बेटियों की चाहत – रोनिता कुंडू

मम्मी..! दादी..! देखिए आपकी बेटी डांस में प्रथम आई है, अब मैं नेशनल स्टेज पर डांस करूंगी…

 

प्रियंका ने अपनी मां (रेनू) और दादी (सविता जी) से कहा

रेनू:  वाह..! मेरा बच्चा.. शाबाश… ऐसे ही आगे बढ़ते रहो… मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है..

 

सविता जी:   क्या आशीर्वाद दे रही हो…? मां, बेटी तो ऐसे उछल रही हो, मानो क्या हासिल कर लिया है…? मुझे तो यह नाच गाना कभी पसंद ही नहीं… खासकर लड़की जात की… अरे हम जिस समाज में रहते हैं, वहां लड़कियों को यह सब शोभा नहीं देता…

मैंने तो पहले ही मना किया था, पर तुम मां, बेटी कहां किसी की सुनती हो..? अब तक इस शहर में तमाशा बन रहा था हमारा, अब पूरी दुनिया में घूम घूम कर तमाशा बनाओ… इससे अच्छा सिलाई बुनाई, खाना बनाना सीख लेती, या फिर टीचर ही बन जाती… पर नहीं.., इसे तो नचनिया बनना है.

 

प्रियंका:  दादी..! सिलाई, बुनाई, खाना पकाना या टीचर बनना, इसमें कोई बुराई नहीं है… पर ज़रूरी नहीं कि, सबका मन इसी में लगे… आजकल लड़कियां प्लेन उड़ा रही हैं… यहां तक कि चांद तक भी पहुंच रही हैं… और आप पता नहीं किस ज़माने में जी रही हैं.?  दादी..! वह ज़माना जा चुका है, जब लड़कियां सिर्फ चुल्हा चौका करती थीं… आज तो वह किसी भी हिसाब से किसी से कम नहीं है…. और आज उनकी चाहत सिर्फ रसोई तक सीमित नहीं है…. देखना दादी… आप एक दिन मेरी इसी डांस कला पर गर्व महसूस करेंगी…

 

सविता जी:   हां सही कहा… गर्व का तो पता नहीं, पर शर्मिंदगी ज़रूर महसूस होगी और आजकल की लड़कियां कुछ सीखें ना सीखें पर,  बड़ों से जुबान लड़ाना ज़रूर सीख रही हैं…




 

दादी के इस बात से, प्रियंका चिढ़ कर, वहां से अपने कमरे में चली जाती हैं.

 

रेनू:  मम्मी जी…! आज उसके लिए कितना बड़ा दिन है… कम से कम आज के दिन तो ऐसी बातें ना करतीं…! कितनी खुश थीं बेचारी, पर आपकी बातों से दुखी हो गईं… बचपन से ही आपने उसे बस रोका ही है… आज जब उसका इतना बड़ा दिन था, तो उसका साथ नहीं देना तो ना देती, कम से कम ऐसी बातें भी ना करतीं…

 

सविता जी:   तो होने दो दुखी…. आज जो बातें उसे कड़वी लग रही हैं, कल इसी बात के लिए वह मुझे शुक्रिया कहेगी… लड़कियां पंछियों की तरह होती हैं, जब तक उसे पिंजरे में रखा जाए… वह हमारे वश में हैं… वरना कब फुर्र हो जाएंगी, कुछ पता ही नहीं चलेगा… हां लड़का होता, तो इतना ना कहती… भई उनसे ही दुनिया चलती है… उन्हें किस बात का डर..? जो मर्जी वह करें…. पर लड़कियों को हर एक कदम फूंक-फूंक कर रखना पड़ता है…

 

रेनू:   मम्मी जी…! लड़की हो या लड़का… पिंजरे में किसी को भी रखना सही नहीं है… लड़कों से दुनिया नहीं चलती, बल्कि हम अपने दिमाग को इसी बात पर चलाते हैं और आज इसी सोच की वजह से, हमारी बेटियां कुछ करने से पहले ही डर जाती हैं… सही कहा आपने… लड़कियों को पिंजरे में रखना ज़रूरी है और वह पिंजरा अनुशासन और प्यार का होना चाहिए… ना की पाबंदियों का…. और यह पिंजरा लड़का हो या लड़की सभी के लिए होना चाहिए…

 

सविता जी:   देखो… मुझे जो कहना था, वह मैं कह चुकी… बाकी तुम और तुम्हारी बेटी जानो.. वैसे भी मैं और कितने दिन जीवित रहूंगी..? आगे तुम्हें ही पछताना ना पड़े, इसलिए कह रही थी… बाकी आजकल भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा…




 

रेनू:   मम्मी जी…! पिंजरा तो प्रियंका के लिए भी होगा और वह होगा हमारे प्यार और विश्वास का पिंजरा… जो हमेशा खुला ही रहेगा… जिसमें मेरी मैना जब तब आ जा सके… उसे हमारे प्यार का घेरा भी महसूस हो और अपने मर्जी से जीने की आजादी को भी वह महसूस कर सके… वह ज़माना और था जब रीति-रिवाजों के नाम पर लड़कियों को सिर्फ दबाया ही जाता था… उन्हें अपने सपने तक की देखने की आजादी नहीं थी… पर अब मेरी बेटी वह सब नहीं देखेगी.. क्योंकि अब जो ज़माना आया है, वह नए विचारों का है, नई सोच का है… मैं हर किसी की सोच तो नहीं बदल सकती, पर नई सोच की शुरुआत अपने घर से ज़रूर कर सकती हूं… मेरी बेटी की चाहत ही उसे एक नई और अलग पहचान दिलाएगी….

 

सविता जी निरुत्तर होकर रेनू की बातें सुनती है… आज कई साल बाद, पूरे मोहल्ले में, यहां तक कि पूरे शहर में सविता जी प्रियंका की दादी के नाम से जानी जाती है… और आश्चर्य की बात तो यह है कि, इससे सबसे ज्यादा सविता जी ही गर्व महसूस कर रही थी… नृत्य कला में प्रियंका ने इतना नाम कमाया था, कि आज उनके घर से सच में ही एक पुराने सोच की विदाई और नए सोच का आगमन हुआ था….

 

धन्यवाद 🙏😊✍️

 

#चाहत

 

रोनिता कुंडू

 

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