“बहूरानी या नाॅन पेड नौकरानी” – कुमुद मोहन

“लो बहूरानी संभालो अपना राजपाट! ,और मुझे छुट्टी दो इस जंजाल आज से  इस घर की मालकिन तुम!”

मुझे तो तुम्हारा ही इंतज़ार था कि कब आओ और इस घर गृहस्थी के झंझट से निजात पाकर मैं भी सुकून की सांस ले सकूं”

नई बहू सीमा के गृहप्रवेश करते ही सासू मां शीला जी ने गृहस्थी की बागडोर उसके हाथों में सौंपते हुए कमर से चाबियों का गुच्छा निकालकर हाथों में थमा कर कहा”!

सीमा का दिल बल्लियों उछलने लगा”वाह!अपने मन की मालकिन हूंगी जो चाहूंगी करूंगी ,इससे बढ़िया और क्या होगा कि अम्मा जी रिटायर्मेंट ले रही हैं,चखचख भी ना रहेगी!

ब्याह की गहमागहमी निपट गई!सीमा का पति सुयश एक बड़ी कम्पनी में इंजीनियर था अच्छी खासी तनख़्वाह के साथ हाऊस रेंट अलाउंस,एल टी सी के साथ और भी कई पर्क्स थे!सीमा भी एक स्कूल में आर्ट की टीचर थी!शादी से पहले से ही वह सुबह 8 बजे जाती दोपहर 2बजे वापस आ जाती!ब्याह के बाद उसने पंद्रह दिन की छुट्टी ले रखी थी!

सीमा के ससुर महेश जी को भी पेंशन मिल रही थी!पैसे की कोई कमी नहीं थी!

शीला जी दिल की बुरी नहीं थी बस कुछ जरूरत से ज्यादा ही कंजूस थीं!अब तक पूरे घर पर उनका एकछत्र राज्य था!अपनी दबंग सख्शियत  के आगे वे किसी की चलने नहीं देती!

शीला जी को नौकरी करने वाली लडकियां बिल्कुल भी पसंद नहीं थी!पर सुयश को सीमा बहुत पसंद थी!इसीलिए मजबूरी में उन्हें राजी होना पड़ा!

जल्दी ही शीला जी ने बहूरानी सीमा के लिए फरमान जारी कर दिया!

महेश जी सुबह पांच बजे उठ जाते और नींबू पानी पीते थे!शीला जी ने रात में ही सीमा को बता दिया”आज से मेरी जिम्मेदारी खतम इतने साल मेरी सुबह की नींद खराब होती रही अब तुम आ गई हो तुम्हें बनाना होगा, मैं छः बजे चाय पीती हूं नहाकर सबकी  चाय एकबार बना देना, सबके लिए अलग अलग चाय बनाने की जरूरत ना है ,तुम्हारे पापा वाॅक से लौटें तो उन्हें गर्म करके दे देना!बाकी तुम लोग जब पियो तुम्हारी मर्जी!

सुबह नाश्ते में अलग अलग नाश्ता बनाने की जरूरत नहीं परांठे या ब्रेड में से एक चीज बना देना!बहुत दूधिया चाय भी बनाने की जरूरत नहीं है ,देखभाल कर दूध डालना!




तुम कितने बजे स्कूल को निकलोगी उससे पहले सुयश के टिफिन और हमारे लंच का इंतजाम तो करके ही जाओगी ना? दाल ,सब्ज़ी बनाकर रख जाना स्कूल से आकर गर्म रोटी सेक कर खिला देना!अब तक तो ठंडी रोटी खा लेते थे पर अब  बहू के राज में भी गर्म रोटी ना खाऐं तो बहू लाने का फायदा ही क्या?

घर की सफाई और बर्तन वाली के अलावा और किसी की जरूरत नहीं है!कपड़े मशीन में लगेंगे निकाल कर सुखाने ही तो होते हैं वो तो आते जाते सुखा ही लोगी! शाम को कपडें तहाकर प्रेस भी कर लेना क्योंकि दो बजे स्कूल से आके और कोई काम तो रहेगा ना!

और भैया!मैं तो इन बाप बेटे की खिदमत करते करते थक गई बस इंतज़ार कर रही थी कब बहू आऐ और मुझे इस झंझट से छुटकारा मिले!”

मेरे बूते का ना है काम वालियों से जूझना अब तो तुम्हें ही उनकी चौकीदारी करके काम करवाना होगा! स्कूल जाने से पहले ही करवा लेना ,कहीं खुद तो पर्स उठाकर चल दो पीछे मेरी जान को इनका तुतंबा लगा जाओ! ध्यान रखियो कोई चोरी चकोरी ना कर जाऐं!

