भाई हो तो ऐसा !! – रिंकि श्रीवास्तव

“बच्चों तुम लोग परेशान  ना हो , पापा जल्दी ठीक हो जावेंगे” ! शारदा  अपनी जेठानी के बच्चों को को दिलासा दे रही थी |

शारदा की जेठानी के बच्चों  का रो -रोकर बुरा हाल था ,उनके पिता रामशरण की तबीयत बहुत खराब थी ,डॉक्टर ने जवाब दे दिया था कि यहाँ गाँव में इनका इलाज न हो पायेगा इनको बड़े शहर ले कर जाओ तो शायद  ठीक हो जायें |

डॉक्टर के कहे अनुसार रामशरण के छोटे भाई गंगाशरण दो दिन पहले उनको शहर के अस्पताल  मे दिखाने ले गए थे |

आज उनकी वापसी थी ,सबको यही चिन्ता थी कि पता नही शहर के डॉक्टर ने क्या बताया ,रामशरण ठीक हो जाएंगे अथवा नही ,गंगाशरण को फोन किया था जानने के लिए कि डॉक्टर साहब ने क्या  बताया ,पर उसने कहा कि घर  आकर बात करेगा और कोई जानकारी भी नही दी थी इस कारण सभी और ज्यादा चिन्ता मे थे |

आस पड़ोस के लोग भी रामशरण के घर पर जमा हो गये थे|

सभी रामशरण की तबीयत को लेकर चिन्तित थे और उनका हाल जानना चाहते थे |

   रामशरण और गंगाशरण दो भाई थे,रामशरण की पत्नी केतकी और गंगाशरण की पत्नी शारदा |

      रामशरण के तीन बच्चे ,दो बेटी चौदह वर्ष और बारह वर्ष और एक बेटा उम्र दस वर्ष थी|

  वहीं  गंगाशरण  के दो बच्चे एक बेटी ग्यारह वर्ष और बेटा नौ वर्ष का था |

  रामशरण की पत्नी दो वर्ष पहले एक लम्बी बीमारी के चलते स्वर्ग सिधार गई थी|

 केतकी के गुजरने के बाद शारदा ही पूरे घर और सबका ध्यान रखती थी |

    रामशरण  की खुद की तेल मिल थी और खेतीबाड़ी का काम था |मिल और खेतों में काम करने के लिए नौकर लगे थे,पैसों की कोई कमी नहीं थी |

   वहीं गंगाशरण एक फैक्ट्री में सुपरवाइजर का काम करता था और साथ ही अपने भाई  के साथ खेतों की भी देखभाल करता था |गंगा शरण फैक्ट्री जाने से पहले अपने खेत पर जाता था अपनी निगरानी मे सारा काम कराता था ,कुल मिलाकर दोनो भाई अच्छा कमा खा रहे थे |



    कुछ समय पहले से रामशरण बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था ,जरा सा काम करने पर ही उसे थकान महसूस हो जाती थी कभी कभी चक्कर भी आते थे ,तो रामशरण गाँव के ही डॉक्टर को दिखा कर दवा ले रहा था ,पर जब उससे आराम न हुआ तो वो गाँव के अस्पताल मे दिखाने गया वहां उसकी जांच हुई,रिपोर्ट मे  गुर्दे  की बीमारी  सामने आई , डॉक्टर ने रिपोर्ट के अनुसार उसका इलाज शुरू किया ,इलाज शुरू होने से रामशरण को कुछ राहत तो थी पर पूर्णतः आराम न था |

   एक दिन अचानक रामशरण चक्कर खाकर बेहोश हो गया आनन फानन मे घरवाले उसे अस्पताल ले कर भागे वहां डॉक्टर ने उसका निरिक्षण किया और शहर के बड़े  अस्पताल मे दिखाने को कहा था 

     डॉक्टर के कहे अनुसार ही गंगाशरण अपने भाई को शहर के अस्पताल लेकर गया था और आज वापस आ रहा था|

थोडी ही देर मे गाड़ी रामशरण के दरवाजे रुकी उसमे से पहले गंगाशरण उतरा और फिर रामशरण को उतारा गया |

    सभी रामशरण का हाल जानने को उत्सुक थे , सबके पूछने पर गंगाशरण ने बताया कि डॉक्टर बोले हैं कि कुछ दिन इलाज चलेगा फिर दादा बिल्कुल ठीक हो जाएगें ,चिन्ता की कौनो बात  ना है |

   रामशरण को उनके कमरे मे आराम करने के लिए लिटा दिया गया,धीरे -धीरे सब लोग भी अपने घर चले गये |

     गंगाशरण भी आकर आराम करने लगा |

“दिखा लाए डॉक्टर का ,का बताइन हैं ,दादा जी ठीक हो जइहैं ना ,कौनो परेशानी वाली बात तो ना है ” ?शारदा ने गंगाशरण से पूछा |

      परेशानी वाली बात तो है शारदा ,दादा की स्थिति ठीक ना है !

