*दावत* – किरण केशरे 

दादू आज मेरा बर्थडे है ना, कहते हुए दस वर्षीय परी दौड़ते हुए आकर पीछे से दादू के कन्धे पर झूल गई थी। माधव जी ने उसका हाथ पकड़ कर आगे खींच लिया और बड़े लाड़ से बोले तो आज क्या प्रोग्राम है ,हमारी परी रानी का !! 

पार्टी में कौन कौन आ रहा है आज  ? दादू का प्रश्न था ! 

दादू मेरी फ्रैंड्स और मम्मी पापा के फ्रैंड्स ; परी ने बड़ी मासुमियत से कहा। 

और क्या क्या बनेगा बिटिया रानी !! 

अरे दादू ! केक ,बर्गर, पिज्जा , आईसक्रिम , ढेर सारी चाॅकलेट होगी पार्टी में। परी एक सांस में ही बोल गई सब।ओह ! पर मैं तो ये सब नही खाता ; माधव जी मुस्कुराए। ‘अच्छा तो मैं अब स्कूल जा रही हूँ, शाम को आप तैयार रहना ,परी भोलेपन से कहती हुई पापा की कार में जा बैठी’ 


शाम को शर्मा जी के बड़े से घर में बहुत रौनक हो रही थी।माली काका सभी मेहमानों को कोल्ड्रिंक सर्व कर रहे थे ,लाॅन में स्वादिष्ट  खाने की खुशबु सब और बिखर रही थी ,शानदार दावत होने वाली थी ;रंगीन गुब्बारों से पूरा हाॅल सजा था *हैप्पी बर्थडे टू यू* की मधुर संगीत स्वर लहरियाँ धीमे धीमे बज रही थी । परी आज गुलाबी फर वाले फ्रॉक में सचमुच परी ही लग रही थी !

“दादू चलो ना हाॅल में नही तो मैं केक नही काटूंगी ; परी , माधव जी के कमरे में जाकर खड़ी हो गई” माधव जी  पत्नी के दो वर्ष पहले गुजर जाने के बाद अकेलापन महसूस करने लगे थे, लेकिन बहू बेटे के सम्मान पूर्वक प्यार भरे व्यवहार और परी के साथ लाड़ लड़ाते उनका वक्त कब गुजर जाता उन्हें मालूम ही नही पड़ता। 

अरे ,मैं चल कर क्या करूँगा बिटिया रानी, तुम अपने दोस्तों के साथ  खूब अच्छे से जनमदिन मनाओ । तुम्हारे पापा मम्मी के भी दोस्त हैं। मुझे तो खाना और केक यहीं भिजवा देना। 

तभी परी के पापा मम्मी दादू के कमरे में आए और बड़े ही लगावट से बोले आप बाहर चलिए तो सही पिताजी, परी आपके बिना केक नही काटेगी ! माधव जी हाॅल में आते ही आश्चर्य मिश्रित खुशी से उछल पड़े ! भूषण, सदानंद, राघव,सोहन और महेश भी केक के टेबल के पास प्रसन्न मुद्रा में खड़े बतिया रहे थे।

इन दो सालों में माधव जी ने घर से ज्यादा निकलना ही छोड़ दिया था ; उन्हें तो जैसे ऊर्जा ही मिल गई, अपने पुराने साथियों को देखकर ! 


राउंड टेबल पर बहुत बड़ा केक दस नम्बर की मोमबत्ती  साथ सजा हुआ था। केक कटते ही तालियों “और हैप्पी बर्थडे टू डियर परी” से हाॅल गूंज उठा। 

परी ने केक का टुकडा सबसे पहले दादू को ही खिलाया। 

माधव जी अपने सभी हमउम्र  साथियों के साथ लाॅन में बैठकर पूरी , कचोरी, रायता काजू पुलाव , गुलाब जामुन और बने हुए अन्य पकवानों का रसास्वादन बड़ी प्रफुल्लता से कर रहे थे ! आज की दावत तो बेटे बहू और लाड़ली पोती ने बड़ी यादगार कर दी थी । 

किरण केशरे  

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