“आज देव की छुट्टी थी इसलिए आराम से बैठ कर अखबार पढ़ रहा था। पत्नी रानी चाय बना कर लाती है उसी समय बाॅस का फोन आ जाता है।”
“लम्बी वार्ता होती है इसलिए देव चाय पीना भूल जाता है। तभी रानी आती है…कहती है – अरे आपकी चाय तो बिलकुल ठण्डी हो गईं।”
“कोई बात नही मैं दूसरी बना के ले आती हूं…दोनों लोग साथ बैठकर चाय पिएंगे।”
“रानी दूसरी चाय बनाकर ले आती है। दोनो साथ में बैठकर चाय पी रहे होते है।देव बताता है – अभी बाॅस का फोन आया था। बेटी की शादी का निमंत्रण दिया है और कह रहे है सपरिवार आना है।दो चार दिन पहले आकर छोटे भाई की तरह सारी जिम्मेदारी संभालनी है।”
“देव लम्बी गहरी सांस लेते हुए कहता है कि कल को हमारी बेटी भी बड़ी हो जाएगी तो हमें भी उसे विदा करना पड़ेगा। कैसे रहेंगे हम उसके बगैर? मैं तो सोच के ही कांप जाता हूं।”
“ओह बड़े होने से याद आया – मैंने मिन्नी के लिए दूध निकाला था। किचेन मे ही रख के भूल गई।”
“मिन्नी….मिन्नी बिटिया चलो दूध पिलो।
नही मम्मा दूध पीने का मन नही है।”
“देव मिन्नी को गोद मे उठा लेता है।अरे मेरी रानी बिटिया दूध नही पियेगी तो फिर बड़ी कैसे होगी?”
“नही पापा मुझे बड़ा नही होना है।मै दूध नही पियूंगी”
“देव बिटिया को दुलारते हुए कहता है – मेरी बिटिया बड़ी नही होगी तो अपने मम्मा पापा का नाम कैसे रोशन करेगी?”
“पापा वो तो मैं छोटी रहकर भी आपका नाम रोशन कर सकती हूं।”
“देव हंसते हुए कहता है…वो कैसे?”
“मैं खूब…खूब…खूब पढूंगी। और फस्ट आ जाऊंगी।”
“पर पापा मैं बड़ी नही होना चाहती।”
“लेकिन क्यों बच्चा? – मेरा बच्चा ऐसे क्यों कह रहा है?”
“पापा जब लड़कियां बड़ी हो जाती है तब लोग उनके बाल पकड़ कर उनको खूब मारते-पीटते है और उनके कपड़े भी फाड़ देते है।”
“नही बच्चा ऐसा नही होता।”
“ऐसा ही होता है पापा मैंने टीवी पर कई देखा है।”
“देव और रानी अपनी बेटी की बाते सुनकर आश्चर्य चकित हो जाते है। उन्हे समझ मे नही आ रहा अब अपनी फूल सी बच्ची को वह क्या जवाब दे???”
प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’
प्रयागराज उत्तर प्रदेश