खोया बेटा वापस मिला – नेकराम : Moral Stories in Hindi

अम्मा मैंने शहर में एक नौकरी पकड़ ली है कंपनी वाले रहने को वही एक फ्लैट भी दे रहे हैं …. 21 वर्षीय अशोक ने अपनी मां पार्वती को थोड़ा ऊंचे लहजे में कहा तो पास खड़े बाबूजी बीड़ी सुलगाते हुए बोले गांव में जो इतनी बड़ी खेती बाड़ी है घर में चार-चार ट्रैक्टर हैं … Read more

तलाक की भविष्यवाणी – नेकराम : Moral Stories in Hindi

मुझे तलाक चाहिए मैं अपने पति अजय के साथ नहीं रहना चाहती उमा ने मायके आकर यह बात अपनी मां और पिताजी को बताई मां ने अपनी बेटी उमा की बात सुनकर कहा तेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं तेरी गोद में 2 वर्ष का बेटा और एक बर्ष की बेटी भी है … Read more

बिना टिकट यात्रा- नेकराम Moral Stories in Hindi

शाम को थका मादा कारखाने से घर लौटा तो घर पर कोई न था दरवाजे पर ताला लटक रहा था पड़ोसन ने चाबी देते हुए कहा तुम्हारे मम्मी पापा और भाई बहन सभी अस्पताल गए हुए हैं तुम्हारी मामी शीला का एक्सीडेंट हो गया है पड़ोसन ने अस्पताल का नाम भी बता दिया मैं उल्टे … Read more

डाक्टर प्याऊ – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

मोड़ पर एक पेड़ के नीचे श्यामदास आने जाने वालों को पानी पिलाया करता था। एक पेड़ के इर्द गिर्द रेत फैलाकर मटके रखे हुए थे। वहीं पास में एक चने वाला बैठता था। चने वाला अक्सर ही श्यामदास से कहता था- ‘‘भैया, तुम्हारी प्याऊ के कारण ही मेरा काम भी चल जाता है।’’ सुनकर … Read more

रोटी ने कहा – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

ढाबे में सुबह से आधी रात तक हाड़ तोड़ मेहनत करते हुए भोलू लगातार एक ही बात सोचता रहता है-आखिर मालिक रामदीन उसी पर इतना गुस्सा क्यों करता है। भोलू को उसका चाचा रामदीन के पास छोड़ गया था। भोलू की माँ गाँव में अकेली रहती है। भोलू के पिता नहीं रहे,रोटी का जुगाड़ मुश्किल … Read more

एक था पहाड़-एक है पहाड़ – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

इस कहानी के अंदर हैं हम लोग,राक्षस और एक परी | आइये पढ़ते,सुनते और लिखते है इस कहानी को | पहाड़ -जिसे हम सबने मिल कर बनाया है| आप कहेंगे -यह कैसी अजीब बात, पहाड़ों को तो प्रकृति ने बनाया है धरती की दूसरी सब चीजों की तरह,जैसे समुद्र,जंगल,नदियां- मेरा मतलब इस धरती पर जो … Read more

जोकर काम पर – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

सड़क पर काम चल रहा है। सड़क का एक हिस्सा नीचे धंस गया है। गड्ढा खोदकर उसे घेर दिया गया है। लोहे के बोर्ड लगा दिए हैं, जिन पर लिखा है-‘ सावधान, आदमी काम पर हैं।’ इसलिए सड़क संकरी हो गई है। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए सिपाही रामभज की ड्यूटी लगा दी गई … Read more

माँ साथ थी – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

सरना सेठ ध्यानचंद का विश्वासी नौकर था। हर समय उनके आस-पास रहता क्योंकि उसे मालूम था कि न जाने कब आवाज पड़ जाए। उसे एक पल का भी आराम नहीं था, पर सरना को कोई शिकायत नहीं थी। एक दिन की बात, आकाश में बादल घिरे थे। सरना हवेली की छत पर बैठा था। ध्यानचंद … Read more

जन्मदिन अखबार का – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

अखबार देखते ही विनय का माथा गरम हो गया। पता नहीं यह किसकी बेहूदगी थी। अखबार के पहले पन्ने पर किसी ने जगह जगह ‘जन्मदिन’ शब्द टेढ़े मेढ़े अक्षरों में लिख दिया था। उन्होंने तुरंत अखबार वाले जीतू को फोन मिलाया। उससे अखबार की नई प्रति लेकर आने को कहा। जीतू कई वर्षों से उनके … Read more

बहुत प्यास लगी है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

एक था चोर। उसका नाम नहीं मालूम। वैसे नाम कुछ भी हो ,वह कहीं का रहने वाला हो ; क्या इतना काफी नहीं कि वह एक चोर था। हाँ तो रात में जब सब नींद की गोद में आराम कर रहे थे, तब वह जाग रहा था। उसका इरादा चोरी करने का था। और फिर … Read more

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