एक बेटे का दर्द तुम कभी समझ ही नही पाईं !! – स्वाती जैंन

सुनीता बोली सच गाँव के लोगो को शहर के कितने भी तौर – तरीके सीखा लो मगर वे गाँव वाली हरकतें ही करेंगे !!

यह सुनकर रुक्मणि जी का दिल एक बार फिर टूट गया , कितनी उम्मीदे लेकर गाँव से आए थे रमाकांत जी और रूक्मणि जी मगर सुनीता दोनों को कुछ भी सुनाने का एक मौका ना छोड़ती !!

सोहम मां – बाबु जी को आए दिन बुलाया करता कहता आप लोग वहाँ अकेले क्यूं रहते हैं ?? आपका बेटा अभी जिंदा हैं !!

रुक्मणी जी कहती बेटा हम गाँव के लोगों को शहर के तौर- तरीके कहाँ आते हैं ?? हम यहाँ ही भले मगर सोहम दोनों को लेने गाँव आ गया तब जाकर दोनों सोहम के साथ शहर आए !!

सोहम छोटी उम्र में ही गाँव से बाहर शहर पढ़ने के लिए निकल गया था और फिर वही हमेशा के लिए सेट भी हो गया शादी भी अपनी मर्जी से ही की थी !! खुद का घर और खुद की गाड़ी भी ले ली थी , हमेशा फोन पर माँ – बाबु जी को शहर आने जिद किया करता था !!

देशी घी और गोंद के लडडू , उड़द दाल के पापड़, खिंचिया और भी ना जाने क्या – क्या बनाकर साथ लाए थे मगर बहु सुनीता को यह सब बिल्कुल पसंद ना आया !!

वह बोली हमारे यहाँ तो यह सब कोई नही खाता आप लोगो ने बेकार ही इतनी मेहनत की !!

बहु सुनीता ने कभी अपने सास – ससुर को अपनापन नहीं दिखाया !! वह अपने शहरी तौर – तरीके और अपनी खुद की जिंदगी में इतनी मशगूल थी कि उसने कभी उनसे प्यार से बात तक नहीं की !!

रुक्मणि जी और रमाकांत जी यहाँ आ तो गए थे मगर खुश बिल्कुल ना थे !!

कभी उन्हें गाँव से आए अनपढ़ लोग कहा जाता तो कभी उन्हें




अशालीन कहा जाता !!

सोहम के सामने दोनों कभी कुछ ना कहते !!

बेटा अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हैं यह वे लोग जानते थे और उनकी वजह से किसी को कोई परेशानी नही होनी चाहिए इस बात का ध्यान रखते थे !!

सोहम बोला मां – बाबुजी आपको कैसा लगा शहर , हमारा घर और हमारा व्यवहार ??

दोनों जानते थे सोहम ने आज अपने खुद के बलबूते अपनी एक नई पहचान बनाई हैं !!

सोहम पहले से ही पढ़ने में बहुत होशियार था !!

उसने कभी मां – बाबुजी का पैसा नही खर्च करवाया था स्कॉलरशिप में पुरी पढ़ाई करी थी !!

आज बेटे के पास वह सब कुछ था जैसा मां – बाबुजी सपना देखा करते थे !!

दोनों कहते बहुत अच्छा लगा बेटा सब कुछ मगर गाँव की बहुत याद आती हैं !!

तुम हमारी टिकिट बनवा दो अब हम गाँव जाना चाहते हैं !!

लेकिन सोहम ने उन्हें गाँव जाने नहीं दिया वह बोला सब कुछ अच्छा हैं तो आप लोग वापस गाँव क्यूं जाना चाहते हैं ??

मैं आप लोगो को हमेशा यही अपने पास रखना चाहता हुँ !!

रुक्मणि जी जानती थी सुनीता उन दोनो के साथ तालमेल नही बैठा पाएगी मगर सोहम के ना मानने पर उन्हें ओर रुकना पड़ा !!

एक दिन रुक्मणि जी रसोई में बेटे की पसंद का हलवा बना रही थी कि सुनीता आकर बोली मां इतना घी सोहम नही खाते आप गाँव के लोग यह बात कब समझोगे कि इतना घी और तेल हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं !!




एक ही बात बार – बार दोहराके भी फायदा नहीं होता !!

सोहम ने सुनीता की सारी बातें सुन ली और देखा कि उसकी मां चुपचाप खड़ी सब सुन रही हैं और बदले में एक शब्द भी वापस ना बोली !!

सोहम तुरंत सुनीता पर चिल्लाया और बोला तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां से इस तरह बात करने की ?? माफी मांगो मां से !!

रुक्मिणी जी बोली बेटा इसमें इसका कोई कसूर नहीं गलती हमारी हैं कि हम अनपढ़ हैं !!

हम अनपढ़ लोग गाँव में ही भले !!

तु हमारी गॉव की टिकट करवा ले बस !!

रमाकांत जी बोले हम नहीं चाहते हमारी वजह से तुम दोनों में कोई लड़ाई हो तु हमारी गाँव की टिकट करवा दे सोहम !!

सुनीता बोली सोहम मैं तुम्हारे साथ हर समझौता करने तैयार हुं बस मुझसे तुम्हारे देहाती मां – बाप नही झेले जाते !!

सोहम बोला मां – बाबुजी हैं मेरे यह , बस इसी बात में तुम्हारे समझौते की आवश्यकता थी मुझे कि तुम मेरे मां – बाबु जी को भी वहीं सम्मान दो जो तुम अपने मां – बाबुजी को देती हो मगर तुम यह भी ना कर पाई !!

सुनीता आज मैं जो कुछ भी हुं इनकी वजह से हुं !!

अगर तुम इन्हें दुःखी करोगी तो दुःख मुझे होगा !!

सच तो यह हैं एक बेटे का दर्द तुम कभी समझ ही नही सकती सुनीता !!

सुनीता ने सोहम को परेशान देखकर दोनों से माफी माँगी मगर मन से वह दोनों को कितना अपनाएगी वह वक्त ही बताएगा !!

मां- बाबु जी के बहुत जिद करने पर सोहम ने गाँव के टिकट बनवा दिए क्यूंकि वह जान गया था वे लोग यहाँ खुश नही हैं और इतने अपमान के बाद उन्हें यहाँ कैसे रुका जाता ??

दोस्तों , जो लोग अपने वृद्ध माता – पिता या वृद्ध सास – ससुर की सेवा नही करते शायद वे लोग यह भूल जाते हैं कि कल के दिन उनका भी यही हाल होनेवाला हैं !!

आपको यह रचना कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

#दर्द 

आपकी सखी

स्वाती जैंन

 

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