बेटी की चाहत – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

इमरजेंसी वार्ड के लेबर रूम के बहार प्रभा देवी और उनके पति नरेंद्र बाबू चिन्तित चहलकदमी कर रहे। अन्दर उनकी छोटी बहू रमा की डिलीवरी जो होने वाली है। दो घंटे बाद लेबर रूम का दरवाजा खुलता है। नर्स हाथों के दस्तानों को उतारती उत्सुकता से बोली बधाई हो अम्मा पोता हुआ है। नर्स ने जैसे ही प्रभा देवी को खबर दी पोता हुआ है उनका तो मुह ही उतर गया। नर्स सकपका कर बोली अम्मा, अच्छा सा नेक दीजिए बहुत ही जटिल डिलीवरी थी डाक्टर साहब ने पहले ही बता दिया था।

प्रभा देवी बोली हे ! भगवान पहले ही बहू के दो जुड़वां लड़के अब एक और तो सब मिलाकर तीन बेटे हो गये । ऊपर वाले ने हमारे नसीब में बेटी तो लिखी ही नहीं है। मेरे खुद के दो लड़के, बड़ा राधे उसके दो बेटे जो परिवार साथ विदेश में बस गया दूसरा रामू जो कुछ माह पहले सड़क दुर्घटना में मारा गया बेटे का जन्म भी न देख सका आज उसकी ही पत्नी छोटी बहू रमा की डिलीवरी पहले दो जुड़वां आज उसी का तीसरा बेटा हुआ। 

कितनी मन्नत मांगी ब्रत भी रखे मैंने तो.. प्रभु क्या कमी रह गई मेरी आराधना पूजा पाठ में..? जो एक बेटी भी नसीब में ना लिखी..सारे रिश्तेदारों में दो दो बेटियां दी एक मैं ही अभागी जिसके नसीब में बेटी नहीं। पति नरेंद्र बाबू बोले अरी भागवान बच्चे ईश्वर की देन है जो मिलें खुशी से स्वीकार कर लेना चाहिए अब ये समझ बहू के नहीं बेटी के बच्चा हुआ है। वो पहले ही पति के गम में दुखी ऐसे वक्त में उसका सहारा बन जो मिला खुशी से स्वीकार करना सीख।

पास खड़ी नर्स सब सुनकर आश्चर्य चकित हो दोनों का मुह देखती रह जाती है। झेंपते हुए बोलती है अम्मा यहां तो हर कोई बेटों को ही तरजीह देता , बेटी को इतना महत्व देते तो आज मैंने पहली बार ही देखा धन्य हो अम्मा आप.. बरसों से यहां नौकरी कर रही जाने कितने बेटे बेटियां मेरे इन हाथों से जन्में मैंने उनको सबसे पहले गोद में लिया आज पहली बार बेटी की चाहत में कोई को इतना तड़पते नजर आया। 

  अम्मा “ इस ईश्वर की माया भी बड़ी अजीब है..ये ईश्वर बेटियों के जन्म के लिए ऐसे घरों को चुनता है जो बेटियों का भार सहन कर सकें… इस दुनिया में वरना तो धन होते हुए भी कुछ बेटियों का भार सहन ही नहीं कर सकते जबकि कुछ ऐसे भी होते हैं जो गरीब है मगर बेटियों को बड़े ही प्रेम से पालते हैं।”

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तभी डाक्टर ने निर्देश दिया पेशेन्ट को रूम में शिफ्ट कर दिया जाये नर्स दौड़ती रूम में दाखिल हुई और व्हील चेयर पर पेशैन्ट को बिठा रूम में शिफ्ट कर दिया दूसरी नर्स हाथ में बच्चा लिए थी प्रभा जी भी जल्दी जल्दी वार्ड में आ गई उन्होंने नन्हे मुन्ने बच्चे को उनकी गोद में दे दिया नरेन्द्र बाबू ने जेब से कुछ पाँच पाँच सो के नोट निकाल बच्चे के उपर से वार नर्स को पकड़ा दिये । दोनों नर्स दुआएं देती चली गई। 