महीने का राशन की लिस्ट बनाकर मुझे दिखा लेना जिससे मैं तुम्हें पैसे निकाल कर दे दूंगी!

बुरा मत मानना तुम्हें अभी घर गृहस्थी की समझ नहीं है ना!धीरे धीरे सब समझ लोगी!”

धीरे धीरे दिन बीते शीला जी ने चाबियां तो सीमा को सौंप दी पर घर का रिमोट कंट्रोल अपने पास ही रखा!उन्होंने सीमा को सख्त हिदायत दी कि घर में सबसे सस्ती सब्जी और फल ही आऐंगे और ढाई-तीन सौ ग्राम से ज्यादा  सब्जी न बने और एक दिन में एक वक्त एक ही सब्जी बने!दूध,दही की मात्रा भी शीला जी तय करती !किसी दिन सीमा के ससुर कोई मनपसंद सब्ज़ी,मिठाई या फल ले आते जो मंहगी होती तो शीला जी उनके ऊपर बरस कर पूरा मुहल्ला गुंजा देती!

इतवार या छुट्टी के दिन सीमा सबके लिए कुछ अलग और अच्छा बनाना चाहती तो भी शीला जी अपना दख़ल दिये बिना न रहती!घर में नाश्ते,लंच और डिनर का मेन्यू वे ही तय करती!

कभी-कभार जब घर में हलवा बनता तो शीला जी नापकर घी देती!उनका बस चले तो बिना दूध की खीर बनवा दें!

ब्याह से पहले सीमा स्कूल के लिए कुछ फल और सैंडविच वगैरह बनाकर टिफिन में ले जाया करती!शीला जी ने उसपर भी अंकुश लगाकर कहा सेब, केला खाकर क्या होगा नाश्ते में परांठे बनेंगे ,दो परांठे उसी में से रख लिया करो!

सीमा के सहयोगी रोज तरह तरह के नाश्ते लाया करते सब एक साथ बैठकर शेयर करके खाते!सीमा को रोज परांठे या ब्रेड लेजाना अटपटा सा लगता!एक दो बार दबे शब्दों में उसने शीला जी को जताना चाहा पर उनके आगे उसकी एक न चली!

हार कर सीमा ने घर से टिफिन ले जाना बंद कर के स्कूल की कैंटीन में ही कुछ मंगाना शुरू कर दिया!

स्कूल से लौटने पर खाना पीना निपटा कर सीमा दो घड़ी सुस्ताने की सोचती तो भी शीला जी उसे किसी न किसी काम में लगा देती!




शाम को शीला जी के घुटनों में दर्द शुरू हो जाता!सीमा चाहकर भी चैन की सांस न ले सकती क्योंकि शीला जी उसे अपने घुटनों पर तेल मालिश कराने में व्यस्त कर लेतीं!

शादी से पहले ही सुयश और सीमा ने तय कर लिया था कि घर का खर्च तो महेश जी की पेंशन और सुयश की तनख़्वाह से अच्छी तरह चल ही रहा था!सीमा की तनख़्वाह वे बचत के रूप में बैंक में डाल दिया करेंगे ताकि वक्त जरूरत काम आ सके!

कोई मेहमान आता तो सीमा का मन करता ढंग से उसका आदर-सत्कार करे पर शीला जी की हिदायत के अनुसार दो प्लेटों मे नमकीन और बिस्कुट लाकर धर दिये जाते!सीमा मन मसोस कर रह जाती!वह कैसी राजरानी थी कि किसी को एक प्याला चाय भी अपने मन से न पिला सकती थी!

शीला जी घर आऐ मेहमान क्या लाऐ यह तो अपनी पैनी नज़रों से नाप लेती पर उनकी थोड़ी-बहुत आवभगत भी करने में दस बार सोचा करतीं!

सीमा के भाई का ब्याह था!सीमा अपनी इकलौती भाभी को अच्छा सा उपहार देना चाहती थी जिसके लिए उसने अपनी तनख़्वाह से पैसे बचाकर रखे थे!सुयश भी यही चाहता था कि जब सीमा का भाई उसके बर्थ डे पर और भी आगे पीछे उसे कोई न कोई गिफ्ट देता रहता था अब जब उसकी बारी आई तो वह भी अपने साले के ब्याह में कुछ अच्छा देगा!

जैसे ही शीला जी को गिफ्ट का पता चला उनकी छठी इंद्रिय जाग उठी वे सीमा से बोली”अरे! बाज़ार से खरीदने की क्या जरूरत है वो जो सुयश की बुआ ने तुझे मुंह दिखाई में साड़ी दी थी वही अपनी भाभी को दे देना और मेरे पास एक पैंट शर्ट का कपड़ा पड़ा है वही उठाकर भाई को दे दो! वैसे भी बेटी के घर का बहुत मंहंगा गिफ्ट तो तुम्हारे मम्मी पापा रखेंगे भी ना?

