बेटे – बहु से मिला अपमान सहने से बेहतर वृद्ध माता – पिता को मरना बेहतर लगा – स्वाती जैन  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  मेरी ब्लड़ प्रेशर की दवाई खत्म हो गई हैं और मुझे खांसी भी बहुत हो गई हैं साहिल बेटा , आज रविवार हैं , तेरे ऑफिस की छुट्टी हैं तो जरा मेरे लिए दवाई ले आना , खांसते हुए बोली सीमा जी !!

            साहिल गुस्से से बोला हफ्ते में एक दिन तो ऑफिस से छुट्टी मिलती हैं मां और उसमें भी आप और पापा अपनी फरियादों की लिस्ट शुरू कर देते हो , कितना भी कर लो मगर आपको मुझसे कोई ना कोई शिकायत लगी रहती हैं !! एक दिन तो मुझे चैन से घर में आराम करने दो !!

            साहिल के पिता मनोहर जी और सीमा जी साहिल के यह कड़वे शब्द सुनकर आंसुओं के दो घूंट पीकर रह गए , वैसे भी साहिल ने यह पहली बार थोड़ी कहा था !! 

मनोहर जी ने जब पिछले सप्ताह साहिल से आंखों का चश्मा ठीक करवाने कहा था तब भी साहिल ने यही कहा था आपको और मां को वैसे भी क्या काम हैं सोने और खाना खाने के अलावा , खुद तो रोज घर में मजे से रहते हो मगर मुझे एक दिन भी मजे में नहीं रहने देते , रविवार आता नहीं हैं कि कभी बाम की शीशी ला दो तो कभी दवाई ला दो !! पुरे सप्ताह तो मैं वैसे भी व्यस्त रहता हुं , एक रविवार तो मिलता हैं आराम के लिए उसमें भी तुम दोनों अपनी फरियादों की लिस्ट मुझे पकड़ा देते हो !!

               सीमा जी और मनोहर जी दोनों की अब उम्र हो चली थी , उम्र अधिक होने के कारण वे दोनों ज्यादातर बिस्तर से उठ नहीं पाते थे !! दोनों वृद्ध दंपती बीमारियों से ग्रसित थे जिस वजह से दोनों पुरी तरह बेटे – बहु पर आश्रित थे !! पिच्चर वर्षीय सीमा जी जब से एक बार बाथरूम में गिरी थी , उसके बाद फिर कभी चल ही नहीं पाई थी और मनोहर जी भी हार्ट अटैक के बाद की गई बॉय पास सर्जरी के बाद बीमार ही रहते थे !! बेटा – बहु का ही आसरा था इस उम्र में मगर वे लोग भी वृद्ध दंपती पर ध्यान नहीं देते थे और कुछ भी कहो तो कहते थे इनकी शिकायते और फरियादें कभी खत्म ही नहीं होती !!

                  साहिल अपने माता – पिता को खरी – खोटी सुना रहा था उतने में उसकी पत्नी निशा का फोन आता हैं जो पार्लर में फेशियल कराने गई थी !! निशा बोली – साहिल मैं यहां पार्लर में हुं , क्या तुम मुझे लेने आ सकते हो ??

                   साहिल जिसकी आवाज अपने माता – पिता के लिए इतनी कठोर थी , निशा का फोन आने पर जैसे उसकी आवाज में मिश्री घुल गई हां डार्लिंग , अभी आता हुं , वैसे भी आज संडे हैं फ्री हुं बोलकर उसने अपनी बाईक की चाबी निकाली और तुरंत निशा को पार्लर लेने चला गया !!

                   निशा और साहिल बाहर से आते वक्त अपने साथ खाने – पीने का सामान भी ले आए मगर किसी ने अपने माता – पिता को खाना खाने भी नहीं पूछा !!

