फ़र्ज़ – बरखा शुक्ला

श्रेया बी .टेक .कर रही है ,आज उसकी कॉलेज की फ्रेंड रीमा का जन्मदिन है ,उसके पापा बड़े बिज़नेसमेन है । उसने घर पर पार्टी रखी थी तो श्रेया की मम्मी ने जाने की अनुमति दे दी ।वैसे भी श्रेया के पापा नहीं है ,भइया भाभी पढ़ा रहे थे ,यही बड़ी बात थी । भाभी वैसे भी उस पर तीखी नज़र रखती थी । मम्मी ने जल्दी आने की हिदायत भी दी थी । श्रेया गोरे रंग तीखे नैन नक़्श की सुंदर सी लड़की थी ।

रीमा का घर काफ़ी बड़ा था । पार्टी घर के हॉल में थी । रीमा से बड़े दो भाई है ,सबसे बड़े भाई की शादी हो गई है ।

केक काटने के समय रीना की मम्मी ,भाभी व छोटा भाई भी आ गए । भाई अनुराग की नज़र जैसे ही श्रेया पर पड़ी वो उसे देखता ही रह गया ।फिर तो वो कभी खाने की व्यवस्था तो कभी कुछ बहाने से हॉल के चक्कर लगाने लगा ।वैसे कॉलेज में कई लड़के उसे देखते थे ,पर स्मार्ट अनुराग को देख उसका दिल भी धड़क उठा था ।

पार्टी के बाद रीमा बोली ,तुम सबको ड्राइवर घर छोड़ देगा । कुछ को तो उनका ड्राइवर लेने आ गया था । चार सहेलियों रह गई तो अनुराग बोला इन लोगों को मैं छोड़ देता हूँ ,तीनों सहेलियाँ झट से पीछे बैठ गई । वो भी पीछे का गेट खोले उन्ही के साथ बैठने की सोच रही थी ,तभी अनुराग बोला “अरे भई मुझे ड्राइवर बना के ले जाना है क्या ?आप आगे बैठ जाए ।”

रीमा हँसते हुए बोली “श्रेया तुम आगे बैठ जायों ।

श्रेया को घर छोड़ अनुराग तो चला गया और उसका दिल साथ ले गया ।

इसके बाद सब कुछ बहुत जल्दी हो गया ।अनुराग की मम्मी व भाभी इस रिश्ते के लिए तैयार न थी । बड़े भाई भी रज़ामंद न थे ,पर पापा को श्रेया पसंद थी ।और रीमा तो अपनी प्यारी सहेली को भाभी बनाने को बेक़रार थी । लेकिन अनुराग की ज़िद के आगे सबको मानना पड़ा ।



एक साल के अंदर ही रीमा की शादी भी हो गई ।अनुराग के ऑफिस जाने के बाद मम्मी  व भाभी उसके साथ अच्छा व्यवहार न करती ।पर अनुराग के प्यार के आगे वो सब नज़रंदाज़ कर देती ।

अब श्रेया एक बेटी की माँ भी बन गई । तभी एक दिन ऑफिस से लौटेते हुए अनुराग की एक्सीडेंट में मौत हो गई । ये खबर अनुराग के पापा को बड़ा आघात दे गई । अनुराग को गए ६ महीने भी नहीं हुए थे कि हार्ट अटैक से वो भी चल बसे । अनुराग के पापा के सामने उसकी मम्मी किसी तरह श्रेया को घर में रखे थी ।उनके न रहने से उसे महनूस करार कर घर से निकाल दिया ।रीमा के समझाने का भी उन पर असर नहीं हुआ ।

मायके में भी भाभी उसके आने से ख़ुश न थी ।

एक दिन भइया ने उस से पूछा “अब आगे क्या सोचा है ।”

श्रेया बोली “भैया मैं जॉब करूँगी । “

“वो तो ठीक है पर ससुराल में तुम्हारा भी हिस्सा है ,वो तो न छोड़ो ।”भइया बोले ।

 “नहीं भइया जब अनुराग ही नहीं रहे ,तो मुझे कुछ नही चाहिये ।”श्रेया बोली ।



जल्द ही श्रेया को जॉब मिल गई । बच्ची के लिए एक आया रख वो ऑफिस जाने लगी ।मम्मी को घुटनों में तकलीफ़ थी इसलिए वो बच्ची को सँभाल नही पाती थी ।एक दिन वो ऑफिस से थोड़ा जल्दी आ गई ।उसने देखा बच्ची रो रही है और आया कपड़े धो रही है ।उसके डॉटने पर बोली “क्या करूँ भाभी जी दिनभर घर के काम करवाती है । “

श्रेया ने कहा “तुम्हें बच्ची की देखभाल के लिए रखा है ,घर के काम करने की ज़रूरत नही है । “

इस बात को लेकर भाभी ने बहुत हंगामा किया । भइया के आने पर उन्हें भी भड़काया । अब श्रेया को लगने लगा यहाँ रहना अब मुश्किल है ।उसे ऑफिस की तरफ़ से फ्लैट मिल रहा था ,पर वो भइया के कारण संकोच कर रही थी ।लेकिन अब उसने सोचा बस अब और नही ,और वो मम्मी को लेकर फ्लैट में शिफ्ट हो गई ,क्योंकि मम्मी के साथ भी भाभी का व्यवहार अच्छा न था ।

रीमा श्रेया से बातें करती रहती थी ,उसने एक दिन बताया “पापा व अनुराग भइया के न रहने से जब से सारे बिज़नेस की बागडोर भइया के हाथ आ गई है ,उनका स्वभाव बहुत बदल गया है ।भाभी मम्मी को बहुत परेशान करती है ,मेरे घर मेरी सास मम्मी को रखने तैयार नही है ।मम्मी की बहुत फ़िक्र होती है ।”

श्रेया बोली “तुम फ़िक्र न करो मम्मी को मेरे पास छोड़ दो ।”

“श्रेया मम्मी ने तुम्हारे साथ कितना बुरा व्यवहार किया ।फिर भी तुम ऐसा बोल रही हो ।”रीमा ने कहा ।

“वो मेरे अनुराग की माँ है ,उनका ध्यान रखना मेरा फ़र्ज़ है ।तुम बेफिक्र हो उन्हें मेरे पास छोड़ दो ।”श्रेया बोली ।

रीमा के साथ मम्मी श्रेया के पास आ गई और श्रेया से बोली “बेटा मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम्हें बेसहारा जान घर से निकल दिया था , अब मैं ख़ुद ही बेसहारा हो गई ।”

“मम्मी जब तक आपकी ये बहू है ,अपने आपको बेसहारा मत समझाना ,मैं बनूँगी आपका सहारा । “ श्रेया बोली ।

और श्रेया  ने अपनी दोनों मम्मी का सहारा बन कर दिखाया ।

#सहारा 

बरखा शुक्ला 

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