फीस – रीता मिश्रा तिवारी

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आज स्कूल गई और जब अपने क्लास में गई तो सौम्या नज़र आई । वो पढाई में बहुत ही होनहार और साथ ही नृत्य और टेनिस में भी बहुत अच्छी छात्रा है। 

परीक्षा के दौरान वो बीच में ही परीक्षा छोड़ गायब हो गई। मुझे थोड़ी चिंता भी हुई की ऐसी क्या बात हो गई जो उसे परीक्षा छोड़ना पड़ा । 

दिया सौम्या के घर के पास ही रहती थी उससे पूछने पर भी कुछ ज्ञात नहीं हुआ तो मैंने उससे कहा की सौम्या को सूचित कर दे की मैंने उसे बुलाया है। 

दूसरे दिन भी जब वो नहीं आई तो मुझे उसकी बड़ी चिंता होने लगी थी ।एक अच्छी विद्यार्थी और परीक्षा से वंचित थी । मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था और कुछ समझ भी नहीं आ रहा था की बात क्या है । कुछ पता भी नहीं चल रहा था। और आज..

“सौम्या तुम ! कहां थी बच्चा ? स्कूल क्यूं नहीं आ रही थी ? और एग्जाम बीच में ही छोड़ दी… कोई खबर नहीं सब ठीक है न? कोई परेशानी है? ” 

उसकी आंखें पनीली हो गई थी नजरें नीची कर ली कुछ कहा नहीं सिर्फ इतना ही रुंधे गले से कह पाई वो..”वो मैम…मैम…बस



मैं उसे स्टाफ रूम में ले कर आ गई और कहा अब “बताओ क्या परेशानी है”। वो रोने लगी । मैंने उसे दिलासा दिया।

“मैम ! उस दिन जब मैं परिक्षा दे रही थी तो सर ने आकर जिसका फीस बाकी था उन सबसे पेपर ले लिए और क्लास से बाहर कर दिया, ये कहते हुए कि जब तक फीस किल्यर नहीं होगा तुमलोग एग्जाम नहीं दे सकते। उन सबमें एक मैं भी थी। घर जाकर मैं मम्मी से कुछ नहीं बोली।”

“क्यूं नहीं बोली ? कारण?”

“कैसे कहती हम सब बहुत परेशान थे ।  पापा को कैंसर है और हालत ठीक नहीं है।  उनके इलाज के लिए ही पैसौ का जुगाड़ नहीं हो रहा है तो मैं स्कूल फीस के लिए किस मुंह से कहती। मम्मी को जब पता चला तो रोने लगी और कहा पढ़ाई छोड़ दो इसलिए..आपने खबर भिजवाई तो आई हूं। मैम मैं अब स्कूली नहीं आउंगी कह नजरें नीची कर ली।”

“मैंने उसे सानत्वना दी और कहा तुम क्लास में जाओ और एग्जाम दो मैं सर से बात करती हूं ।”

 



ऑफिस में जाकर सर से बात की तो पता चला की आठ महिने का उसकी फीस बाकी है और फाइनल एग्जाम है तो…

“तो क्या… सर ! एग्जाम देना हर बच्चे का अधिकार है , रही बात फीस की तो रिजल्ट रोकिए। 

मैंने दिढ़ आवाज में कहा सौम्या को एग्जाम देने दीजिए सर..उसके पापा की हालत ठीक नहीं है उन्हें कैंसर है । 

उसका फीस मैं दे रही हूं कितना है बता दें । मैं अभी जमा कर देती हूं ।”

रसीद सौम्या को देकर उसके सिर को प्यार से सहला कर बाहर आ गई ।

मैं सौम्या जैसी होनहार बच्ची को पढ़ाई से वंचित होते नहीं देख सकती थी।

मौलिक स्वरचित

रीता मिश्रा तिवारी

७.६.२०२२

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