बंधन – सीमा बत्रा

रंजीत और किरण जी के तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी। भरा पूरा खुशहाल परिवार है। रंजीत जी एक सफल बिजनेस मैन और किरण जी सरकारी स्कूल से रिटायर टीचर। पिछले दो साल से कोविड के चलते रंजीत जी के दोनो बेटो ने पापा से जिद करके बिजनेस को बंद करने के लिए मना लिया।

दरअसल बात ये थी कि रंजीत जी को शूगर और बी पी की दिक्कत पिछले कई सालों से है तो बच्चे नही चाहते थे कि  ऐसे में बिजनेस को ले कर उनके पिता को किसी प्रकार की टैंशन हो। किरण जी ने भी अपने बच्चों का साथ  दिया तो रंजीत जी को मानना ही पड़ा।

रंजीत जी के दोनो बेटे ही अच्छी जॉब में हैं। एक नोयडा और दूसरा गुरूग्राम। दोनो ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और बेटी बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर है और दामाद जी भी अच्छी पोस्ट पर हैं। बड़े बेटे की एक बेटी और एक बेटा है और छोटे बेटे की दो बेटियाँ और रंजीत जी की बेटी के दो बेटे।

रंजीत जी की बेटी दूसरे नंबर पर है। जिसे अपने छोटे भाई से बहुत प्यार है। बड़े भाई की वो बहुत इज्जत करती है। अपने सभी भतीजे भतीजियों की लाडली बुआ और बुआ के सभी चहेते बच्चे।

रंजीत जी की तीन मंजिला कोठी है। रंजीत जी ग्राउंड फ्लोर पर किरण जी के साथ बीच  वाली मंजिल पर छोटा बेटा और सबसे ऊपर बड़ा बेटा। घर में लिफ्ट भी लगी है तो किसी तरह की परेशानी भी नही है।

रंजीत और किरण जी काफी सुलझे हुए हैं। उनका परिवार बेशक अलग अलग मंजिल पर रहता है पर प्यार के बंधन में सब बंधे हुए हैं। बड़ा भाई अपने छोटे भाई की फिक्र बिल्कुल वैसे ही करता है जैसे रंजीत जी करते हैं। बड़ा भाई अपने छोटे भाई बहनो का ध्यान बचपन से ही रखता आया है और छोटे भाई बहन अपने बड़े भाई की किसी बात को कभी टालते नही। कुछ ऐसी ही परवरिश की है दोनो ने अपने बच्चों की।

रंजीत जी की दोनो बहुएँ पढी लिखी हैं पर नौकरी नही करती ये उनका खुद का फैसला है। दोनो बहुएँ अपने सास ससुर की बहुत इज्जत करती ही हैं साथ ही उन की हर जरूरत का ध्यान रखती हैं। उनकी दवाइयों को उनके रूटीन चैकअप का।


छुट्टी के दिन तीनो परिवार एक जगह ही खाना खाते हैं चाहे बाहर खाने जाएँ या घर पर ही कुछ बनाएँ। अब तो दोनो बेटी वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं तो बहुओं का काम बढ गया है। बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज भी तो चलती रहती हैं और साथ ही उन सब की फरमाइशें।

खैर सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। रंजीत जी और किरण जी शाम को अपने सभी पोते पोतियों के साथ घिरे रहते। बच्चों का दादा दादी से प्यार तो है ही साथ में बहुत ही केयरिंग हैं। अच्छा भला चलते चलते जैसे परिवार की खुशियों को उनकी अपनी ही नजर लग गयी।

एक रात बेटी अपने दोनो बेटों और अपने सामान के साथ घर आ गयी। सब हैरान और परेशान हो रहे थे क्योंकि वो कभी रहने आती है तो 2 दिन से ज्यादा नही रूकती इस बार तो 4 बड़े बड़े सूटकेस थे। किसी ने उससे कुछ नही पूछा क्योंकि वो बहुत ही परेशान और डिस्टर्ब लग रही थी तो सबने सोचा जब उसे ठीक लगेगा तब वो खुद से बताएगी।

यही सोच कर सबने उसे और बच्चों को खाना खिलाया और सोने को भेज दिया। अगले दिन संडे था तो सब आराम से उठे पर रंजीत जी और किरण जी की आँखो में नींद नही थी तो वो बस ऐसे ही चुपचाप बैठे रहे। उन्हें चिंता हो रही थी कि आखिर हुआ क्या है? सबसे बड़ी बहु ने आज नाश्ते में कचौरी बनायी थी तो सब ऊपर नाश्ता करने चले गए।

