आपकी बेटी होती तो.. – विभा गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

दिव्या और शिल्पी बचपन की सहेलियाँ थीं।दोनों एक ही स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थीं।पढ़ाई के साथ-साथ दोनों स्कूल की खेल प्रतियोगिता और संगीत प्रतियोगिता में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थीं।दिव्या तेज स्वभाव की थी।उसे गलत बात बर्दाश्त नहीं होती थी।विशेषकर उसकी सहेली को कोई कुछ कह दे तो वह उससे झगड़ा … Read more

बड़ी बहन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” अरी जन्मजली! ये तूने क्या कर डाला…अपनी ही छोटी बहन के प्यार पर डाका डाल दिया।ऐसा करने से पहले तूने एक बार भी न सोचा…दूर हो जा मेरी नज़रों से..।” सावित्री जी चीखीं। उनकी आवाज़ सुनकर स्नेहा और संदीप कमरे से निकले।दरवाज़े पर खड़ी अपनी बड़ी बहन स्वाति की माँग में सिंदूर और गले … Read more

पापा चले ससुराल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      ” नहीं अवंतिका…शादी में तुम ही चली जाओ…और हाँ, अपनी भतीजी को जो भी देना चाहती हो, खरीद लेना।” कहकर असीम जी ने हाथ में अखबार ले लिया।तब उनके हाथ से अखबार लेकर मनुहार करती हुई अवंतिका जी बोली,” चलिये ना…उस बात को बीते तो बरसों हो गये हैं…कब तक नाराज़ बैठे रहेंगे..अब तो अपना … Read more

माँ भी तो सास है – विभा गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

   ” अरे यार…आज तो मैं मुक्त हो गई…सास नाम की घंटी से अभी ही पीछा छुड़ाकर आई हूँ।चल..’ओरियेंट माॅल ‘ में चलकर पार्टी करते हैं…।” रीमा अपनी सहेलियों से सोफ़े पर बैठकर फ़ोन पर बातें करती जा रही थी।पास बैठा राहुल लैपटाॅप पर अपना काम कर रहा था लेकिन उसका ध्यान रीमा की बातों पर … Read more

अब कैसा हक? – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

” अभय..पापा मेरे साथ जायेंगे…उन्होंने मुझे पढ़ाया-लिखाया है…अब उनकी देखभाल करने का हक तो मेरा ही है।”      ” नहीं भाई…पापा को मैं ले जाऊँगा..बचपन में मैं जब बीमार पड़ता था तो पापा रात-रात भर मेरे सिरहाने पर बैठे रहते थें।इसलिये अब उनकी सेवा करने का हक मेरा है।” अभय बोला तो फिर अजय अपने छोटे … Read more

मायके का मोह –  विभा गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

    ” राजन..तुमने पापा से बात किया.. क्या कहा उन्होंने ..I know, मना नहीं करेंगे।”     ” रिया..माँ कह रहीं थी कि…।”    ” माँ को तो मैं मना लूँगी…अभी डैड को कह देती हूँ कि हम कल वहाँ शिफ़्ट कर रहें हैं..मैं सामान लेकर सुबह चली जाऊँगी और तुम ऑफ़िस से सीधे वहीं आ जाना।” कह कर … Read more

मैं महारानी हूँ –  विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” सुनिये..आज मनु के स्कूल जाना है, उसका पीटीएम है…आप 11बजे तक स्कूल आ जायेंगे ना..।” सुधा ने अपने पति वरुण से कहा जो ऑफ़िस के लिये निकल रहे थे।चलते- चलते उन्होंने कह दिया, ” हाँ- हाँ..आज मेरी कोई मीटिंग नहीं है..आ जाऊँगा।”       सुधा एक मध्यवर्गीय परिवार की लड़की थी।उसके पिता पर तीन बच्चों और … Read more

रिश्तों के बीच कलह क्यों? – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” मंजू…सुबह-सुबह ये क्या महाभारत लगा रखा है?” किचन से शोर सुनकर कृष्णकांत जी ने अपनी बेटी से पूछा।    ” कुछ नहीं पापा…मैंने रचना से कहा कि भिंडी की सब्ज़ी सूखी बनाना..पापा जी को रसेदार सब्ज़ी पसंद नहीं है..इसी बात पर मुझसे बहस करने लगी।” मंजू के कहते ही रचना बोली,” इसमें बहस की क्या … Read more

बेटियाँ कलंक नहीं होतीं –  विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” चल हट….बड़ी आई पढ़ाई करने वाली…जा..चौके में जाकर अपनी माँ से खाना पकाना सीख…वही तेरे काम आयेगा..।” दुत्कारते हुए विमला ने सात साल की सुकृति के हाथ से काॅपी छीन लिया तो वह रुआँसी होकर अपनी माँ माधुरी के पास चली गई।          विमला जब इस घर में प्रमोद की पत्नी बनकर आई थीं तब … Read more

मखाने की खीर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    माधुरी ने मखाने की खीर बनाई थी।पति को परोस कर एक कटोरी खीर लेकर बेटी के कमरे में गई और दरवाज़ा बंद कर उसकी तस्वीर के सामने रख कर रो पड़ी।रोते-रोते बोली,” तू कहाँ चली गई मेरी बच्ची…तुझे देखने के लिये मेरी आँखें तरस गई है। तेरे पापा तो कठोर बन गये लेकिन मैं क्या … Read more

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