प्रभा देवी ने बच्चे को बहु की गोद में दे दिया बोली देख बिल्कुल रामू की शक्ल है ना इक दम रामू ..मेरा रामू वापस आ गया। मेरा रामू वापस आ गया रे । बहू की आँखें आंसूओं से भरी बच्चे को सीने से लगा फूट-फूट कर रोने लगी। प्रभा जी ने बहू के हाथ से बच्चे को बगल‌ में लिटा दिया और बहू के सर पर हाथ फेर उसके आँसू पोंछ उसके बगल में बैठ गई और उसे अपने सीने से लगा लिया। बोली तो मेरी सबसे बहादुर बेटी है..और मुझ माँ के जीवन की सबसे बड़ी खुशी और विशेष आशीर्वाद।एक बेटी ही माता-पिता के जीवन में एक अध्याय शुरू करती है, उनके जीवन को नया आकार देती है। 

बहू को आश्वासन देते सास ससुर बच्चे को खिलाने लगते हैं। दो दिन बीत जाते हैं आज तीसरा दिन बहू के अस्पताल से डिस्चार्ज का दिन ससुर डिस्चार्ज पेपर्स तैयार करने में लगे। तभी कुछ चीखने चिल्लाने अजीब सी भगदड़ सामने स्ट्रेचर पर एक लड़की शायद डिलीवरी के समय चल बसी…नर्स के चिल्लाने की आवाज गायत्री के साथ कौन है, गायत्री के साथ कौन है..? जवाब न मिलने पर परेशान चहलकदमी करने लगी । प्रभा जी के पूछने पर बताती है कि ये गायत्री बेटी को जन्म देते चल बसी जो साथ आये छोड़ कर भाग गए फोन नंबर जो लिखवाया बन्द दिखा रहा।

      अब क्या होगा इसका प्रभा देवी बोली..?

  होगा क्या जैसा हमेशा होता कुछ घंटे इन्तजार करेंगे फिर लावारिस में डाल देंगे .? 

    और बच्ची का क्या होगा दुखी स्वर में प्रभा जी बोली!!

 भेज देंगे अनाथ आश्रम बेचारी वहीं का नसीब लिखा कर लाई तो हम भी क्या कर सकते हैं…?

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अरे अम्मा परेशान मत हो यहां तो आये दिन यह सब होता रहता है। कोई न कोई छोड़ जाता जच्चा-बच्चा को अगर प्रसूता मर गई तो भाग जाते बच्ची लेने कोई नहीं आता। और इस गायत्री की तो उम्र ही क्या थी अभी खुद के खाने पहनने के दिन और बच्चे को जन्म देने चली सोलह की पूरी नहीं अभी । अन्तिम समय में आंखों में आंसू थे बच्ची को सीने से लगाया जाते जाते।

प्रभा जी कहती हैं नर्स मुझे डाक्टर के पास ले चलिए यह बच्ची अनाथ आश्रम नहीं जायेगी मैं इसे गोद लुंगी और इसका भविष्य बनाऊंगी वो नर्स के साथ तेज तेज कदमों से डाक्टर के रूम में दाखिल होती है..

फिर कुछ जरूरी कार्रवाई कुछ अस्पताल के कागजी कार्यवाही औपचारिकता नरेंद्र बाबू पूरी कर बच्ची को गोद ले लेते हैं । प्रभा देवी बच्ची को ले बहू के पास आतीं हैं देख बिटिया तेरे फिर जुड़वां बच्चे हुए लेकिन इस बार दो बेटे नहीं हुए बेटा अपने साथ बहन भी लेकर आया है। बहू रमा दोनों बच्चों को अपनी गोद में लिटा खुशी से बारी बारी उनका माथा चूमती है प्रभा देवी भी खुशी से फूले नहीं समाती आखिर आज उनकी बरसों की बेटी की चाहत जो पूरी हो जाती है।

 लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया

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