गंगाशरण ने जवाब दिया |

    काहे का हुआ ,का कहिन डॉक्टर साहब ? शारदा ने पूछा |

गंगाशरण – डॉक्टर साहब बोलिन है कि दादा के दोनो गुर्दा खराब होइ गए हैं  ,उनकी जान का खतरा है |

शारदा – हाय राम !  अब का होइ ,इन छोटे छोटे बच्चन पर भी भगवानका दया ना आई ,माँ को तो पहले ही बुलाय लिहिन और अब बाप भी इ हाल मा  ,कुछ तो दया करो भगवान !जेठ जी का कौनो तरह से ठीक कर देयो |

     गंगाशरण की आँखो में आँसू आ गये |

शारदा – का कौनो इलाज न है जिसै दादा जी ठीक होई जावें |

       कुछ तो बताइन होहिएँ डॉक्टर ! कौनो तौ उपाय होइबे करी ,शहर के बड़े अस्पताल मा तो बहुत गम्भीर हालत वाले मरीज भी ठीक होए जात है |

गंगाशरण – हाँ ,उपाय है जिसै दादा ठीक होए सकत हैं |

शारदा – तो बताइए !

गंगाशरण – डॉक्टर ने कहा है कि गुर्दा प्रत्यारोपण से दादा ठीक हो सकत हैं |मगर ये जल्दी ही करना होगा वरना देरी करने पर कुछ भी होए सकत है|



शारदा – मगर गुर्दा कहाँ से आई, और कौन देई उमाह तो खर्चौ बहुत होई ,ई सब कैसे होई ?

गंगाशरण – सब होए जाई ,हम सब सोच लिहेन हैं |

शारदा – का सोचे हो ?

गंगाशरण – यही कि हम दादा का आपन गुर्दा  देई देब ताकि उई जल्दी ठीक होई जावें |

शारदा – का !  ई का कह रहे हो आप! ,इतना बड़ा फैसला कैसे लै सकत हो ,कुछ हमहु लोगन के बारे मा सोचो |

छोट -छोट बच्चन के बारे मा भी नाही सोचा आपने ,नाही –  नाही

हम आपका इतना बड़ा त्याग नाही करे देब |

गंगाशरण – तो का आपन भाई का मरे खातिन छोड़ देई |

शारदा – हम ऐसा कब कहेन ,लेकिन गुर्दा का कहुं और से भी इतंजाम होय सकत है | अगर आपका कुछ होय गवा तो हम सबका का होई|

गंगाशरण – तनिक  उनहु बच्चन के बारे मा सोचौ ,माँ तो पहले ही चली गयिन अब अगर दादा भी न रहे तौ उई तो बेचारे अनाथ होई जहीऐं |

शारदा – अनाथ काहे जी , हम लोग तो हैं न उनकी देखभाल की खातिर |हम तो आजतक बच्चन मा कौनो भेद नाही करैन है |

गंगाशरण – ऊ सब ठीक है पर पिता तो पिता होत है ना , उनकी कमी कौनो ना पूरी कर पाई|

शारदा रोते हुए – मगर आपका कुछ होए गवा तौ ! 

गंगाशरण – डर मत ,डॉक्टर साहब  से हमरी बात होए गयी है उई बताइन है कि एक गुर्दे के सहारे भी आदमी काफी साल जीवित रह सकत है  |  अब हम फैसला कर लिएन हैं और अस्पताल मा सारी कागजी कार्यवाही कर के आएन है अगले हफ्ते की तारीख मिली है ऑपरेशन की |

शारदा ने उसे काफी समझाने की कोशिश की |

रामशरण को जब बताया गया तो वो भी गंगाशरण के इस फैसले को सुन और अपने प्रति इतना प्रेम देख भाव विभोर हो गया ,परन्तु फिर भी उसने गंगाशरण को समझाने की कोशिश की | परन्तु  गंगाशरण ने कहा , “भैया ये जानते हुए कि मेरे एक गुर्दा देने से आपकी जान बच सकत है फिर मै अपनी  आँखन के सामने आपका मरने तो नही दे सकता |

अगले हफ्ते शहर जाकर रामशरण का ऑपरेशन हुआ ,कुछ दिन बाद दोनो भाई सकुशल अपने घर लौट आये और सुखी जीवन व्यतीत करने लगे |

गाँव मे जिसने भी सुना वही गंगाशरण के इस प्रेम और त्याग की सराहना कर रहा था |सभी कह रहे थे कि भाई हो तो गंगाशरण जैसा!! 

 मेरी ये कहनी सच्ची घटना से प्रेरित है,पात्र  के नाम परिवर्तित हैं

#त्याग 

लेखिका : रिंकि श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!