बड़ा बेटा – गीता वाधवानी Moral Stories in Hindi

छोटा भाई जितेंद्र उर्फ जीतू गुस्से में अपने बड़े भाई नरेंद्र के सामने रखी सेंटर टेबल पर कागज पटकते हुए बोला-“साइन कर दीजए।” 

नरेंद्र ने पूछा -“क्या है यह?” 

जीतू इस सवाल के लिए तैयार नहीं था इसीलिए हड़बड़ा गया और घबराकर बोला-“मैं अपने बिजनेस के लिए बैंक से लोन लेना चाहता हूं। उसी के पेपर्स हैं।” 

नरेंद्र पेपर खोलकर देख कर मुस्कुराया और हस्ताक्षर कर दिए। जितेंद्र कागज लेकर जाने लगा तो नरेंद्र ने कहा-“छोटे, क्या इसी तरह झूठ बोलकर प्रॉपर्टी के कागजों पर पापा की साइन भी करवाई थी। एक बार मुझसे प्रॉपर्टी मांग कर तो देखता, मैं तुझे सारी प्रॉपर्टी दे देता।” 

जितेंद्र हैरान रह गया और पलट कर बोला -“जब पता चल ही गया था तो साइन क्यों किया, फिर से महान बनने का नाटक।” 

आराम से बात करते-करते वह गुस्से में चीखने लगा-“बताओ क्यों किया साइन, क्यों, क्यों क्यों क्यों। पास आकर उसने नरेंद्र का कॉलर पकड़ लिया और चिल्लाया, फिर रोने लगा। तुम हर बार अच्छे और महान क्यों बन जाते हो और मैं तुम्हारे सामने छोटा और स्वार्थी, बोलो क्यों? तुम अपनी अच्छाई छोड़ क्योंनहीं देते, क्यों दिखावा करते हो अच्छा बनने का, क्यों तुम हमेशा मुझे नीचा दिखाते हो।”जितेंद्र अपनी ही धुन में बोलेजा रहा था। 

“बचपन से लेकर आज तक दादा दादी नाना नानी, या फिर मम्मी पापा सबने तुम्हारी तारीफ की है, मैं यही देखा है। हर समय हर बात में तुम्हारा उदाहरण। देखो जीतू, नरेंद्र को देखो, कितना संस्कारी है। बड़ोंका कितना

सम्मान करता है। हमेशा बड़ों का चरण स्पर्श करता है। नरेंद्रको देखो, पढ़ाई में अव्वल आता है। तुम भी उसके जैसे बनो।

क्यों बनूं मैं तुम्हारे जैसा। मैं तो मैं हूं। तुम्हारे छोटे हुए कपड़े, तुम्हारे खेले हुए खिलौने, तुम्हारी पुरानी साइकिल, सब कुछ मुझे पुराना मिला, सिर्फ तुम्हारी वजह से। बड़ा हुआ तब भी नई साइकिल नहीं मिली। नरेंद्र से सीखो,

वह तुमसे कितना प्यार करता है, तुम क्यों उसे चिढ़ते हो। एक दिन मैं जब गुस्से में पापा का फोन टॉयलेट में फेंक दिया था,

तब भीतुमने कहा कि यह काम तुमने किया है और पापा ने तुम्हें थप्पड़ मारा फिर दादी से सच पता लगने पर उन्होंने कहा ये तो है ही ऐसा। तुमने मेरा सब कुछ छीना है। सबका प्यार, ध्यान, आशीर्वाद, कपड़े, खिलौने यहां तक कि मेरे हिस्से की डांट भी। तुम सदा अच्छे बने रहे और मैं खराब, नालायक। तुम महान और मैं स्वार्थी। और अब तुम सारी प्रॉपर्टी, बिना

किसी शिकायतके मेरे नाम करके फिर से महान बन गए। तुम अपने आधे हिस्से के लिए मुझसे लड़ते क्यों नहीं, लड़ो मुझसे, झगड़ा करो। धोखे से साइन  करवाने के लिए मुझे ताने मारो, खरी खोटी सुनाओ, ऐसे चुप मत रहो।” 