बच्चों को खिला कर नीचे जाने को कह दोनो भाई और बहुओं ने अपनी छोटी बहन से पूछा,” छोटी कुछ हुआ है क्या”? जवाब में उसने कहा, “भाई आपके दामाद का किसी के साथ अफेयर चल रहा है वो पहले भी ऐसी हरकत कर चुका है पर उसने माफी माँग ली थी और एक मौका माँगा तो मैंने बात को बढाया नही और न आपको बताया और उसको मौका दिया पर अब फिर वही सब तो मैं वो घर छोड़ कर आ गयी।”

सब के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी। इतनी सुंदर बीवी और बच्चों को छोड़ कर कोई कैसे बहक सकता है? ये सवाल सबके मव में था। रंजीत जी और किरण जी को समझ नही आया कि वो क्या करें? बड़ा भाई और भाभी भी कुछ बोल नही पा रहे थे। छोटे भाई को सबकी चुप्पी अखर रही थी।

उसने अपने जीजा को जीजा के साथ अच्छा दोस्त भी समझा और उनके साथ वैसे ही बिहेव किया। उसको हैरानी हो रही थी कि वो इंसान ऐसा भी कर सकता है? उसने तुरंत फोन मिला दिया। उसे फोन करते देख बड़े भाई ने उसे फोन काटने को कहा तो उसने फोन काट तो दिया पर उसके चेहरे पर गुस्सा दिख रहा था।


“छोटी तू बता क्या चाहती है? हम उसे समझाएँ ? तू उसे मौका देना चाहती है एक और या अलग होना चाहती है?”  भाई की बात सुन कर वो बोली,” मैं उसे मौका नही देना चाहती भाई पर बच्चों को ख्याल आता है कि वो अपने पापा से दूर हो जाएँगे आप बताओ मैं क्या करूँ?” वो रोने लगी।

रंजीत जी ने उससे कहा,”बेटा हम लोग तेरे सास ससुर से बात करते हैं और दामाद जी से भी पूछते हैं कि वो क्या चाहता है?क्योंकि रिश्ता टूटना बहुत आसान होता है और मैं ये भी नहीं कह रहा कि तू सब कुछ सह ले पर उससे पहले हमारा एक बार बात करना बनता है।”

“पापा आप बेशक उन लोगो से बात कर लो पर माँ और पापा जी से जब मैंने ये सब कहा तो वो बोले,” ये तुम दोनो की लाइफ है जो मर्जी करो हमें मत घसीटो और न ही हमारे बेटी दामाद को”… तो क्या अब भी बनता है बात करना तो आप बात कर लीजिए।” 

कुछ देर सब चुप रहे फिर बड़े भाई ने कहा, “छोटी तुम ठीक कह रही हो पर फिर भी कल को बात तुझ  पर ना आए तो हमें उन्हें एक बार बताना तो चाहिए”! रंजीत जी को भी अपने बेटे की बात ठीक लगी।

अपना काम खत्म करके किरण जी, रंजीत जी दोनो बेटे और बड़ी बहु बेटी के ससुराल गए तो उन्होंने वही सब दोहरा दिया तो किसी ने आगे कुछ कहना ठीक नही समझा। रंजीत जी के दामाद भी वहीं पर थे तो उसने भी दो शब्दों में बात खत्म कर दी तो सब उनके मुँह की तरफ देखते ही रह गए। 15साल की शादी को कोई एक झटके में कैसे तोड़ सकता है? दादा दादी को अपने पोतो से भी प्यार नही है ना बाप को बेटों से ये देख कर पूरा परिवार हैरान हो गया।

रंजीत जी का छोटा बेटा बहुत नाराज था उसे गुस्सा भी बहुत आ रहा था। सब सोच विचार में थे कि क्या करें? घर आने पर बेटी को रंजीत जी ने पास बुलाया और पूछा,” बेटा आगे का क्या सोचा है?”


“पापा मैं उसे डिवोर्स नहीं दूंगी पर उसके साथ भी नही रहूँगी ये तो पक्का सोच लिया है मैंने”! छोटे भाई ने उसकी हाँ में हाँ  मिलायी तो बड़े भाई ने छोटे भाई को आँखे दिखायी तो वो चुप हो गया।

“छोटी तुझे जो ठीक लगता है वही कर पर मैं और यहाँ सब चाहते हैं कि तू बस खुश रहे, वो आदमी जो न बच्चों  के बारे में नही सोच रहा न तेरे बारे में तो ये नाम के बंधन की जरूरत क्या है? तू उससे अलग हो कर सुख और चैन से रहेगी तो हम सब को भी तसल्ली रहेगी”! बड़े भाई ने समझाते हुए कहा ।

” भाई आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं पर मैं उस इंसान को सब कुछ इतनी आसानी से नही करने दूँगी जितना मैंटली मैं डिस्टर्ब हुई हूँ, थोड़ा उसका परेशान होना बनता है”! छोटे भाई को भी यही सही लगा तो रंजीत जी और बड़े भाई ने भी कहा,”ठीक है पर तुझे कोई परेशानी लेने की जरूरत है। हम लोग तेरे साथ हैं” !

