ढलती सांझ – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

हेलो ,हेलो कनक ,बोलो  कुणाल ,अब किस लिए कॉल किया है? कनक  दो दिन बाद हमारा तलाक हो जाएगा । हमको पता है कुणाल ,मै टाइम से पहुंच जाऊंगी । नहीं नहीं मै कह रहा था क्या कल का दिन हम दोनो एक साथ गुजार सकते है? कनक ने बोला क्यों? किस लिए? वो बस … Read more

मजाक – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“अब देखती हूं बुड्ढा कैसे बुढ़िया के साथ जाता है?”कैसे मम्मी का हाथ अपने हाथ में लेकर सच्चे प्रेमी का नाटक करते हुए कहते थे शकुंतला यदि तुम्हें कुछ हो गया तो मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा..… तुम्हारे साथ ही मेरी अर्थी निकलेगी….. ऐसे कोई अपनी पत्नी के साथ नहीं जाता… मैं अभी ससुरजी … Read more

ढलती सांझ और ये जिम्मेदारियां – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

“बधाई हो शशि जी अब तो तीनों बच्चों की शादी हो गई, सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गई आप। “ “देखते हैं सुलोचना जी जिम्मेदारी से मुक्त हुई हूं या जिम्मेदारी बढ़ेगी समय के साथ…” “अरे भाग्यवान अब कौनसी जिम्मेदारी बढ़ेगी तुम्हारी? अब तो ढलती सांझ है हमारी जिंदगी पता नहीं कब भगवान से घर … Read more

ढलती सांसें – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

अपनी अपनी सीट पर बैठे सभी श्रोता उठकर ताली बजाने लगे और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा जब सुहासिनी का गीत खत्म हुआ और उसने एक गहरी सांस भरी। उसकी सांसें किसी समय भी उसका साथ छोड़ सकती है इसका इल्म है उसे पर अंतिम सांस तक कुछ कर गुजरने की इच्छा और उसका … Read more

बेटों का फरेब – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

रामप्रसाद जी तेल के व्यवसायसी थे और उनका अच्छा खासा जमा-जमाया कारोबार था वे अपनी पत्नी कविता एवं दोनों बेटों अरूण एवं वरूण के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। दोनों बेटे मानो उनकी दोनों आंखें थे, जिनमें न जाने कितने सुखद सपने संजोए हुए थे। बेटों को लेकर न जाने क्या क्या सपने … Read more

रिश्ते का मान – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

आज प्रताप सिंह जी अकेले पार्क में पड़ी बेंच पर अकेले बैठे थे । अचानक एक ही दिन में बूढ़े नज़र आने लगे थे । आँखों पर लगाया चश्मा उतारा , साथ में लाई बोतल से दो घूँट पानी पिया और एक लंबी गहरी साँस के साथ पीछे सिर टिकाकर आँखें मूँद लीं ।  —- … Read more

ढलती सांँझ – डॉ बीना कुण्डलिया  : Moral Stories in Hindi

सुबह होती है शाम होती है…. उम्र यूं ही तमाम होती है…किसी तीर्थ यात्री के मोबाइल से आती गाने की आवाज को सुनकर घाट के एक कोने में टैंट के नीचे बैठी अम्बा बाईजी बुदबुदाती है…सच ही तो है कितना सुन्दर लिखा किसी ने इंसान की जिंदगी “ढलती साँझ” सी ही है…और खुद उसकी अपनी … Read more

सांसों की डोर -शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

जोगाराम एवं देवकी दोनों पलंग पर लेटे एक दूसरे को निहार रहे थे दुख और उम्र के कारण कैसे तो उनके चेहरे कुम्हला गये थे। उम्र के निशान उनके शरीर पर अपनी छाप छोड़ रहे थे। तभी जोगाराम बोला देवकी जब तू व्याह कर आई थी कैसी गोरी चिट्टी, छुईमुई सी थी। कितनी सुन्दर थी,मेरा … Read more

नई रोशनी –  सुनीता माथुर   : Moral Stories in Hindi

सुष्मिता को अपनी जिंदगी से निराशा होने लगी थी वह हमेशा अपनी बहू से बोलती मेरी जिंदगी तो “ढलती सांझ” है उसकी बहू प्रियांशी दिल की बहुत अच्छी थी अभी 2 साल पहले ही सुष्मिता और आकाश ने अपने बेटे समीर की शादी की थी बेटे की शादी के 1 साल बाद ही उनकी एक … Read more

दूरदर्शिता – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय  : Moral Stories in Hindi

शाम के साढ़े सात बजे रहे थे,दिवाकर जी अभी तक घर नहीं लौटे थे। “न जाने कितना काम करने में मन लगता  है इन्हें! जिंदगी भर तो काम करते ही रहे, अब रिटायरमेंट के बाद भी चैन नहीं!”  अनुराधा जी बड़बड़ाते हुए बार-बार ड्राइंग रूम से बाहर निकल सड़क पर झांकती और फिर अंदर लौट … Read more

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