बहू का पहला करवाचौथ ( करवा चौथ स्पेशल ) – ज्योति आहूजा

हर लड़की की तरह अदिति के मन में भी शादी को लेकर तरह- तरह की उमंगे थी।

 

शादी के बाद उसका ससुराल कैसा होगा? ससुराल में हर तरह के फंक्शन, त्यौहार खूबधूमधाम से मनाए जाते हो।

सजने सवरने की शौकीन अदिति इसी उमंगों के साथ अपना रिश्ता होने के बाद शादी के दिन का इंतजार करने लगी। शादी का दिन भी आ गया। और नई नवेली दुल्हन बनकर अदिति अपने ससुराल आ गई।

पर अदिति ने जो सोचा था  हुआ बिल्कुल उसके विपरीत।उसके ससुराल में शादी के बाद होने वाली रस्मों को फिजूल की बातें माना जाता था।तो शादी के बाद होने वाली किसी भी रस्म को उसके ससुराल वालों ने निभाना उचित नहीं समझा। अदिति के ससुर जी इन सब रीति-रिवाजों को फिजूलखर्ची मानते थे।

अदिति ने इसके बारे में अपने पति अमित से पूछा।पर अमित ने भी कोई ढंग का जवाब ना देते हुए कहा।”ओहो अदिति इन सब रस्मों और फंक्शन से क्या फर्क पड़ता है। असली मतलब हम दोनों का आपस में खुश रहना है। वैसे भी मेरे पिताजी इन चीजों को बिल्कुल नहीं मानते हैं। हमारे घर में किसी भी तरह का कोई सेलिब्रेशन नहीं होता है। पर हमने कौन सा यहां हमेशा के लिए रहना है। थोड़े दिनों के बाद हम दोनों मुंबई जाने ही वाले हैं ना। मेरी नौकरी वही है तो तुम मेरे साथ वही रहोगी।

इस पर अदिति कहती है।” वह सब ठीक है अमित। पर शादी के बाद हर औरत की यह इच्छा होती है कि उसके ससुराल वाले हर तरह की रीत और रस्म निभाए। मेरे अरमान मुझे टूटते हुए नजर आ रहे हैं। खैर जाने दो। कोई बात नहीं ऐसा कहकर अदिति किचन में काम करने चली गई।

शादी के थोड़े ही दिन बाद करवा चौथ का त्यौहार आया।अदिति ने अपने मायके में अपनी मम्मी और भाभी को बहुत अच्छे ढंग से करवा चौथ मनाते देखा था। तो उसके मन में भी बिल्कुल वैसा ही करवा चौथ का त्यौहार धूमधाम से मनाने की इच्छा हुई।

उसने सुबह सुबह जल्दी उठकर अपनी सास से पूछा। “मम्मी जी लाइए मेरी सरगी?



इस पर अदिति की सास सुधा जी बोली। “बहू हमारे यहां करवा चौथ नहीं मनाते। कोई व्रत नहीं रखता। मैंने कभी भी तुम्हारे ससुर जी के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रखा।

” क्या मम्मी जी आपके यहां करवा चौथ नहीं मनाते? अदिति ने बड़ी उत्सुकता से पूछा। पर क्यों नहीं मनाते? यह तो सुहागिनों का त्यौहार है। इस बहाने सब लोग मिल  बैठकर अच्छे से तैयार होते हैं। कथा करते हैं। पूजा करते हैं। शाम को तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं।रात को चांद देखकर अपना व्रत खोलते हैं। और फिर साथ बैठकर खाना खाते हैं। कितना मजा आता है।

अदिति ने फिर कहा।”मेरे मायके में तो मेरी मम्मी और भाभी ऐसा ही करती है। इतना अच्छे से तैयार होती है ।तरह तरह की ड्रेस पहन कर फोटो खिंचवाती है।

“यहां तो कुछ भी नहीं होता ।ना कोई सरगी, ना कोई सुहाग का सामान।यह कहकर उदास मन से अदिति अपने कमरे में चली गई।

पर उसने सोचा मैं तो यह व्रत अवश्य करूंगी। अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए मैं यह व्रत जरूर करूंगी।मुझे कितना शौक था शादी से पहले। शादी के बाद यह करूंगी वह करूंगी। अब जब यह समय आया है तब मैं अपने शौक को पूरा किए बिना नहीं रहूंगी। क्या हुआ अगर मम्मी जी इस व्रत को नहीं रखती है। पर मैं यह व्रत बहुत अच्छे से निभाऊंगी।

“बहू का उदास चेहरा देखकर सुधा जी से रहा नहीं गया। उन्होंने पहली बार अपनी बहू की खुशी की खातिर अपने पति के लिए व्रत किया और वह सब रीति रिवाज  निभाने का सोचा जो करवा चौथ के व्रत में निभाई जाती है।

और अपनी बहू से बोला, “बहू आज मैं भी तुम्हारे साथ पहली बार करवा चौथ का व्रत रखूंगी ।तुम्हारा यदि यह पहला व्रत है तो मेरा भी यह पहला व्रत है। मैं तुम्हें सरगी और सुहाग का सामान अवश्य दूंगी।

“उन्होंने अपनी अलमारी से दो सोने के बहुत ही खूबसूरत कंगन निकालकर अपनी बहू के हाथों में पहनाए और कहा  कि बहू मैं तुम्हें उदास नहीं देख सकती।

” अब जमाना बदल रहा है बहू ।अब सास पहले वाली सास नहीं रही। तुम मेरी बेटी  समान हो। और बेटी को भला मां उदास देख सकती है?

सास ने फिर कहा”माना कि तुम्हारी शादी के अगले दिन वे सब रीत रिवाज जो कि होने चाहिए थे।मैं नहीं निभा पाई। लेकिन इस व्रत को मैं फीका नहीं जाने दूंगी। जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करूंगी। तो बोलो बहू, क्या-क्या सामान चाहिए होगा इस व्रत के लिए। तुरंत अमित को कहकर मंगवा ती हूं।

” सुधा जी की यह सब बातें सुनकर  अदिति के उदास चेहरे पर जो मुस्कान आती है ।उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहता। उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक जाते हैं और वह अपनी सास को गले लगा लेती है।

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ज्योति आहूजा।

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