियाणा

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