सब कुछ कहकर जितेंद्र वहीं घुटनों के बल बैठकर रोने लगा। 

उसके बड़े भाई नरेंद्र ने उसे दोनों कंधों से पकड़ कर उठाया और अपने गले से लगा लिया। फिर उसके आंसू पोंछते हुए बोला-“जीतू, तेरे मन में जो भी शिकायत है गुस्सा है, उसे खत्म कर दे। मैंने अनजाने में तेरा दिल दुखाया है उसके लिए मुझे माफ कर दे भाई। मैंने कभी भी जानबूझकर तुझसे कुछ भी छिनने  की कोशिश नहीं की और मम्मी-पापा, दादा दादी, नाना नानी सब तुझे मुझसे भी ज्यादा प्यार करते हैं।

मैं महान नहीं हूं। पापा की इस प्रॉपर्टी पर तेरा ही पूरा हक है क्योंकि मैं तो अनाथ था। मम्मी पापा ने गोद लेकर अपना बेटा बना लिया। यह तो उनका बड़प्पन है कि मुझे आधा हिस्सा दे रहे थे। पर मैं तेरा हक नहीं ले सकता। उन्होंने मुझे काबिल बनाया पढ़ाया लिखाया, जो कुछ बनाना है मैं खुद बनाने की कोशिश करूंगा, मुझे सिर्फ उनका आशीर्वाद चाहिए। यह सब कुछ तेरा है भाई, वैसे भी मैं तो अपना ट्रांसफर दूसरे शहर में करवाने की सोच रहा हूं। अब तू मेरी वजह से और परेशान नहीं होगा।” 

जितेंद्र यह सच्चाई जानकर हैरानी था। उसे तो आज तक यह बात पता ही नहीं थी कि नरेंद्र को मम्मी-पापा ने गोद लिया था। जितेंद्र की आंखों में आंसू थे। वह अपनी जलन और गुस्से पर शर्मिंदा दिख रहा था। उसे अपने मम्मी पापा पर गर्वहो रहा था। अपनी सोच पर उसे शर्म आ रही थी। उसने फौरन नरेंद्र का हाथ पकड़ कर कहा-“यह आप क्या कह रहे हैं?

मुझे तो यह आज ही पता लगा। भैया, मैंने आपसे बहुत बदतमीजी से और तू तड़ाक से बात की, मुझे माफ कर दो और यह घर छोड़कर कभी मत जाना। मम्मी-पापा आपके बिना एक दिन भी जी नहीं सकेंगे, वे सही कहते हैं कि आप बहुत अच्छे हो। आप उनके बड़े बेटे हो और हमेशा रहोगे। मुझे माफ कर दो।” 

उन दोनों को पता नहीं था कि उनकी सारी बातें उनके माता-पिता और दादा-दादी सुन रहे हैं। वे चारों बाहर निकल आए और बोले-“बच्चों, इसमें गलती हमारी भी है, हमें कभी भी एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए । हर बच्चा अलग-अलग खूबियां रखता है। हमारे दोनों बेटे एक दूसरे से बढ़कर हैं और दोनों एक दूसरे से और हमसे प्यार भी बहुत करते हैं।

हम दोनों बच्चों से बस इतना ही कहना चाहते हैं कि बच्चों सदा ध्यान रखना की कभी मुंह से ऐसे शब्द मत निकालना कि दिल पर घाव बन जाए और सदा रिश्तो को ऐसे ही प्यार से थामे रखना ताकि”रिश्तो की डोरी टूटे ना।” 

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली 

#रिश्तों की डोरी टूटे ना

1 thought on “बड़ा बेटा – गीता वाधवानी Moral Stories in Hindi”

  1. लाजवाब मर्म स्पर्शी व प्रेरणादायक

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