रंजीत जी और किरण जी को भी बेटी का घर आना और अलग रहने का डिसीजन गलत नही लगा क्योंकि उन्होंने ही तो अपने बच्चों को गलत के खिलाफ लड़ना सीखाया है। वो परेशान इस बात से हैं कि उनकी बेटी उनके बाद अकेली हो जाएगी। दोनो  भाई भाभी अभी तो अच्छे हैं इसके साथ पर उनके बाद भी सब ऐसा ही रहेगा? ये डर शायद हर माँ बाप पर हावी हो जाता है।

कुछ महीने निकल गए। बच्चे नाना नानी के साथ और अपने मामा के बच्चों के साथ बहुत खुश हैं। वो अपनी ऑनलाइन क्लासेज लेते रहते हैं और उनकी माँ सुबह बैंक चली जाती है। इन महीनो में दामाद जी ने डिवोर्स के पेपर घर पर भेजे तो उनकी बेटी ने फाड़ दिए और बोल दिया कि,” वो डिवोर्स तो नही लेगी”।

सब कुछ नार्मल हो गया था। दोनो भाई और भाभियों का लगाव और व्यवहार बिल्कुल नही बदला। कुछ दिनो बाद रंजीत जी के दोनो  बेटों ने उन्हें कुछ पेपर्स दिए तो समझे नही कि क्या पेपर्स हैं। जब खोल कर देखा तो  फ्लैट के पेपर्स थे जो उन्होंने दोनो भाइयों के नाम किया था वो अब अपनी बहन के नाम कर दिया है।


छोटी बहन को पता चला तो वो बोली,”मुझे ये सब नही चाहिए भाई बस आप लोगो का प्यार चाहिए”! रंजीत जी ने भी कहा,” बच्चों इसकी क्या जरूरत थी? हमारे बाद ये पोर्शन मैं इसको दे देता”!

“पापा आप दीदी को ये भी दे देना हमें इससे कोई एतराज नही पर मैं और भाई चाहते हैं कि आगे फ्यूचर में इन्हें बच्चों के लिए कभी जरूरत पड़े तो किसी की भी हेल्प की जरूरत ना पड़े क्योंकि हम जानते हैॆ ये हमे कभी अपनी जरूरत नही बताएँगी”! छोटे बेटे की बात सुन कर किरण जी और रंजीत जी बहुत खुश हुए।

“छोटी ये फ्लैट तेरे नाम किया है तो ये मत समझना कि हम तुझसे कोई हिस्सेदारी या बंटवारा कर रहे हैं। हम बस ये चाहते हैं कि हमारा जो ये प्यारा सा बंधन है भाई बहन का वो और मजबूत हो जाए।” बड़े भाई ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा तो रंजीत जी बोले,” मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे तीनो बच्चे इतने समझदार हैं। हम दोनो डरते थे कि आजकल जैसा माहौल है  वैसा हमारा परिवार न हो जाए पर हमें गर्व  है तुम तीनो पर बच्चों….. हमारा परिवार जिस अटूट बंधन में बंधा हुआ है उसे कोई तोड़ ही नही सकता। हमेशा हर हाल में तीनो एक दूसरे का साथ देना और हमारे बाद बड़े भाई भाभी को ही अपने माता पिता समझ उन्हेॆ वही प्यार और सम्मान देना जो तुम तीनो हमें देते हो और अपने बच्चों को भी ऐसे ही एक साथ रहना सीखाना है।

रंजीत जी और किरण जी कई महीनो के बाद खुद को हलका महसूस कर रहे थे। उनके तीनो बच्चे हमेशा एक दूसरे का ख्याल रखेंगे ये यकीन दोनो को अच्छी तरह हो गया था।

सीमा बी.(29-01-2022)

मौलिक एवं स्वरचित

हैदराबाद

 

विजयदशमी की आप सब को हार्दिक बधाई… अच्छाई हमेशा जीतती है इस पर विश्वास का प्रतीक है…..ये पर्व।। इस शुभ अवसर पर मेरी एक छोटी सी कहानी…

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