दर्द की अनुभूति – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : निलिमा जी के पति राजेश जी का निधन हुए १५ दिन हो गए थे।  कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले सभी मेहमान जा चुके थे।घर पर वे और उनके बेटा बहू रह गए थे। बेटे अनिल को भी आज से नौकरी पर जाना जरूरी है, वैसे ही राजेश बाबू की बिमारी और फिर उनके अन्तिम क्रियाकर्म में उसने बहुत छुट्टियां ले ली थी। 

बहु मोना भी नौकरी करती है,पर उसने अभी एक महिने की छुट्टी ले रखी है।अनिल माँ के पैर छूकर बोला माँ आज से मुझे ऑफिस जाना पड़ेगा। मेरा जाना जरूरी है।’  ‘ठीक है बेटा नौकरी पर तो जाना ही पड़ेगा। जाओ अपना ध्यान रखना।’   ‘जी माँ! ‘ अनिल चला गया। 

राजेश जी के जाने के बाद निलिमा जी के जीवन में एक खालीपन आ गया था।  इतने दिन मेहमानों की उपस्थिति में उसे इसका आभास कम हुआ। मगर जब आज वह अकेली रह गई  तो लगा जैसे उसके चारों और सन्नाटा पसरा है, वह अकेली रह गई है। बेटा बहू उसकी सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखते। मगर फिर भी मन की बैचेनी का वह क्या करे? किससे कहै? उसे लगता राजेश अभी आ जाऐंगे और उनसे मन की बातें करके वह बेफिक्र  हो जाएगी, पर जब याद आता है राजेश बहुत दूर चले गए हैं, तो वह परेशान  हो जाती है। 

उदासी उसे घेर लेती है। आज उसे अपने ससुर जगमोहन जी के दर्द की अनुभूति हो रही हैं। वह सोच रही थी, जिस पर बीतती है वही उस दर्द को जानता‌ है। ससुर जी ने अपने जीवन के बीस साल अपनी धर्मपत्नी के बिना कैसे काटे होंगे।उन्होंने अपना दु:ख कभी भी हमारे सामने नहीं कहा। हमेशा शांत रहते थे। 

असमय निलिमा की सासुजी‌ का निधन हो गया था, तो ससुर जगमोहन जी इसी तरह टूट गए थे। राजेश और वह  हमेशा इस बात का ध्यान रखते थे, कि वे हमेशा प्रसन्न रहै। निलिमा उनके पसंद का भोजन बनाती, उनसे बातें करती, समय – समय दवाई देती, वे अकेले बोर न हो इसलिए उनके साथ टी वी देखती कैरम खेलती।

 अनिल जो उस समय सात साल का था दादाजी के साथ ही रहता, उनके पास सोता। मगर फिर भी वे कई बार इतने उदास हो जाते थे कि उन्हें समझाना बहुत मुश्किल हो जाता था। तब कई बार निलिमा राजेश से शिकायत करती थी और कहती थी, मैं तंग आ गई हूँ, हर संभव कोशिश करती हूँ, कि बाबुजी हमेशा खुश रहैं, मगर वे  कई बार बहुत उदास हो जाते हैं,

 किसी से कुछ नहीं बोलते चुपचाप सोए रहते हैं। मुझे उनका उदास रहना अच्छा नहीं लगता है राजेश। तब राजेश ने कहा था तुम अपनी जगह सही हो मगर इस बात को भी समझो कि “जीवन साथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बांट सकता।”
आज निलिमा को राजेश की कही बात बिल्कुल सही लग रही थी। समय अपनी गति से चलता है, एक महिना बीत गया। मोना को भी अपनी नौकरी पर जाना था। 

उसने पूछा माँ मैं नौकरी पर जाऊँ या नहीं?’   ‘जाओ बेटा इतनी अच्छी नौकरी मिलती कहाँ है।’ फिर शाम को पॉंच बजे तो तुम आ ही जाओगी।’ हॉं माँ मैंने शांति से बात की है वह दिनभर‌ आपके पास रहेगी और आपका सारा‌ काम कर देगी। फिर भी अगर आपको अच्छा ना लगे तो फोन कर देना। मैं घर आ जाऊँगी मेरी नौकरी आपसे बढ़कर नहीं है।’ उसने अपनी दोनों बाहें निलिमा के गले में डालकर कहा।

 निलिमा ने कहा जाओ बेटा मुझे जरूरत लगेगी तो तुम्हें‌ फोन‌ कर दूंगी। मोना चली गई। शांति उनके घर काम करने वाली बाई की लड़की थी। उम्र लगभग सत्रह साल की थी, बहुत हंसमुख और प्यारी लड़की थी। निलिमा जी से बाते करती और उनका पूरा ध्यान रखती। निलिमा जी सोच रही थी । इतने प्यारे बेटा बहू‌ हैं मेरे, मैं अपने स्वार्थ के लिए बहू की प्रगति में बाधक तो नहीं बन सकती।

 वे हमेशा खुश रहने की कोशिश करती मगर फिर भी राजेश की यादें कई बार उसे बैचेन कर देती और मन उदास हो जाता। अनिल और मोना हमेशा पूछते रहते माँ कोई परेशानी तो नहीं है, वह कहती बेटा  सब ठीक है। एक दिन उसने अपने बेटा बहू से कहा ‘बेटा ! मैं बहुत किस्मत वाली हूँ कि मुझे तुम्हारे जैसे बेटा बहू मिले, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।

 पर बेटा जीवन में जो तुम्हारे पापा का साथ छूट गया है, कभी-कभी उन यादों के साथ जीने का मन करता है,मन उस उदासी में भी सुकून ढूंढता है, उस क्षण मैं तुम्हारे पापा के साथ होती हूँ। वह एकांत मुझे अच्छा लगता है। तुम यह मत समझना कि मैं तुमसे नाराज हूँ, तुम्हारे सिवा मेरा है कौन? कहते हुए वे भावुक हो गई थी।  दोनों ने माँ के हाथों को कसकर थाम रखा था।

 फिर वे‌ बोली बेटा तुम्हारे पापा हमेशा कहते थे “जीवन साथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बांट सकता।” यह बात सच है। तुम मुझे बहुत प्यार करते हो मेरे जीवन का खूबसूरत अध्याय हो। पर जो गुजर गया वह भी तो मेरे जीवन का स्वर्णिम पन्ना था, कभी जब मैं उस मे जीना चाहूँ तो तुम परेशान न होना मेरे बच्चों।’ दोनों एकटक माँ की सूरत देख रहै थे और माँ की उगलियां उनके बालों‌ को सहला रही थी।
प्रेषक
पुष्पा जोशी
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

#जीवनसाथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बाट सकता
 

 

 

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