रघु एक सम्पन्न किसान था और ऑर्गेनिक खेती कर फसल तैयार करता था फसल कुछ कम होती थीं पर शुद्ध होती थी ,एक बार टेलीविजन पर विज्ञापन देखा कि यूरिया के प्रयोग से दोगुनी फसल होगी तो लालच जग गया,
और विना विचार किये पूरी खेती में यूरिया का प्रयोग करने का निर्णय लिया तथा खेत की फसल देख मन खुश हो गया हरी हरी फसल दूर तक दिख रही थी,
कुछ दिन बाद बाली भी आ गई तो ओर मन प्रसन्न हो गया इस बार बम्पर फसल हुई ,
रघु ने निर्णय लिया अब हमेशा वह यूरिया का ही प्रयोग करेगा ,
धीरे धीरे जानवरो के गोबर से तैयार खाद चार वर्ष से एकत्र हो रही थी,
धीरे धीरे खेत मे फसल कम होने लगी यूरिया की मात्रा बढ़ाई फिर भी बढ़ने के बजाय कम हो गई,
एक वर्ष फसल के दाने बहुत ही खराब आये और खेत मे धूल उड़ने लगी जैसे बालू हो,
रघु बहुत परेशान रहने लगा,
एक दिन एक बहुत बड़े संत गांव आये तो रघु ने अपनी बात कही तो संत मुस्करा उठे,
कहने लगे रघु तुम्हे अपने ही जानवरो के गोवर से अच्छी और निशुल्क खाद प्राप्त हो रही थी और उसके खेत मे पड़ने से जमीन खराब नही हुई फसल की मात्रा जरूर थोड़ी कम रही होगी ,
पर यूरिया की लागत और बढ़ी फसल के मूल्य का अंतर वही रहा होगा ,
और अत्यधिक यूरिया के प्रयोग से जमीन कमजोर हो गई और उर्वरा शक्ति कम होकर बालू की तरह हो गई है,
अब पुनः अपनी खाद का प्रयोग करो फिर वैसा ही होगा,
रघु ने इतने वर्षों से एकत्र खाद को खेत मे डाल दिया अगले ही वर्ष बहुत अच्छी फसल हुई और मूल्य भी ज्यादा मिला,
धीरे धीरे जमीन पुनः सही स्थिति में आ गई,
एक दिन छेत्र के चीनी मिल की और से मीटिंग रख्खी गई जिसमें मिट्टी को उर्वरा बनाने की विधि बताई जा रही थी,
रघु को भी बुलाया गया तो देखा वही महात्मा थे जो आज पेंट शर्ट में थे और ऑर्गेनिक खेती के लाभ बता रहे थे,
कार्यक्रम के बाद रघु ने पूंछा आप तो महात्मा थे तो वह बोले वो तो आज भी हूँ पर शायद मेरी बात शर्ट पेंट बाले अधिकारी की जगह महात्मा के रूप में अधिक समझी जाती तो गांव में मैं उसी रूप में गया ,
कम से कम किसी को सही रास्ता बता पाया,
ओर कहा रघु आज की मीटिंग में तय किया गया है कि तुम्हे कम्पनी सम्मानित भी करेगी आप यूरिया के लाभ और हानि के बारे में किसानों को जागरूक करोगे,
सभी लोग तालियाँ बजाने लगे,
तब उन अधिकारी ने बताया कि किसी भी चीज का अत्यधिक प्रयोग नुकसान देता है,चाहे जमीन हो या पेस्टीसाइड,या यूरिया,
इस सब का प्रयोग उचित समय पर और सही मात्रा में करना चाहिये,
रघु ने प्रणाम किया और चल दिया घर की ओर आगे की सोंचते हुये,