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दूर के ढोल सुहाने होते हैं – के कामेश्वरी

वेंकट लिफ़्ट में चढ़े देखा कि सेकंड फ़्लोर में रहने वाले जीवन जी अंदर हैं दोनों ने एक दूसरे को हेलो कहा । 

जीवन ने कहा— वेंकट जी आपका बेटा कैसा है कहाँ रहता है । 

वेंकट ने कहा कि— जीवन जी वह तो ठीक है और हमारे साथ ही रहता है । 

ग्राउंड फ़्लोर में आते ही दोनों ने एक-दूसरे को बॉय कहा अपने अपने रास्ते चले गए थे । 

जीवन अपना काम ख़त्म करके घर पहुँचे पत्नी राधिका ने पीने के लिए पानी दिया और साथ लाए हुए सामन अंदर रख कर आई थी । 

उसने देखा आज पति कुछ खोए हुए से दिखाई दे रहे थे । पहले तो मार्केट से आते ही महँगाई के बारे में दुकानदारों की लूट के बारे में और रास्ते में मिल गए किसी दोस्त के बारे में बोलते रहते थे आज यह चुप्पी कुछ अजीब सी लगी । 

राधिका चाय बनाकर लाई और दोनों चुपचाप चाय पीने लगे । 

उसने कहा कि- क्या हो गया है आज आप चुपचाप बैठे हुए हैं आज मार्केट में कुछ नहीं हुआ है क्या?

उन्होंने कहा कि— राधिका आज जब मैं मार्केट के लिए जा रहा था तो लिफ़्ट में फोर्थ फ़्लोर में रहने वाले वेंकट जी मिल गए थे । हाय हेलो के बाद मैंने जब पूछा कि आपका बेटा कैसा है कहाँ है तो उन्होंने कहा कि वह ठीक है हमारे साथ ही रहता है । मुझे ऐसे लगा कि जैसे वे मुझे चिढ़ा रहे हैं कि हमारा बेटा हमारे साथ रहता है आपका बेटा तो बाहर अमेरिका में रहता है । 

राधिका ने कहा कि— वाह !  यह भी कोई बात हुई आपने जो प्रश्न पूछा है उसका जवाब उन्होंने दिया है और आप उन्हें दोष दे रहे हैं । छोड़िए इन बातों को रवि का फ़ोन आया था कि हमें चेकप के लिए जाना है आपसे पूछकर वह डॉक्टर का अपाइंटमेंट लेना चाहता है। उन्होंने कुछ नहीं कहा और बैठकर चाय पीने लगे । 

दूसरे दिन जीवन मार्निंग वॉक पर गए तो वहाँ वेंकट पहले से ही वॉक कर रहे थे । अब दोनों बातें करते हुए साथ चलने लगे थे। यह सिलसिला जारी रहा एक दिन जीवन ने वॉक करते समय कहा कि वेंकट जी मैं एक बात कहूँ आपसे आप बुरा मत मानिए मुझे ना आपको देख कर ईर्ष्या होती है । 

वेंकट ने कहा कि- यह क्या कह रहे हैं जीवन आप?मुझे देख कर ईर्ष्या और वह भी आपको । 

जीवन ने कहा –  जी मैं जब भी आपको आपके पोते के साथ खेलते हुए देखता हूँ तो मुझे मेरे बच्चों की याद आती है और लगता है कि आप कितने खुश नसीब हैं । अपने बेटे के साथ रहते हैं और इस उम्र में अपने पोते के साथ समय बिताते हैं । बात आई गई हो गई थी । 

इस बीच जीवन जी का बेटा अपने परिवार के साथ दो महीने रहने के लिए इंडिया आया हुआ था । इसलिए जीवन जी बहुत व्यस्त हो गए थे। अपना सारा समय बच्चों के साथ ही व्यतीत करते थे। वे जहाँ भी जाते उनके ये लोग भी घूमने चले जाते थे। 

उन सभी को एक दिन वेंकट ने अपने घर भी बुलाया बहुत ही अच्छा लगा उनके बेटे और परिवार से मिलने के बाद अब वेंकट को भी जीवन से ईर्ष्या होने लगी थी । 

जीवन के बेटे के वापस अमेरिका जाने के बाद दोनों दोस्त फिर वॉक पर जाने लगे । एक दिन वॉक करते समय जीवन के बेटे का फ़ोन आया था कि मैं आप लोगों के हेल्थ चेकप के लिए अपाइंटमेंट ले रहा हूँ । 

जीवन ने कहा कि ठीक है तू इतना जिद कर रहा है तो हम चले जाएँगे । जीवन के फ़ोन रखते ही वेंकट ने कहा कि तुम्हारे बेटे को याद कैसे रहता है कि तुम्हारे चेकप का समय हो गया है ।

जीवन ने बताया था कि वह अपनी मोबाइल में स्टोर करता है और वहीं से यहाँ के डॉक्टर के संपर्क में रहता है । 

वेंकट ने कहा कि लगता है कि अब मुझे तुमसे ईर्ष्या करनी चाहिए । 

अरे वेंकट अब तुम्हें क्या हो गया है तुम ऐसा क्यों कह रहे हो । 

जीवन तुम्हें मालूम है न कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं । वैसे ही हम सब मिलकर एक ही घर में साथ रहते हैं पर साथ नहीं हैं । बेटे के पास हमारे साथ वक़्त बिताने का समय नहीं मिलता है डॉक्टर के पास ले जाने की बात हमारे याद दिलाने पर भी वह अनसुना कर दिया करता है । 

आप तो कम से कम अपने बेटे के साथ साल में दो महीने तो पूरा भरपूर बिताते हैं और वह दूर रहकर भी आपकी हर ज़रूरतों को पूरा करता है हमारा बेटा पास रहकर भी हमारे पास नहीं है । इसलिए कहते हैं कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं । 

दोस्तों दूर से देखने पर सब अच्छा दिखता है पास रहने पर ही पता चलता है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं । 

के कामेश्वरी 

#5वां_जन्मोत्सव

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