Thursday, June 8, 2023
Homeअनुराधा श्रीवास्तव "अंतरा "भूतों की दावत - अनुराधा श्रीवास्तव

भूतों की दावत – अनुराधा श्रीवास्तव

 हमारे बीच ऐसा शायद ही कोई हो जिसके नाना नानी/दादा दादी ने उसे ऐसे किस्से ना सुनाये हों जिसमें उनका किसी भूत से सामना हुआ था। ऐसा ही एक किस्सा मुझे याद आता है जो मेरे नाना ने मुझे सुनाया था तो जैसा उन्होने सुनाया था वैसा ही आपके सामने रख रही हूँ । यहां वक्ता मेरे नाना हैंः-

 तो हुआ यूँ कि तब हम रहे होंगे 17-18 साल के। गर्मियों के दिन थे। एक दिन दूसरे गांव से शादी का न्योता आया। अम्मा बोली कि तुम ही न्योता कर आओ। तो हमने सोचा अकेले क्यों जाये, अपने दोस्त को भी लिये चलते हैं। हमारे बचपन का दोस्त था सूरदास, बचपन से अंधे थे लेकिन हमारे घनिष्ठ मित्र थे। शाम को पांच बजे हम दोनों चल दिये, दूसरे गांव शादी में। जाते जाते मुंन्धेरा हो गया था। वहां पहुंचकर आराम से हम दोनों ने खाया पिया लेकिन जब लेटने का समय आया तो हमें व्यवस्था ठीक नहीं लगी तो हमने सूरदास से कहा, कि अगर घर चला जाये तो दो घण्टे में पहुंच जायेगें। चैन से अपने घर में सोयेंगे। यहाॅं तो मच्छर नोचे डाल रहे हैं और अपना तो कोई काम भी नहीं है यहां। सूरदास भी राजी हो गये बोले, हमारे लिये तो दिन रात सब बराबर है, चलना तो तुम्हारे ही सहारे है, चलो घर ही चलते हैं। 

        तो तुरन्त उसी समय हम लोग घर के लिये चल पडे। चलते चलते गांव के बाहर पहुॅंचे तो देखा कि दूर कहीं रोशनी है। रास्ता उधर से ही था तो हम लोग जब पास पहुंचे तो देखा वहाॅं नौटंकी चल रही थी मतलब पार्टी चल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जिस बारात में हम लोग गये थे उसी का जनवासा यहाॅं टिका था। हम लोगों ने सोचा यहां बैठकर कुछ आनन्द लिया जाये। स्टेज पर एक आदमी और औरत नाच रही थी, कुछ आदमी तलबा, हरमोनियम, सारंगी, बासुंरी, मंजीरा आदि बजा रहे थे। स्टेज के सामने कई कुर्सिया पड़ी थी जिस पर कई लोग बैठे थे। स्टेज के आस पास काफी सारे बल्ब लगे थे और सजावट भी थी। हम लोग भी घर जाना भूल कर कुर्सियों पर बैठ गये और नौटंकी का आनन्द लेने लगे। कभी कोई आकर गीत गाता, कोई चुटकुला सुनाता, कभी नाच गाना शुरू हो जाता। कार्यक्रम बड़ा बढ़िया चल रहा था। इस बीच एक आदमी सबको दुन्ने में बूंदी बांटते हुये हमारे पास आया। हम लोगों ने भी बूंदी ले ली। हमने तो पूरी बूँदी खा ली लेकिन सूरदास बोले, हम सुबह दातून के बाद खायेंगे और सूरदास ने दुन्ना लपेट कर अपने झोले में रख लिया। तब तक एक आदमी आया और शरबत दे गया। हम दोनों ने शरबत भी पी लिया। 




          अभी कार्यक्रम चल ही रहा था कि अचानक सब लोग उठकर जाने लगे। एक आदमी फटाफट कुर्सियाॅं तह करने लगा। उसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि देखते ही देखते वो हम लोगों तक भी पहुंच गया। स्टेज से तबला, सारंगी, हरमोनियम लेकर सब कलाकार चले गये। एक आदमी स्टेज के पास लगे बल्ब नोच नोच कर डलिया में रखने लगा जैसे पेड़ से फूल तोड़ रहा हो। अचानक एकदम सन्नाटा छा गया। घुप्प अंधेरा, चारो तरफ कोई नहीं। अचानक से सब बदल गया। ऐसा लग रहा था कि जैसे वहाॅं कोई था ही नहीं। 

        हम लोगों का हाल ऐसा हेा गया था जैसे किसी के घर मेहमानी मे गये हो और उसने सेवा सत्कार करके घर से बाहर निकालकर दरवाजा मुंह पर बन्द कर दिया हो। सब कुछ इतनी तेज हुआ कि हम लोग कुछ समझ ही नहीं पाये। वैसे भी हमें घर ही जाना था तो हम लोग भी अपने रास्ते पर चल दिये। रात में घर पहुॅंचे और चुपचाप सो गये। सुबह उठे तो हम दातून करते करते सूरदास के दरवाजे पर पहुँच गये जैसा हमेशा होता था। दो चार लोग और भी थे वहाॅं। हम लोग सबको रात की दावत और फिर जनवासे का किस्सा बड़े चाव से सुना रहे थे। हमारे गांव के एक चाचा भी वहीं बैठकर किस्सा सुन रहे थे तब उन्होने बताया कि वो कोई जनवासा नहीं था बल्कि भूतों की नौटंकी/दावत चल रही थी। हम तो सुनकर चकरा ही गये, आंखे फटी की फटी रह गयी, भले ही सूरदास अंधे थे लेकिन आंखे उनकी भी फटी रह गयी थी। भूत से तो सभी डरते हैं।




         चाचा ने बताया कि उन्होने सुना था कि गांव के बाहर जो जंगल है वहाॅं पर भूत अपनी दावत करते हैं लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। तब हमें याद आया कि सूरदास कल उस दावत से बूंदी बचाकर लाये थे। सूरदास ने वो बूदी वाला दुन्ना लाकर हम लोगो को दिखाया जो कि अब छोटी छोटी हड्डियों में बदल चुका था तब हम लोगों को भी विश्वास हो गया कि वो दावत सच में भूतों की दावत थी इसीलिये उनके काम करने की रफ्तार इतनी तेज थी जो किसी आम इन्सान की नहीं हो सकती है और वो बल्ब भी जादुई थे जो वो पेड़ से नोच नोच कर डलिया में रख रहा था। 

         तो भूतिया किस्सा यहीं पर खतम होता है लेकिन मेरा रोमांच इसके बाद शुरू होता था जब मैं उस पूरे वाक्ये को अपने दिमाग में इमेजिन करने की कोशिश करती थी जैसे मैं खुद उसे वहीं खड़े होकर देख रही थी।

मौलिक 

स्वरचित 

अनुराधा श्रीवास्तव

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

error: Content is Copyright protected !!