                दोपहर के तीन बज चुके थे मगर अब तक किसी ने   मनोहर जी और सीमा जी को खाना नहीं दिया था , मनोहर जी से जब भूख बर्दाश्त नहीं हुई , वे लाठी का सहारा लेकर धीरे धीरे चलकर बाहर देखने गए तो साहिल , निशा और उनके बच्चे बाहर से लाया हुआ खाना खा रहे थे , वे समझ गए आज फिर उनकी बहू ने उनके लिए खाना नहीं बनाया हैं !! 

साहिल मनोहर जी और निशा का इकलौता बेटा था , जिस साहिल को पढाने – लिखाने उसके माता – पिता ने अपना खुन पसीना एक कर दिया था वही बेटा बड़ा होकर इतना बदल जाएगा यह किसी ने सोचा तक ना था !!

मनोहर जी अपने कमरे में आए तो देखा बेचारी सीमा जी जोर – जोर से खांस रही हैं !! 

सीमा जी के पास पड़ी बोटल का पानी भी खत्म था , बहु तो कभी सास – ससुर के कमरे में ही नहीं आती थी , कभी – कभार दोनों पुरे दिन भुखे ही रह जाते थे , कभी – कभार बहु खाना दे जाती थी तो खा लेते वर्ना भूखे ही सो जाते थे !!

सीमा जी की खांसी की आवाज सुनकर बाहर बैठी निशा जोर से चिल्लाई बुढिया पुरे दिन खांसती रहती हैं , चैन से खाना भी नहीं खाने देती !!

साहिल बोला उन दोनों को काम ही क्या हैं ?? तुम क्यूं गुस्सा करके अपना मुड़ खराब कर रही हो ??

मनोहर जी और सीमा जी फिर आंसुओं के दो घूंट पीकर रह गए !!

मनोहर जी लाठी का सहारा लेकर रसोई में गए और सीमा जी के लिए पानी ले आए !! 

साहिल यह देखकर मनोहर जी के कमरे में आकर गुस्से में बोला पापा , हम क्या खा रहे हैं ?? यही देखने आए थे ना आप ?? आप लोगों के लिए निशा खिचड़ी बना देगी जो थोड़ी देर बाद आपको मिल जाएगी , यूं किसी का खाना झांकने आना अच्छी बात नहीं समझे कहते हुए साहिल ने जोर से उनके कमरे का दरवाजा बंद कर दिया !!

मनोहर जी तो बेचारे पानी लेने आए थे , साहिल ने जो भी कहा उस बात का मनोहर जी के दिल पर ऐसा असर पड़ा कि उन्हें हृदयघात हो गया और वह उसी पल भगवान को प्यारे हो गए !!

सीमा जी ने मनोहर जी को बहुत जगाने की कोशिश की मगर मनोहर जी की आंखें सीमा जी को निहारती हुई खुली की खुली ही रह गई थी !!

बाहर से साहिल और निशा की हंसी ठिठोली की आवाजें आ रही थी , किसी को अपने माता – पिता की कोई फिक्र नहीं थी !! सीमा जी ने पास पडी मच्छरों को मारने वाली दवाई उठाई और खा ली और वे भी मनोहर जी के कंधों पर सिर रखकर हमेशा के लिए उन्हीं के पास चली गई !!

दोस्तों , यह दुःखद निधन कहीं आपके घर में ना हो इसलिए अपने वृद्ध माता – पिता पर खुब ध्यान दे !! उनकी हर इच्छाएं पूरी करें !! 

जो माता – पिता बचपन में अपने बच्चे की हर फरियाद पुरी करते हैं , बुढापे में उनकी फरियाद बच्चों को फरियादों की लिस्ट क्यूं लगती हैं ??.

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धन्यवाद !!

