छोटी ननद – अनुपमा

सुमन सुबह का सारा काम निपटा कर , बच्चों को स्कूल भेज कर और आदित्य के ऑफिस जाने के बाद अपना नाश्ता और चाय लेकर बैठी ही थी की उसका फोन बज उठा , दूसरी तरफ से बड़े भैया की आवाज आई और उन्होंने बताया की मनीषा भाभी की तबियत काफी दिन से ठीक नहीं थी और अब वो अस्पताल मैं है , तुमसे मिलना चाहती थी अगर समय हो तो आ जाओ ।

सुमन ने भैया से कहा भैया कैसी बातें कर रहे है क्यों नही आऊंगी मैं , मैं शाम को ही निकलती हूं और ऐसा कह कर सुमन ने फोन रख दिया । अपनी शाम की टिकट बुक करवा कर अदित्य को फोन करके उसने पूरी घटना की जानकारी दी और फिर जाने की तैयारी मैं व्यस्त हो गई , जल्दी जल्दी उसने बच्चों और आदित्य का खाना और नाश्ता बना कर फ्रिज मैं रखा , अपनी काम वाली से घर देखने को बोला और खाने की व्यवस्था करने को भी समझा दिया ।

बच्चों को भी सारी चीजे समझा दी कैसे उन्हे उसके बिना सब मैनेज करना है , ये सब इतनी सुघड़ता से सुमन सारे काम कर लेती थी वो सब उसे मनीषा भाभी ने ही तो सिखाया था ।

सारी व्यवस्था के पश्चात सुमन अपनी ट्रेन के लिए स्टेशन के लिए निकल गई , और नियत समय पर अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गई ।

सुमन अकेले बैठे बैठे अतीत की यादों मैं को गई , बहुत छोटी सी थी सुमन जब महामारी मैं उसके मां पापा का देहांत हो गया था , उसे तो उनका चेहरा भी ठीक से याद नही था , उसके बाद से मनीषा भाभी और भैया ने ही उसे अपनी औलाद के जैसे पाल पोस के बढ़ा किया था , सुनती रही थी वो बचपन से ही कैसे मनीषा भाभी अड़ गई थी भैया से की सुमन को अनाथ आश्रम वो किसी भी हालत मैं नही जाने देगी , जाने क्या था सच उनका , पर वो तो खाना पीना सब छोड़ कर अनशन पर बैठ गई थी की वो पाल लेगी सुमन को पर अनाथ आश्रम कतई न भेजेंगी और भैया ने उनके सामने हथियार डाल दिए थे , उन्होंने जो कहा था बहुत शिद्दत से निभाया भी था अगर किसी को पता न हो तो सभी को यही लगता था हम मां बेटी ही है कोई नही कह सकता था की मैं उनके चाचा जी की बेटी थी , उन्होंने हर संभव तरीके से मेरे लिए सभी कुछ किया , मेरी पढ़ाई , मेरी शादी भी उसी से की जिसे मैं पसंद करती थी । और मेरे बच्चों को भी नाना नानी जैसे प्यार किया ।


इन्ही सब यादों मैं खोई सुमन को पता ही नही चला की कब तीन घंटे बीत गए और उसका स्टेशन आ गया , उसने भैया से मना कर दिया था की किसी को लेने ना भेजे वो कैब करके खुद आ जायेगी , सुमन ने सीधे अस्पताल जाने का ही फैसला किया सो उसने कैब बुक कर दी और सीधा अस्पताल पहुंच गई ।

सुमन के पहुंचते ही मनीषा भाभी की आंखों मै खुशी की चमक आ गई पर सुमन मनीषा भाभी की हालत देख कर बहुत हतप्रद थी और भैया से बार बार पूछे जा रही थी की ऐसा क्या हुआ है भाभी को जो वो इतनी कमजोर हो गई है और आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताया , आप मुझे अभी भी अपना नही मानते हो भैया ? ये सब सुन कर भैया के आंसू निकल आए और उन्होंने कहा की मनीषा की किडनी फेल हो चुकी है और कोई डोनर भी नहीं है जिससे ब्लड मैच हो रहा हो ,  मैं तो बताना चाहता था पगली पर तेरी भाभी ने मुझे कभी बताने नही दिया , तू तो जानती है ना कितनी जिद्दी है तेरी भाभी , वो तेरी खुशी गृहस्थी मैं व्यवधान नहीं डालना चाहती थी कहती है की किसी को ये न लगे की पालपोस के बढ़ा किया है तो अब सेवा करवाना चाहती है ।

ये सुनते ही सुमन फूट फूट के रोने लगी और कहा की भैया आपने मुझे जब अपनी बेटी की तरह पाल पोस के बढ़ा किया था तो अगर आज आपकी सगी बेटी होती तो क्या आप उसे भी नही बताते ? 

भैया सुमन को गले लगा कर रोने लगे , सुमन ने खुद को संभालते हुए आदित्य को फोन किया और आने के लिए बोल दिया और खुद डॉक्टर से मिलने चली गई , आकर उसने भैया को बताया की डोनर मिल गया है भैया अब भाभी बिलकुल ठीक हो जाएगी आप बिलकुल भी परेशान न होए ।

भैया आश्चर्य से सुमन की तरफ देख रहे थे की अचानक कहां से सबकुछ हो गया , डॉक्टर तो मना कर दिए थे ।

सुमन ने कहा भैया अगर भाभी ने उस वक्त मुझे नही संभाला होता तो आज मेरी जिंदगी कहां होती मुझे नही पता जो कुछ भी आज मैं  हूं , सब भाभी की वजह से हूं , ये जिंदगी भाभी की ही दी हुई है और अगर मैं उनके काम आ सकूं तो मैं समझूंगी मैंने बेटी होने का फर्ज अदा कर दिया ।

अनुपमा

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