 

सीमा को याद आया बुआ जी की लाई हुई साड़ी को लेकर शीला जी ने कितना कोहराम मचाया था ,महेश जी को ताने दे देकर उनकी खाट खड़ी कर दी थी “एक अकेला भतीजा था उसकी बीवी को तो कुछ ढंग का ले आती!बहू के पहनने की तो छोड़ो ऐसी साड़ी मैं तो अपनी काम वाली को भी ना दूं!”आज वही साड़ी वे सीमा की भाभी को देने की सोच रही हैं!सुनकर सीमा को बहुत गुस्सा आया।

सीमा के मुँह से निकल गया कि उसने भाई को गिफ्ट देने को पैसे अपनी तनख़्वाह से बचा रखे हैं शीला जी परेशान न हों!

बस इतना सुनना था कि शीला जी बिफर कर बोली”क्या मेरी कमाई,मेरी कमाई लगा रखा है,सारा खर्च हम उठा रहे हैं तो क्या अपनी कमाई अपने घर वालों पर लुटाने को जमा करोगी?




अरे मैं तो सोच रही थी कि सुयश की तरह तुम भी अपनी तनख़्वाह महीने के आखिर में मेरे हाथ पर ला धरोगी,ब्याह को महीना भी नहीं हुआ कि तुमने “तेरा-मेरा”करके अपने ढंग दिखाने शुरू कर दिए!

 

दिनभर घर की रखवाली और देखभाल मैं करूं,तुम तो अपना पर्स उठा टिफिन ले चल देती हो!”

सुयश के प्यार और महेश जी के दुलार की वजह से ब्याह के बाद से वह शीला जी के उल्टे-सीधे ,गलत सलत सारे फरमान सहती चली आ रही थी पर मुँह से एक शब्द भी ना निकालती थी!शीला जी की हर वक्त की हाय हाय से रात को सुयश के साथ प्रणय के क्षणों में भी सीमा सहज न रह पाती!एक तो दिन भर की थकान ऊपर से सासू मां की चांय चांय!उसकी भड़ास बेचारे सुयश पर निकलती जिससे उनके बीच बेवजह दूरी बढती!

 

आज उसके सब्र का बांध टूट गया!

गुस्से में उसने भी कह दिया”मम्मी जी आप दिन भर बहू के राजपाट की बात करती हैं,लगता है आपको बहूरानी नहीं चौबीस घंटे की नाॅन पेड नौकरानी की जरूरत थी जो चाकरी भी करे और कमाकर भी लाऐ!”

सुनते ही शीला जी ने रोना शुरू कर दिया कि कल की आई बहू ने उन्हें जवाब दे दिया तब तो महेश जी और सुयश को बहुत गुस्सा आ गया उन दोनो ने शीला जी को कहा कि उनकी हर वक्त की चिक-चिक से घर की शांति भंग हो रही है सिर्फ चाबियां ही नहीं घर की बागडोर भी अब सीमा को सौंपकर भजन कीर्तन में मन लगाऐं!सीमा के ऊपर बेवजह मदारी की तरह अपनी छड़ी ना घुमाऐं!

सीमा ने सोचा बेवजह बात न बढ़े इसीलिए वक्त की नजाकत देखते हुए उसने शीला जी को कहा “मम्मी जी आप परेशान क्यूं होती हैं ,घर में सबकुछ आपके हिसाब से होगा !आप बस बताती जाईयेगा मैं उसी तरह सब संभाल लूंगी,आप भी पापा के साथ सुबह शाम घूमने जाईये ,टी.वी पर अपने मनपसंद प्रोग्राम देखिये,आराम कीजिए!

सीमा ने जल्दी ही शीला जी के लिए एक सत्संगी किट्टी का इंतजाम कर दिया जिससे उनकी आउटिंग भी होने लगी और मन भी लगने लगा!

दोस्तो

कभी कभी घर के बुजुर्ग अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए घर के अन्य सदस्यों पर बेवजह अंकुश लगाकर घर की चैन शांति भंग किये रहते हैं!जिससे एक दूसरे के बीच दूरी बढ़ती जाती है और रिश्तों में दरार आ जाती है!उन्हें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के अंतर को समझना चाहिए तभी घर में सुख और सौहार्द बना रह सकता है!

आपको सही लगा हो तो कृपया लाइक-कमेंट अवश्य दें!धन्यवाद

कुमुद मोहन

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