स्वाती जैन 

#शिकायत

10 thoughts on “बेटे – बहु से मिला अपमान सहने से बेहतर वृद्ध माता – पिता को मरना बेहतर लगा – स्वाती जैन  : Moral Stories in Hindi”

  1. कहानी बहुत अच्छी थी प्रेरणा दायक थी। मेरा भाई किसी की बीवी जो 2 बच्चों की माँ है। उसे उसके बच्चो समेत ले आया है। हमारे साथ इससे भी बुरा हाल करता है। मेरी मम्मी दिव्यांग है उनका एक पैर नही है मेरे पापा के साथ कलेश कर कर के वो गुज़र गए।अब हमारे पीछे पड़ा है कानून भी हमारा साथ नही दे रहा है।पुलिस वगेहरह सब उसी की सुनते है। हमारी कोई सहायता नही कर रहा। जब कभी भी मार पीट करने आ जाता है। कलेश करता है।कोई हमारी नही सुन रहा कोई हमारी सहायता नही कर रहा। कोई हमारी सहायता करे धन्यवाद 🙏🙏🙏 😭😭😭

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  2. Meri shadi ke baad jab mane ladki ko janam diya to meri saas aur sasur ne mujhe mar dalne ki bahut koshish ki aur meri beti ko bhi uske baad ma apne maike me rhi jab tak meri beti 3 years ki ho gyi…wo aaj bhi mujhe pasand nhi karti h balki ab mere paas ek baby boy bhi h…aise me kya mujhe apne saas – sasur ko sath me rakhna chahiye…

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  3. मुझे लगता है समाज में आधुनिक शिक्षा के साथ साथ वास्तविक जीवन की नैतिकता की शिक्षा भी उन्हीं स्कूलों द्वारा दी जानी चाहिए जो स्कूलें महंगी पुस्तकें व उच्चतम फीस लेकर आज भी केवल ब्रिटिशकाल की तरह बाबू बनने की शिक्षा दे रही हैं।साथ ही समाज व परिवार को भी अगली पीढ़ी को नियंत्रित करने के लिए अपना दखल बनाएं रखना चाहिए।जयहिंद

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  4. Aapne beta or bahu ko sudharne ke liye maa baap ko jinda rakhne ki kahani bana ni thi jo ki nikammi oulado ke liye sabak banti.. But.. Bahut nirasha hui kahani ka ant dekhkar. 👎👎👎

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  5. मैं अपनी पत्नी से बेहताशा परेशान और प्रताड़ित हूं,उसने अपने घर वालों और अन्य मिलने जुलने वालों की बातों में आकर मेरे बुजुर्ग माता-पिता सहित मुझ पर तीन-तीन सरासर धोखाधड़ी, छल-कपट,बेईमानी,गुमराह कर झूठें केस लगा दिये 10-11 साल से आज दिनांक तक गलत तरीके से मेंटीनेंस की डिक्री करा कर भरण-पोषण भी ले रही है जबकि स्वयं बी.ए.तक पढी-लिखी है जिसमें बी.ए. की पढाई मैंने स्वयं अपने खर्चे से कराई थी,प्यार का झूठा झांसा देकर मुझे फंसा लिया और शादी के बाद धौखा देकर थाने,कोर्ट-कचहरी करा कर और कई बार हथकडी,थाने में बंद, कोर्ट से एक साल की झूठी सजा दिला कर स्वयं स्वतंत्र होकर अपने मन के धन कर रही है, इस तरह उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है मैं भी असहनीय प्रताड़नाओं और पत्नि द्वारा दिये गए दु:खों से बेहद तंग आ गया हूं अब मेरा भी मन जीवन जीने में नहीं लगता,इतना परेशान और जलील किया है

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  6. Mata pita ki kami koi bhi puri nhi kar sakta h wo hamare liye precious aur valuable h hamaari sabse pehli priority h we should love respect n care for them

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  7. शिक्षा पर्द कहानी है लेकिन कहानी के ऐंड ने रूला दिया।
    ऐसे वच्चो पर सख्त कानून वनना चाहिए। आज हमारे घर मे भी यही चल रहा है।

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